वर्ष 2022 से होगी सीखने सिखाने वाली पढ़ाई, मार्कशीट न बनेगी परिवार की प्रतिष्ठा
नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को साफ किया कि साल 2022 से छात्रों की पढ़ाई नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहे पाठ्यक्रम से ही होगी। शिक्षा व्यवस्था की मौजूदा समस्याओं का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि एक बड़ी समस्या यह भी है कि हमारे देश में सीखने पर आधारित शिक्षा की जगह मार्क्स और मार्कशीट वाली शिक्षा व्यवस्था हावी है। सच्चाई यह है कि मार्कशीट अब मानसिक प्रेशर शीट और परिवार की प्रेस्टीज शीट बन गई हैं यानी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया गया है।
प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी में स्कूल शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के दो दिवसीय सम्मेलन को वचरुअल रूप से संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ाई से मिल रहे तनाव से अपने बच्चों को निकालना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर बेवजह का दबाव न पड़े। साथ ही कोशिश यह भी होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से छात्रों का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि उनके विकास के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ा मूल्यांकन हो। यही वजह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को मार्कशीट की जगह उनके सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक रिपोर्ट कार्ड का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें छात्र की विशिष्ट क्षमता, योग्यता, रवैया, प्रतिभा, स्किल (कौशल), क्षमता शामिल होगा।
पीएम ने कहा ‘जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे तो छात्र इस नए पाठ्यक्रम के साथ नए भविष्य की तरफ कदम बढ़ाएंगे।’ यह पाठ्यक्रम दूरदर्शी, भविष्य निर्माण करने वाला और वैज्ञानिक होगा। वहीं मातृभाषा में पढ़ाई पर सवाल खड़ा करने वालों को भी पीएम ने जवाब दिया और कहा कि यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है। भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। किताबी पढ़ाई में फंसे-फंसे कुछ लोग यह फर्क भूल जाते है।
एजुकेशन इन 21 फर्स्ट सेंचुरी” कॉन्क्लेव में पूरे देश के शिक्षा मंत्रियों एवं शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली साबित होगी।