68500 एवं 69000 सहायक अध्यापक प्रक्रिया में नियुक्त अध्यापकों के तत्काल अभिलेख सत्यापन कराते हुए एरियर भुगतान के सम्बन्ध में।
नवनियुक्त शिक्षकों के एरियर भुगतान जल्द करने के निर्देश
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद ने परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 68,500 व 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्र सत्यापन, एरियर और वेतन का भुगतान जल्द करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं परिषद ने इन शिक्षकों के बारे में पूरी सूचना निर्धारित प्रारूप पर 26 मई तक भेजने के भी निर्देश दिए हैं। इस बाबत परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने मंगलवार को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि नवनियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कार्य जल्द पूरा कराया जाए। उनके देयकों के भुगतान के संबंध में भी सभी कार्यवाही तत्काल पूरी कराना सुनिश्चित करें। वहीं जिन शिक्षकों के अभिलेखों के ऑनलाइन सत्यापन की कार्रवाई की गई है और उनका भौतिक सत्यापन होना है तो संबंधित संस्था से उसे भी तत्काल पूरा कराया जाए।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के तृतीय चरण में चयनित जिले के 70 शिक्षक नियुक्ति के पांच महीने बाद भी वेतन नहीं पा सके हैं। तृतीय सूची के चयनित 6696 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग जून के अंतिम सप्ताह में कराई गई थी। प्रयागराज में 23 जुलाई को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया और नवंबर के मध्य में 70 शिक्षकों का विद्यालयों में पदस्थापन आदेश जारी हो गया।
उसके बाद से ये शिक्षक अपने- अपने विद्यालयों में सेवा दे रहे हैं। इन शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन नहीं होने के कारण अब तक वेतन नहीं मिल सका है। चयनित शिक्षकों का कहना है कि इससे पहले 69000 भर्ती के पिछले दो चरणों की भर्ती में लगभग 62000 शिक्षकों को शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन बगैर वेतन जारी कर दिया गया था।
प्रयागराज | वरिष्ठ संवाददाता शासन के 19 मई के आदेश पर इन शिक्षकों से शपथपत्र लेकर वेतन जारी हो गया था। उसी शासनादेश के आधार पर तृतीय चरण में नियुक्त लगभग 20 से 25 जिलों में दीपावली से ही वेतन जारी हो चुका है। लेकिन अब भी प्रयागराज समेत कई अन्य जिलों में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। इनमें से तमाम शिक्षक ऐसे हैं जो दूरदराज के जिलों के रहने वाले हैं।
कई शिक्षक प्रयागराज में किराए पर कमरा लेकर तथा प्रतिदिन 40-50 किलोमीटर सफर करके पढ़ाने जाते हैं। वेतन न मिलने से इन्हें कमरे का किराया, प्रतिदिन का बस का किराया तथा खाने-पीने आदि की भी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में पूछे गए सवालों के सही उत्तर को लेकर दाखिल अपील पर अभ्यर्थियों को आंशिक राहत दी है। कोर्ट ने एक प्रश्न के उत्तर को गलत मानते हुए उसका एक अंक उन अभ्यर्थियों को देने का निर्देश दिया है, जिन्होंने हाईकोर्ट में अपील या याचिका दाखिल की है और जिनके एक ही अंक कम पड़ रहे हैं।
अभ्यर्थियों की ओर से छह सवालों के उत्तर को लेकर चुनौती दी गई थी। उनके मुताबिक भर्ती प्राधिकारी ने जिन उत्तरों को सही माना है, वह सही नहीं हैं। कोर्ट ने इनमें से सिर्फ एक प्रश्न संख्या 60 को लेकर की गई आपत्ति को ही सही पाया। इस एक प्रश्न का एक अंक उन अभ्यर्थियों को देने का निर्देश दिया है, जिन्होंने याचिका या अपील दाखिल की है और उनमें भी यह अंक उन्हीं अपीलार्थियों, याचिकाकर्ताओं को मिलेगा जिनके एक अंक ही कम पड़ रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि यदि यह एक अंक पाने के बाद अभ्यर्थी मेरिट में आ जाता है तो उसे नियुक्ति दी जाए। अभिषेक श्रीवास्तव व दर्जनों अन्य की ओर से दाखिल विशेष अपीलों पर कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमए भंडारी और न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा की पीठ ने सुनवाई की।
