Category: Election 2019
9 मार्च के बाद चुनाव आयोग किसी भी दिन कर सकता है लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा, यूपी में पांच से छ: चरण में चुनाव की उम्मीद
नामांकन पत्र की जांच से पहले झूठा शपथपत्र सुधारना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि उम्मीदवार का झूठा शपथ पत्र देना भ्रष्ट व्यवहार नहीं माना जाएगा, यदि उसने नामांकन पत्रों की जांच से पहले उसे दुरुस्त कर दिया हो। यह व्यवस्था महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ ही दिनों में लोकसभा और कुछ विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं।
जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला असम की एक विजयी उम्मीदवार की विशेष अनुमति याचिका पर दिया। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार के अपना शपथपत्र नामांकन पत्रों की जांच से पहले ही सही कर दिया था और उसमें अपने आपराधिक मामलों की जानकारी दे दी थी। निर्वाचन अधिकारी ने दुरुस्त शपथपत्र को ही अंतिम माना और उसके आधार ही उसे उम्मीदवार घोषित किया। ऐसे में यह नहीं कह जा सकता कि चुनाव में उम्मीदवार ने अपराधिक मामलों को छिपाकर लोगों से वोट मांगे। इसलिए कोर्ट की राय में यह आरपी ऐक्ट, 1951 की धारा 123 (2) के तहत भ्रष्ट व्यवहार नहीं माना जाएगा। यह उम्मीदवार की ओर से एक गलती भर थी जिसे उसने नामांकन पत्रों की जांच से पहले सुधार लिया।
मोरंग की विधायक का मामला
डिब्रूगढ़ से चुनाव लड़ने वाली जीबोनतारा घटोवार पर आरोप था कि उन्होंने 2012 में विधानसभा चुनाव में मोरंग सीट से नामांकन पत्र दाखिल करते समय धारा 33-ए के तहत शपथपत्र में अपने आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। इस कानून के अनुसार चुनाव के उम्मीदवार को अपने खिलाफ लंबित ऐसे सभी मामलों की जानकारी देना जरूरी है, जिनमें दो साल या ज्यादा की सजा जा प्रावधान हो। घटोवार आईपीसी की धारा 420, 468 और 193 के तहत चल रहे मामलों में अभियुक्त थीं
विरोधी प्रत्याशी ने दी थी याचिका
घटोवार चुनाव में वह जीत गई, लेकिन विरोधी उम्मीदवार ने उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर कर दी। विरोधी उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि घटोवार ने चुनाव में झूठा शपथपत्र दाखिल किया था जिसमें उन्होंने अपने अपराधिक मामलों की सूचनाएं छिपाई थीं। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि इससे चुनाव पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
ElECTION 2019: महिला वोटर बढ़ाने में लगा चुनाव आयोग इस बार वोटिंग 85 % करने की कोशिश,
ELECTION 2019::यूपी के सभी मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ लगेंगी वीवीपैट मशीनें: चुनाव आयोग,EVM मशीनों पर सबको विश्वास।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता को लेकर कुछ राजनीतिक दलों की आपत्तियों पर कहा कि देश में ईवीएम को फुटबॉल बना दिया गया है।
अरोड़ा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों के बारे में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश में दो दशकों से ज्यादा समय से ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर हम 2014 के लोकसभा चुनाव को लें तो ईवीएम से एक नतीजा आया। उसके चार महीने बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में नतीजा बिल्कुल दूसरा आया।
उन्होंने कहा, ‘हमने जाने-अनजाने में ईवीएम को पूरे देश में फुटबॉल बना दिया। अगर रिजल्ट एक्स है तो ईवीएम ठीक है, अगर नतीजा वाई है तो ईवीएम खराब है।’
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि इसके बाद भी हमने लोगों की भावना का संज्ञान लेते हुए वीवीपैट की व्यवस्था की। इसमें कुछ शुरुआती दिक्कतें आईं। मगर उनकी भी व्यवस्था कर ली गयी है।
HARDOI:: APPEAL TO VOTE FOR BETTER INDIA
ईवीएम की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के भुगतान के लिए सरकार ने मांगे 1600 करोड़ रुपए
केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 1,637 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि मांगी है ताकि कानून मंत्रालय आगामी लोकसभा चुनावों से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और पेपर ट्रेल मशीनों (वीवीपीएटी) की आपूर्ति करने वाली दो कंपनियों को भुगतान कर सके। साल 2018-19 के लिए पूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच में सरकार ने 1,637.14 करोड़ रुपए के लिए संसद की मंजूरी मांगी है ताकि कानून मंत्रालय ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को पैसे दे सके
