परिषदीय विद्यालयों में छात्र/छात्राओं की भौतिक उपस्थिति हेतु सहमति पत्र

परिषदीय विद्यालयों में छात्र/छात्राओं की भौतिक उपस्थिति हेतु सहमति पत्र

दलित टीचर से अभद्रता,मारपीट का मामला, आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी को सजा मिली, दो वर्ष की कैद और 8 हजार जुर्माने की सजा,

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रक्षाबंधन के उपरांत 23 अगस्त से 06वीं से 08वीं तक तथा 01 सितंबर से कक्षा 01 से 05वीं तक के विद्यालयों में पठन-पाठन प्रारंभ करने पर विचार किया जाए: UPCM

रक्षाबंधन के उपरांत 23 अगस्त से 06वीं से 08वीं तक तथा 01 सितंबर से कक्षा 01 से 05वीं तक के विद्यालयों में पठन-पाठन प्रारंभ करने पर विचार किया जाए: #UPCM

मार्ग दुर्घटना में शिक्षिका समेत दो की गई जान, दो घायल

बहराइच जिले में दो अलग-अलग स्थानों पर हुई मार्ग दुर्घटनाओं में शिक्षिका समेत दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए। मृत शिक्षिका मथुरा जिले की रहने वाली थी। स्कूल से पढ़ाकर एक अन्य शिक्षक के साथ बाइक से वापस आ रही थी।

राजकीय हाईस्कूल कॉलेज गंगाजमुनी विशेश्वरगंज में मथुरा जिले की निवासी अवनी चौधरी शिक्षिका के पद पर तैनात थीं। वह विशेश्वरगंज बस स्टाप पर किराये के मकान में रहती थी। शुक्रवार को विद्यालय से पढ़ाकर वह बाइक से उसी विद्यालय के शिक्षक चंद्रमा सिंह
के साथ वापस कमरे पर आ रही थी। विशेश्वरगंज थाना क्षेत्र के बिंद्रा बाजार बड़ागांव के बीच पुरबिहनपुरवा श्रीनगर चौराहे पर तेज गति से आ रहे ट्रैक्टर चालक ने अनियंत्रित होकर बाइक में पीछे से टक्कर मार दिया। इससे अवनी की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल शिक्षक को पुलिस ने लोगों की मदद से सीएचसी विशेश्वरगंज पहुंचाया।

फखरपुर थाना क्षेत्र नरायन पकड़िया के पास लखनऊ बहराइच हाईवे पर इनोवा कार ने बाइक में टक्कर मार दिया। इसमें बाइक सवार मटेरा थाना क्षेत्र के कुरवारी निवासी अब्दुल आहद व मुहम्मद सगीर
घायल हो गए। लोगों ने जानकारी फखरपुर पुलिस को दी। सिपाही रामदेव प्रजापति ने घायलों को सीएचसी पहुंचाया। जिला अस्पताल में सगीर की मौत हो गई।

चलती ट्रेन से गिरा युवक, गंभीर जरबलरोड : भगोलेपुरवा परसुरामपुर के पास चलती ट्रेन से अचानक युवक नीचे गिर गया। डायल 112 पुलिस ने घायल को सीएचसी मुस्तफाबाद में भर्ती कराया। घायल की पहचान ब्रजेश निवासी कोपरवारघाट थाना बरहज जिला देवरिया के रूप में हुई है। थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि घरवालों को सूचना दे दी गयी है।

परिषदीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में 6 से 8 तक की कक्षाएं एक सितंबर से

मुख्यमंत्री योगी जी ने कक्षा 6 से 8 तक के जूनियर हाई स्कूलों में एक सितंबर से कक्षाओं के संचालन के निर्देश दिए हैं।