विशेष अपील में एकल न्यायपीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी। एकल पीठ ने अभ्यर्थियों का दावा खारिज कर दिया था। अपीलों में कहा गया कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा छह जनवरी 2019 को हुई। इसकी उत्तर कुंजी पांच अगस्त 20 को जारी की गई। उत्तर कुंजी से मिलान करने पर अभ्यर्थियों ने छह प्रश्नों पर आपत्ति की। उनके मुताबिक परीक्षा प्राधिकारी ने जिन उत्तरों को सही माना है वह सही है जबकि अभ्यर्थियों द्वारा दिए गए जवाब सही हैं। रणविजय सिंह केस के आलोक में परीक्षणहाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रणविजय सिंह केस में प्रतिपादित विधि सिद्धांत के आलोक में मामले का परीक्षण किया। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर पुस्तिकाओं के पुर्नपरीक्षण या स्क्रूटनी के मामले में अदालतों के अधिकार सीमित हैं। यदि भर्ती के नियमों में पुर्नपरीक्षण व स्क्रूटनी के प्रावधान हैं तो अधिकारियों को यह अधिकार अभ्यर्थियों को देना चाहिए। यदि प्रावधान नहीं है तो अदालत तभी पुर्नपरीक्षण या स्क्रूटनी का आदेश दे सकती है जबकि ठोस साक्ष्यों के साथ यह प्रमाणित कर दिया जाए कि परीक्षा प्राधिकारी ने वास्तव में सही उत्तर चुनने में गलती की है। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा है कि संदेह होने की दशा में संदेह का लाभ परीक्षा प्राधिकारी को मिलेगा न कि अभ्यर्थी को। अदालत ने सभी छह प्रश्नों का बारी बारी से परीक्षण किया। पांच प्रश्नों में अभ्यर्थी अपने दावे को साबित नहीं कर सके। जबकि प्रश्न संख्या में 60 में विकल्प के रूप में दिए गए लेखक का नाम गलत होने के कारण कोर्ट ने इस प्रश्न का एक अंक समिति अभ्यर्थियों को देने का निर्देश दिया है। चयनित हो चुके लोग नहीं होंगे प्रभावितहाईकोर्ट ने कहा है कि जो लोग पहले से चयनित हो चुके हैं और नियुक्ति पा चुके हैं उन पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। चयन व नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है इसलिए ज्यादा संख्या में या सभी अभ्यर्थियों को अंक देने से पूरी प्रक्रिया अस्त व्यस्त हो जाएगी। लिहाजा लाभ सिर्फ उनको मिलेगा जिन्होंने याचिका दाखिल की है और जिनके एक अंक ही कम पड़ रहे हैं। यदि किसी के दो अंक कम हो रहे हैं तो उसको इस आदेश का लाभ नहीं मिलेगा
लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में 31 हजार अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। जबकि सामान्य वर्ग के महज 20301 अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ है। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को नियमानुसार आरक्षण नहीं देने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। द्विदी ने सोमवार को निशातगंज स्थित शिक्षा विभाग के कार्यालय में मीडिया से कहा कि 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में सामान्य वर्ग की 34,589 सीटें थीं। जबकि सामान्य वर्ग के महज 20301 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। शेष 14,288 पदों पर ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थी मेरिट के आधार पर चयनित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह गलत है कि विभाग राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पत्र का जवाब नहीं दे रहा है। दरअसल आयोग ने कोई रिपोर्ट ही नहीं मांगी है।