पूरक अनुदान मांगों का तीसरा बैच 13 फरवरी तक पारित होने की संभावना है। संसद का मौजूदा बजट सत्र 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। आगामी लोकसभा चुनावों में नवीनतम एम3 प्रकार की ईवीएम इस्तेमाल की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ईसीआईएल और बीईएल पर ईवीएम की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी है और दोनों ने चुनाव आयोग को 22.3 लाख बैलट यूनिट एवं 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट की आपूर्ति कर दी है।
करीब 22.3 लाख बैलट यूनिट, 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट और करीब 17.3 लाख वीवीपीएटी आगामी लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल किए जाएंगे। मशीनों की इस संख्या में प्रशिक्षण एवं खराबी होने पर बदले जाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें भी शामिल हैं। अगले संसदीय चुनावों में इन मशीनों को देश भर में करीब 10.6 लाख मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा।
बीईएल और ईसीआईएल पर जिम्मेदारी दी थी कि वे इन मशीनों को 30 सितंबर 2018 तक चुनाव आयोग को मुहैया कराएं। साल 2000 से अब तक 113 विधानसभा चुनावों और तीन लोकसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल हो चुका है।
ELECTION- 2019 स्मार्ट तकनीक के उपयोग से होगा 2019 का लोकसभा चुनाव, निर्वाचन आयोग ने कसी कमर
नई दिल्ली। आगामी चुनाव के लिहाज से राजनीतिक दलों की तैयारियों के साथ चुनाव आयोग ने भी चुनाव कार्यक्रम को लेकर कमर कस ली है। कुछ ही दिनों में शुरु होने जा रहे लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने नागरिकों को उनके नाम, नए पंजीयन, ब्यौरे में बदलाव और मतदाता पहचान पत्र में सुधार करने के लिए मतदाता पुनरीक्षण और सूचना कार्यक्रम (वीवीआईपी) को देश भर में लांच किया है। निर्वाचन आयोग ने इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न माध्यमों की शुरूआत करते हुए, देश के सभी जिलों में संपर्क केंद्र भी बनाए हैं।
चुनाव में ज्यादा से ज्यादा जन मानस की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने मतदाताओं को चुनाव से जुड़ी किसी भी प्रकार की मदद के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1950 उपलब्ध करवाया है। साथ ही देश के सभी संपर्क केंद्रों में वोटरों से जुड़ी नवीनतम जानकारी भी उपलब्ध करवाने का फैसला किया है।
आयोग ने चुनाव से जुड़े अपने अधिकारियों को याद दिलाया है कि आयोग इस चुनाव को अधिक समावेशी बनाना चाहता है, साथ ही आयोग ने कहा है कि एप्प के उपयोग से तत्काल जवाब को सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि नागरिक बेहतर गुणवत्ता वाली सेवाएं चाहते हैं।
निर्वाचन आयोग ने लांच की ‘वोटर हेल्पलाईन’ एप्प और पीडब्ल्यूडी एप्प
आयोग ने इस मौके पर एंड्राएड आधारित ‘वोटर हेल्पलाईन’ एप्प को भी लांच किया है, ताकि नागरिक एप्प के जरिए ही विभिन्न सुविधा जैसे मतदाता सूचि में अपना नाम ढूंढना, ऑनलाइन फार्म जमा करना, आवेदन की स्थिति जानना जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
इस मोबाइल एप्प पर सभी फार्म, चुनाव परिणाम, उम्मीदवारों का शपथ पत्र, मतदाता जागरूकता और प्रमुख दिशा निर्देश भी उपलब्ध करवाए गए है। वहीं दूसरी ओर आयोग ने दिव्यांगजनों के लिए पीडब्ल्यूडी एप्प को लांच किया है। जिसके माध्यम से दिव्यांगजन अपनी पहचान पंजीकृत कर सकेंगे। इस एप्प से देश के दिव्यांग वोटर नया पंजीयन कर सकने के साथ ही पते और अन्य ब्यौरे में बदलाव भी कर सकते हैं।
संपर्क ब्यौरा देने के बाद बूथ स्तर का अधिकारी उन्हें घर पर सुविधा प्रदान करेगा। चुनाव के दौरान दिव्यांगजन व्हीलचेयर की मांग भी कर सकते हैं।
चुनाव आयोग का मानना है कि मौजूदा दौर में सभी को तकनीक की ताकत और इसके उपयोग को समझाना होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के अनुसार तकनीक वास्तव में इस चुनाव में एक प्रमुख गेम चेंजर साबित होगी।
पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में अधिकारियों में जानकारी के अभाव के चलते नकारात्मक प्रचार झेल चुका चुनाव आयोग इस बार किसी प्रकार की कोताही नही बरतना चाहता और पिछली शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने चुनाव के संचालन में सूचना और संचार तकनीक के उपयोग पर प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का भी आयोजन किया है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग के द्वारा नवीनतम तकनीक के उपयोग से चुनावी गतिविधियों में नवीनता आई है। चुनावों के प्रभावी संचालन के लिए निर्वाचन आयोग ने स्मार्ट तकनीक का उपयोग करना सुनिश्चित किया है।