जूनियर हाई स्कूल में दाखिले 16 से
जूनियर हाई स्कूल की कक्षाओं की तारीखों के ऐलान के साथ ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन कक्षाओं के लिए दाखिले 16 अगस्त से शुरू कर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि संक्रमण की स्थिति का आकलन करने के बाद पढ़ाई शुरू कराने के निर्देश दिए हैं। शिक्षण संस्थानों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य रूप से कराया जाए।

शनिवार को भी खुलेंगे शिक्षण संस्थान
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शनिवार का कोरोना कर्फ्यू समाप्त होने के बाद अब सभी शिक्षण संस्थानों में सोमवार से शनिवार तक कक्षाएं चलेंगी। कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई पर सरकार पहले ही निर्णय ले चुकी है। इन कक्षाओं में पढ़ाई 16 अगस्त से शुरू हो रही है।

यूपी : परिषदीय स्कूलों में फिर बदले गए किताबों के नाम, पाठ्यक्रम में नहीं हुआ कोई परिवर्तन

यूपी : परिषदीय स्कूलों में फिर बदले गए किताबों के नाम, पाठ्यक्रम में नहीं हुआ कोई परिवर्तन

🔴 पाठ्य पुस्तकों के बदले गए नाम, अब गिनतारा नहीं अंकों का जादू पढ़ेंगे बच्चे

🔴 छप चुकी हैं किताबें, जल्द ही विद्यालयों में पहुंच जाएगी



शासन ने परिषदीय स्कूलों में कक्षा दो से आठ तक की पाठ्य पुस्तकों के नाम बदल दिए हैं। अब बच्चे गणित में गिनतारा की जगह अंकों का जादू, अंक जगत, गणित ज्ञान तो हिंदी में कलरव की जगह किसलय, पंखुड़ी, फुलवारी, वाटिका पढ़ेंगे। कवर पेज को भी बच्चों की अभिरुचि के अनुसार आकर्षक किया गया है, जबकि पाठ्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। नए नाम के साथ परिषदीय स्कूलों की पुस्तकें छपकर जनपद में पहुंचने लगी हैं। हिंदी माध्यम के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकों के नाम भी बदले गए हैं। पाठ्य पुस्तकों के साथ कार्य पुस्तिका के नाम भी बदले गए हैं, जो पुस्तक के नाम से मिलते-जुलते हैं।

परिषदीय स्कूलों में अभी तक कक्षा दो से लेकर पांच तक की सभी विषय की पुस्तकों के नाम एक जैसे और छह से लेकर आठ तक की पुस्तकों के नाम एक ही थे। इससे बच्चों में काफी भ्रम की स्थिति रहती थी। बच्चों की अभिरुचि को ध्यान में रखते हुए शासन ने पुस्तकों के नाम परिवर्तन कर सरल और रोचक कर दिया है। इससे बच्चों को पुस्तकों का नाम याद रखने में सहूलियत होगी।


साथ ही पुस्तकों के कवर को पेज को भी बदला गया है। इसके अलावा कवर पेज को भी काफी रचिकर रंग और आकृति से सजाया गया है, जो बच्चों को आकर्षित करें। पाठ्य पुस्तकों के साथ कार्यपुस्तिका नाम भी बदला गया है। जो पुस्तक के नाम से मिलते-जुलते ही हैं। आंग्ला भाषा शिक्षा संस्थान के प्राचार्य डॉ. स्कंद शुक्ला ने बताया कि शासन ने एक अच्छी पहल करते हुए बच्चों की आयु वर्ग और उनकी रुचि के अनुसार पाठ्य पुस्तकों के नाम और कवर पेज बदले गए हैं।


