बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक तबादले: अभी भी नहीं सुलझ सका मुद्दा, चुनाव से खटाई में पड़ सकती है प्रक्रिया

बेसिक शिक्षकों के पारस्परिक तबादले: अभी भी नहीं सुलझ सका मुद्दा, चुनाव से खटाई में पड़ सकती है प्रक्रिया

अब शिक्षकों को यह डर सताने लगा है कि चुनाव ड्यूटी की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे में अगर दिसंबर में उनका तबादला होता है तो ड्यूटी के डाटा में भी बदलाव करना होगा।

शिक्षक संगठन 25 अक्तूबर की बैठक में यह मुद्दा उठाएंगे।

प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के हजारों शिक्षकों का जिले के अंदर और बाहर परस्पर तबादले का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। इधर, लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू हो गई है। शिक्षकों को डर है कि इस चुनाव की वजह से उनका तबादला फंस सकता है। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के निदेशालय पर धरने के बाद अब 25 अक्तूबर को प्रस्तावित वार्ता में इसका मुद्दा उठेगा।

विभाग में एक से दूसरे जिले में और जिले के अंदर परस्पर तबादले की प्रक्रिया कई महीने से चल रही है। विभाग ने पहले इसकी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कई बार तिथि बढ़ाई और जब प्रक्रिया पूरी हो गई तो यह कहा कि तबादले शासनादेश के अनुसार गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में किए जाएंगे। इससे नाराज शिक्षकों ने कई बार बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरना-प्रदर्शन भी किया।

अब शिक्षकों को यह डर सताने लगा है कि चुनाव ड्यूटी की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे में अगर दिसंबर में उनका तबादला होता है तो ड्यूटी के डाटा में भी बदलाव करना होगा। वहीं, अगर चुनाव आचार संहिता लग गई तो जाड़े की जगह गर्मी की छुट्टियों तक उनका मामला टल जाएगा। इसे लेकर वे काफी परेशान हैं। इसी तरह फरवरी से चल रही पदोन्नति की प्रक्रिया भी नहीं पूरी हो पाई है।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह ने कहा कि विभाग को इन सारी समस्याओं को देखते हुए जिले के अंदर और बाहर के परस्पर तबादले जल्द से जल्द करने चाहिए। जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया पूरी करने में सिर्फ एक दिन का समय लगना है। पर विभाग मौन साधे हुए है।

अब तक पूरी नहीं हुई प्रक्रिया
शासन में पहले 16 और अब 25 अक्तूबर को वार्ता प्रस्तावित है। इसमें परस्पर तबादले का मामला उठाएंगे। फरवरी से शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है लेकिन अभी तक पूरी नहीं हुई। इस देरी के लिए एक भी बीएसए पर कार्रवाई नहीं हुई। अगर शिक्षक से कोई गलती होती है तो तुरंत कार्रवाई की जाती है। -डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, अध्यक्ष, उप्र शिक्षक महासंघ

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