सुप्रीम कोर्ट 68500 सीबीआई जाँच केस :-टीम द्वारा सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से एसएलपी की कॉपी निकालने पर याचिकाकर्ता द्वारा लिए गये ग्राउन्ड व प्रेयर को पढ़ने पर निम्नलिखित तथ्य सामने आए

सुप्रीम कोर्ट 68500 सीबीआई जाँच केस :-टीम द्वारा सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से एसएलपी की कॉपी निकालने पर याचिकाकर्ता द्वारा लिए गये ग्राउन्ड व प्रेयर को पढ़ने पर निम्नलिखित तथ्य सामने आए

सुप्रीम कोर्ट 68500 सीबीआई जाँच केस :-
टीम द्वारा सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से एसएलपी की कॉपी निकालने पर याचिकाकर्ता द्वारा लिए गये ग्राउन्ड व प्रेयर को पढ़ने पर निम्नलिखित तथ्य सामने आए –
1. याचिकाकर्ता ने एसएलपी में कहा है कि 68500 शिक्षक चयन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार , अवैध नियुक्ति व दोषपूर्ण मूल्यांकन किया गया है , जिसमे राज्य सरकार के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी शामिल है |
2. 41556 पदों चयन हेतु सचिव , बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा विज्ञापन जारी किया गया है जबकि रूल 14(1)a के अनुसार जनपद स्तर पर विज्ञापन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को जारी करना था , अतः इस विज्ञापन से की गयी समस्त नियुक्तियाँ अवैध है |
3. विज्ञापन केवल 41556 पदो पर जारी हुआ जिसके सापेक्ष 40296 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और 34660 अभ्यर्थी चयनित किए गये 5636 अभ्यर्थी उनके वर्ग मे पद शेष न होने के कारण चयनित नहीं हो सके |
4. किन्तु राज्य सरकार द्वारा अवशेष 6127 अभ्यर्थियों की काउन्सेलिंग करा के नियुक्ति दे दी जो पूर्णतया अवैध हैं |

5. राज्य सरकार ने 4706 अभ्यर्थियों , जो पुनर्मूल्यांकन मे उत्तीर्ण हुये ( नोट – शासनादेश में पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं था ) उनका चयन भी बिना जनपद स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के विज्ञापन के कर दिया गया , यह नियुक्तियाँ भी विज्ञापित 41556 पदों के सापेक्ष नहीं है |

6. परीक्षा संस्था , मूल्यांकन करने वाले परीक्षक व कोडिंग डिकोडिंग एजेंसी द्वारा मूल्यांकन प्रक्रिया मे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के सबूत हर स्तर पर मिले है जो कोर्ट मे परीक्षण के समय सिद्ध भी हुये है |
7. राज्य सरकार द्वारा जाँच कमेटी मे उसी विभाग से दो अधिकारी नियुक्त कर दिये , जबकि यह विधि द्वारा स्थापित है कि कोई भी व्यक्ति अपने खुद के मामले में जज नहीं हो सकता |
8. याचिकाकर्ता की प्रेयर है कि उसके द्वारा उठाए गये तथ्यों की जाँच सीबीआई से कराई जाये और उसकी मानीटरिंग सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाये व आरोप सही होने पर पूरी प्रक्रिया रद्द कर नए सिरे से पारदर्शी रूप में कराई जाये |

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