अब पुस्तकों के नाम बदलकर ये हुए
कक्षा दो की पाठ्य पुस्तक कलरव का नाम बदलकर किसलय कर दिया गया है। वहीं कक्षा तीन की पाठ्य पुस्तक कलरव का नाम बदलकर पंखुड़ी और गिनतारा का अंकों का जादू किया गया है। कक्षा चार की पुस्तक कलरव, गिनतारा, हमारा परिवेश, रेनबो, संस्कृत पीयूषम का नाम बदलकर क्रमश: फुलवारी, अंक जगत, पर्यावरण, स्प्रिंग और संस्कृत सुधा किया गया है। वहीं क क्षा पांच की पाठय पुस्तक कलरव, गिनतारा, हमारा परिवेश, रेनबो, संस्कृत पीयूषम, मंजरी, का नाम बदलकर क्रमश: वाटिका, गणित ज्ञान, प्रकृति, पीटल्स, संस्कृत सुबोध किया गया है।


कक्षा छह की पाठ्य पुस्तक मंजरी, गणित, आओ समझें विज्ञान, संस्कृत पीयूषम, रेनबो का नाम बदलकर क्रमश: अक्षरा, सीख गणित, विज्ञान भारती, संस्कृत निधि, अंग्रेजी रीडर प्रथम किया गया है। कक्षा सात की पाठ्य पुस्तक मंजरी, गणित, पृथ्वी ओर हमारा जीवन, आओ समझें विज्ञान, संस्कृत पीयूषम, रेनबो, गृह शिल्प, महान व्यक्तित्व का नाम बदलकर क्रमश: दीक्षा, गणित प्रकाश, हमारा भूमंडल, विज्ञान भारती-दो, संस्कृत मंजूषा, अंग्रेजी रीडर-दो, गृह कौशल, भारत की महान विभूतियां किया गया है।

जिले में चार बेसिक शिक्षकों के टीईटी प्रमाणपत्र संदिग्ध

बुलंदशहर। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों पर नौकरी करने वाले शिक्षकों की धरपकड़ जारी है। जिले में चार शिक्षक ऐसे मिले हैं, जिनका यूपी टीईटी का प्रमाणपत्र संदिग्धता के घेरे में आया है। बीएसए को इन शिक्षकों की गोपनीय शिकायत प्राप्त हुई, जिसके बाद उन्होंने परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज को पत्र लिखा है। ताकि इन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन हो सके। प्राधिकारी की रिपोर्ट मिलने के बाद शिक्षकों पर बीएसए कार्रवाई करेंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में वर्ष 2010 के बाद जो शिक्षक भर्ती हुए हैं। शासन के आदेश पर इन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जा रहा है। पूर्व में कई शिक्षक फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी करते हुए पकड़े भी गए हैं। इन्हें विभाग ने बर्खास्त कर रिकवरी भी कर ली है। अब एक बार फिर चार और ऐसे शिक्षकों की शिकायत मिली है, जिनका यूपी टीईटी का प्रमाणपत्र फर्जी बताया गया है। बीएसए ने स्वयं अपने स्तर से जांच के बाद अब प्रमाणपत्रों को संदिग्धता की श्रेणी में रखते हुए जांच के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पत्र लिखा है।
पूर्व में पकड़े जा चुके हैं ऐसे शिक्षकबेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी करने वाले शिक्षक पूर्व में भी पकड़े जा चुके हैं। इनमें वर्ष 2010 के बाद भर्ती होने वाले शिक्षकों के साथ अन्य शिक्षक भी शामिल हैं। वहीं, हाल ही में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिका का भी फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी करने का मामला सामने आ चुका है। यह मामला खुलने के बाद कस्तूरबा में तीन और शिक्षिकाओं द्वारा फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करने की बात सामने आई थी।
चार शिक्षकों के यूपी टीईटी के प्रमाणपत्र फर्जी होने की शिकायत गत दिनों मिली थी। प्रमाण पत्रों का परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से सत्यापन कराया जाएगा और इसके लिए पत्र लिखा गया है। वहां से सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।- अखंड प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी

परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का जिले के अंदर समायोजन की तैयारी

