यूपी में परिषदीय शिक्षकों के लिए अधिकारी कर रहे अजब-गजब आदेश, पढाना-लिखाना छोड़ शिक्षक पढ़ें रामायण और एकत्र करें प्लास्टिक वेस्ट

यूपी के विद्यालयों में पठन-पाठन का जिम्मा संभालने वाले शिक्षकों से वाल्मीकि रामायण का पाठ करवाया गया है। यहां तक भी गनीमत रही फीरोजाबाद जिले में तो प्राथमिक शिक्षकों को प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा करने का आदेश दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के स्कूलों में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अजब-गजब आदेश जारी कर रहे हैं। विद्यालयों में पठन-पाठन का जिम्मा संभालने वाले शिक्षकों से वाल्मीकि रामायण का पाठ करवाया गया है। यहां तक भी गनीमत रही फीरोजाबाद जिले में तो प्राथमिक शिक्षकों को प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा करने का आदेश दिया गया है, हालांकि शिक्षकों के विरोध पर फीरोजाबाद की बीएसए ने आदेश संशोधित कर दिया है। इन मामलों पर शिक्षा विभाग का कोई अफसर इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

महर्षि वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि रामायण का पाठ प्रदेश भर में हुआ। कासगंज के मुख्य विकास अधिकारी ने उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के निर्देश पर संकट मोचन धाम सैलई कासगंज में वाल्मीकि रामायण का पाठ कराया। मुख्य विकास अधिकारी कासगंज ने इस आयोजन में माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालयों के 15 शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी। दो दिनी आयोजन के लिए सभी का चार-चार घंटे का समय भी आवंटित कर दिया गया।


इसी तरह से फीरोजाबाद की बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत बेसिक शिक्षा विभाग को एक हजार किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट एकत्र किए जाने का लक्ष्य दिया है। इसके तहत विद्यालय से प्लास्टिक वेस्ट जैसे पालीथिन, बोतल, पानी के पाउच, मास्क, ग्लास आदि थैले में एकत्र करके न्याय पंचायत भवन पर जमा किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बीएसए ने हर ब्लाक का लक्ष्य 100 किलोग्राम तय किया है।


साथ ही खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजे आदेश में लिखा है कि जिला प्रशासन ने विभागवार यह लक्ष्य तय किया है, उसी के तहत ऐसा निर्देश दिया गया है। बीएसए ने संशोधित आदेश भी दिया है कि यह कार्य शिक्षकों से कराने का आदेश नहीं दिया है।

उधर, शिक्षा विभाग का कोई अफसर इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है, बल्कि यह स्वीकार करते हैं कि ऐसे आदेश नहीं होने चाहिए थे। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेशचंद्र शर्मा ने इन आदेशों पर हैरानी जताई है कहा कि शिक्षकों से ऐसे कार्य कतई न लिए जाएं वे पढ़ाने के लिए स्कूल आते हैं।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.