केंद्र सरकार :- जल्द लागू होगा एक वेतन दिवस, सभी को 1 तय तारीख पर ही वेतन देने की योजना
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33 साल नौकरी संबंधी खबरें बेबुनियाद : केंद्र सरकार , सरकार के अनुसार इस प्रावधान को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं पारित
खुशखबरी: सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5% बढ़ाया, नवंबर में बढ़ी सैलरी के साथ 3 महीने का महंगाई भत्ता एरियर
7th Pay Commission DA Hike Arrear: नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5% बढ़ाया, नवंबर में बढ़ी सैलरी के साथ 3 महीने का महंगाई भत्ता एरियर
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दिया है. बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता (Dearness allowance) केंद्रीय कर्मचारियों को 1 जुलाई 2019 से जोड़कर दिया जाएगा. इसका लाभ कुल 55 लाख कर्मचारियों और 62 लाख एक्स कर्मचारियों को मिलेगा. बढ़े हुए महंगाई भत्ते से केंद्र सरकार पर कुल 16 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा. केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि महंगाई भत्ता यानी डीए (Dearness allowance) में बढ़ोतरी जुलाई से प्रभावी होगी जिसका मतलब ये हुआ कि नवंबर में जब कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनरों को पेंशन मिलेगा तो उनके खाते में अक्टूबर की बढ़ी हुई सैलरी और जुलाई, अगस्त और सितंबर कुल तीन महीने का बढ़ा हुआ डीए एरियर के तौर पर मिलेगा.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार ने दिवाली से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को तोहफे के तौर पर ये सौगात दी है. आपको बता दे कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष केंद्रीय कर्मचारियो के महंगाई भत्ते में सिर्फ 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी किया था. लेकिन इस बार सरकार ने महंगाई भत्ते (Dearness allowance) में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी किया है ।
केंद्र सरकार के इस फैसले से 7वें वेतनमान के तहत सैलरी पा रहे केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 900 रुपये से 12500 रुपये की बढ़ोतरी होगी. आपको बता दें कि केंद्रीय कर्मचारी पिछले कई दिोने से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे. हालांकि केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी को लेकर कोई ऐलान नहीं किया है.
वित्त मंत्रालय ने केंद्र के सभी विभागों को सितंबर माह का वेतन 5 दिन पहले जारी करने का दिया आदेश
केंद्र सरकार ने नौकरी करते हुए ऊंची डिग्री हासिल करने वाले अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन राशि को 5 गुना बढ़ाया प्रोत्साहन राशि की अधिकतम सीमा ₹30000 की गई
इंडिया रेटिंग्स :: देश से ज्यादा है दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर
देश से ज्यादा है दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर
दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर देश की विकास दर से ज्यादा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगालकी आर्थिक विकास दर बेहतरीन रही है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान 11.3 फीसद के साथ बिहार की विकास दर देश में सबसे ज्यादा रही है। गत वर्ष देश की विकास दर 6.7 फीसद थी। देश की दो प्रमुख रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकांश राज्यों की स्थिति पिछले पांच वर्षो में सुधरी है। हालांकि राजकोषीय घाटे को लेकर इन राज्यों को अभी काफी सतर्कता बरतनी है।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि राजकोषीय घाटे में सुधार के लक्षण हैं। लेकिन चुनावी साल में अगर राजनीतिक लोक लुभावन नीतियां अपनाई गईं तो इस पर पानी फिर सकता है। खासतौर पर जिस तरह से कई राज्यों में कृषि कर्ज माफी को लागू किया गया है वह अच्छा संकेत नहीं है। यही वजह है कि संस्था ने वर्ष 2018-19 के लिए राज्यों के समग्र राजकोषीय घाटे का अनुमान पूर्व के 2.8 फीसद से बढ़ाकर 3.2 फीसद कर दिया है।इंडिया रेटिंग्स मानता है कि आम चुनाव के साल में लोक लुभावन नीतियों या अन्य वित्तीय घोषणाओं से मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश होगी। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने किसानों के कर्ज को माफ करने की कुछ योजनाएं लागू की हैं। इनके अलावा झारखंड और तेलंगाना में भी किसानों को राहत देने का एलान किया गया है। पंजाब, कनार्टक, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में पहले से ही ऐसा हो रहा है।क्रिसिल की रिपोर्ट के हिसाब से पिछले पांच वर्षो के औसत आधार पर गुजरात सबसे तेजी से आर्थिक प्रगति करने वाला, महंगाई को बेहतर तरीके से काबू करने वाला और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने वाला राज्य बना हुआ है। उसके बाद कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार का स्थान है। लेकिन बिहार का राजकोषीय घाटा 7.2 फीसद है, जो चिंता का कारण है।मध्य प्रदेश एक वर्ष के भीतर सातवें स्थान से खिसक कर 10वें स्थान पर चला गया है। अब जबकि वहां की नई सरकार किसानों के कर्ज माफ कर रही है, तो हो सकता है कि इस वर्ष उसकी स्थिति और बिगड़ जाए। दोनों रिपोर्ट में इन राज्यों सरकारों से कहा गया है कि उन्हें तेज विकास दर और अपने राज्य की जनता की बेहतरी के लिए राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।