🔴विभागीय मंत्री सहित बड़े अधिकारी सात अहम मुद्दों पर करेंगे मंथन

🔴शिक्षकों की प्रोन्नति, नई शिक्षा नीति विशेषकर प्री प्राइमरी जैसे विषय

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को जिले के अंदर मनचाहे स्कूल में तैनाती का मौका मिल सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग जिले के अंदर समायोजन करने की तैयारी कर रहा है। शिक्षक लंबे समय से इसकी मांग भी कर रहे हैं। सहमति बनी तो जल्द निर्देश जारी होगा।
परिषदीय स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक तैनात हैं, जो अपने जिले में होते हुए भी लंबी दूरी तय करके विद्यालय पहुंच रहे हैं, साथ ही ऐसे भी शिक्षक हैं जो दूसरे जिले में कस्बा या जिला मुख्यालय में रहकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं। वे सभी नजदीकी स्कूलों में जाना चाहते हैं, कुछ शिक्षकों ने जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए चर्चा भी कर ली है। इन शिक्षकों को आदेश का इंतजार है। बेसिक शिक्षा विभाग शनिवार को इस पर मंथन करेगा कि सत्र के बीच में समायोजन किया जाए? बच्चों के यूनीफार्म, बैग, जूता-मोजा व स्वेटर आदि वितरण की प्रगति पर भी चर्चा होगी।
उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी दिसंबर में कराने की तैयारी है, इस मामले की तैयारियां परखी जाएंगी। टैब फार स्कूल हेड्स व मृतक आश्रितों का सेवायोजन, शिक्षकों की प्रोन्नति और नई शिक्षा नीति विशेषकर प्री प्राइमरी जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। राज्य परियोजना कार्यालय में शनिवार को होने वाली बैठक में बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी, विशेष सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद व परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव शामिल होंगे।

परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के 72712 पद खाली

प्राथमिक में 63261, उच्च प्राथमिक में 9451 शिक्षकों की कमी

शहर व गांव के स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 53778 पद हैं रिक्त

69000 सहायक अध्यापक भर्ती के बाद यह है स्थिति

बेसिक शिक्षा परिषद के 113289 प्राथमिक और 45625 उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 72,712 पद खाली हैं। पिछले तीन साल में 68500 और 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के बाद स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है।




प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 63261 पद रिक्त हैं। जून 2021 में ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में 51, 112 पद खाली थे जिसका हलफनामा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल जून में ही लगा दिया था। इसके अलावा नगर क्षेत्र के स्कूलों में 12149 शिक्षकों की कमी है।

हालांकि नगर क्षेत्र का कैडर अलग होने के कारण इन पदों पर सीधी भर्ती नहीं होती। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक में प्रधानाध्यापकों के 53778 पद रिक्त होने की सूचना शासन को भेजी गई है।

नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी

शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूल उपेक्षा के शिकार हैं। यहां बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं। नगर क्षेत्र में सहायक अध्यापकों के स्वीकृत 13653 पदों के सापेक्ष मात्र 1524 ही कार्यरत हैं। कार्यरत शिक्षकों की तुलना में तकरीबन आठ गुना यानी 12129 पद रिक्त पड़े हैं। ग्रामीण से नगर क्षेत्र में शिक्षकों का स्थानांतरण 2011 के बाद से न होने और हर साल शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने से बदतर होती जा रही है।


उच्च प्राथमिक स्कूलों में सीधी भर्ती नहीं

परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में 9451 पद खाली हैं। लेकिन सरकार ने इन स्कूलों में सीधी भर्ती पर रोक लगा रखी है। 2013 में गणित और विज्ञान विषय के 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती के बाद से उच्च प्राथमिक में कोई भर्ती नहीं हुई है।


दो साल से शिक्षक भर्ती के लिए आंदोलित हैं बेरोजगार

बीएड / डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) और टीईटी/सीटीईटी पास लाखों बेरोजगार दो साल से सरकार से नई भर्ती शुरू करने की मांग कर रहे हैं। दर्जनों बार ट्विटर पर अभियान चलाने के अलावा लखनऊ में धरना दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

कैबिनेट का फैसला: स्कूली शिक्षा भरेगी नई उड़ान, सभी सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल की तर्ज पर बाल वाटिका की स्थापना, जानिए योजना की अहम बातें

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने और उसके बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को कई अहम फैसले किए। इसके तहत अगले पांच साल में स्कूली शिक्षा पर करीब तीन लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जो केंद्र व राज्य दोनों मिलकर उठाएंगे। सभी सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल की तर्ज पर बाल वाटिका खुलेंगी। यहां तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों को खिलौनों पर आधारित शिक्षा दी जाएगी। वहीं, अगले दो सालों में देश के सभी स्कूलों को डिजिटल बोर्ड सहित दूसरे अत्याधुनिक संसाधनों से भी लैस किया जाएगा।

पीएम मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाई देने के लिए समग्र शिक्षा योजना को नए स्वरूप में लांच किया गया है। यह योजना एक अप्रैल, 2021 से लागू मानी जाएगी और 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी रहेगी।

उन्होंने कहा कि योजना के स्वरूप में बदलाव से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में और सुधार आएगा। साथ ही स्कूलों के बुनियादी ढांचे को भी मजबूती दी जाएगी। अब तक इस योजना के तहत स्कूलों पर सालाना औसतन करीब 31 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे, जो बढ़कर करीब 40 हजार करोड़ रुपये हो गई है। प्रधान ने कहा कि स्कूलों में भी अब प्ले स्कूल की तर्ज पर बाल वाटिका खुलेंगी। अभी 1.84 लाख स्कूलों से इसकी शुरुआत की जा रही है। बाकी के स्कूलों को अभी आंगनबाड़ी से जोड़ा गया है। मौजूदा समय में देश में करीब 11.60 लाख सरकारी स्कूल हैं। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनाई गई है। इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को खास प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

🔴प्ले स्कूल की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में खुलेंगी बाल वाटिका

🔴11.60 लाख स्कूल, 15.6 करोड़ छात्र, 57 लाख शिक्षकों को लाभ

योजना के बदले स्वरूप में और भी हैं सहूलियतें

🔴दूर-दराज से स्कूल आने वाले बच्चों को सालाना छह हजार रुपये का ट्रांसपोर्ट भत्ता दिया जाएगा। इसके दायरे में सेंकेंडरी तक बच्चे होंगे।

🔴बच्चे को अब साल में 10 घंटे का एक इंटर्नशिप कोर्स भी करना होगा। बच्चे की रुचि के मुताबिक किसी स्किल सेंटर से रूबरू कराया जाएगा।

🔴लड़कियों को छठवीं से सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए स्कूलों को हर महीने तीन हजार के बदले पांच हजार रुपये दिए जाएंगे

🔴सभी बालिका छात्रवासों में सेनेटरी पैड वें¨डग मशीन भी लगाई जाएगी।

🔴राष्ट्रीय स्तर पर किसी खेल में यदि किसी स्कूल के दो बच्चे चयनित होते है, तो उससे 25 हजार रुपये ज्यादा वित्तीय मदद दी जाएगी।

अहम बातें
🔴समग्र शिक्षा योजना’ को पांच साल और जारी रखने पर लगी मुहर

🔴सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को 12वीं तक किया जाएगा

🔴मौजूदा सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्ट्रीम के बजाय नए विषय जोड़े जाएंगे

निपुण भारत नाम से नई योजना
स्कूलों में निपुण भारत नाम से एक नई योजना भी शुरू की जाएगी। बच्चों को शुरुआती कक्षाओं में ही अनिवार्य रूप से शब्द और संख्या ज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी। अमेरिका ने भी मदद को लेकर रुचि दिखाई है। योजना के तहत स्कूलों को अगले दो साल में डिजिटल बोर्ड सहित पढ़ाई से जुड़ी दूसरी तकनीक से लैस किया जाएगा।