बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सफाई एवं सुरक्षा हेतु सफाईकर्मी कम चौकीदार की व्यवस्था के सम्बन्ध में ।
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स्कूल में खिचड़ी खाने के बाद परिषदीय छात्रा की मौत, परिजनों का हंगामा: प्रधानाध्यापिका निलंबित
बलिया। बांसडीहरोड थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जैदोपुर में बुधवार की दोपहर में एक छात्रा की खिचड़ी खाने के बाद बेहोश हो गई। घटना के बाद विद्यालय में हड़कंप मच गया। तुरंत छात्रा गुंजन (5) को अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
विद्यालय पहुंचकर छात्रा के परिजनों ने हंगामा किया। पुलिस के साथ बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भी स्कूल पहुंचे और घटना की जानकारी ली। बच्ची के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद स्कूल से भोजन सामग्री के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। बीईओ की जांच रिपोर्ट पर बीएसए ने प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है।
बीएसए शिवनारायण सिंह का कहना है कि विद्यालय में 34 बच्चों ने एमडीएम की खिचड़ी खाई थी, जिनमें गुंजन को छोड़कर सभी सामान्य हैं। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि गुंजन घर से बेर लेकर आई थी और खाना खाने के बाद खा रही थी, जो उसके गले में फंस गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
फर्जी 812 शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में तैनात 812 शिक्षकों की सेवा समाप्त करते हुए उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने के आदेश हुए हैं। इन शिक्षकों का आगरा विश्वविद्यालय की बीएड डिग्री के आधार पर चयन हुआ था, पिछले दिनों हाई कोर्ट ने उनकी डिग्री को फर्जी करार दिया था। परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि नियमानुसार कार्रवाई करें।
हाई कोर्ट ने विशेष अपील किरनलता सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में 26 फरवरी को परिषदीय विद्यालयों में तैनात 814 शिक्षकों की बीएड डिग्री को फर्जी करार दिया था। परिषद सचिव ने उसी के अनुपालन के लिए आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दो अभ्यर्थियों अनीता मौर्या पुत्री भोला सिंह टीआरके कॉलेज अलीगढ़ व विजय सिंह पुत्र हरि सिंह केआरटीटी कॉलेज मथुरा को छोड़कर अन्य 812 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने की पुष्टि की गई है। नियमानुसार सेवा समाप्ति व एफआइआर की कार्रवाई की जाए।
सेवा समाप्ति यूनिवर्सिटी की ओर से पारित तारीख से मान्य: परिषद सचिव ने लिखा है कि जिन अभ्यर्थियों के अंकपत्र में कूटरचना की गई है, के संबंध में हाई कोर्ट के आदेश की तारीख से चार माह का समय निर्णय लेने के लिए दिया गया है।
परिषदीय स्कूलों में इस बार भी परीक्षा नहीं, कक्षा एक से आठ तक के छात्र असेसमेंट से होंगे प्रमोट
परिषदीय स्कूलों में इस बार भी परीक्षा नहीं, कक्षा एक से आठ तक के छात्र असेसमेंट से होंगे प्रमोटप्रेरणा
ज्ञानोत्सव के जरिये सीखने- पढ़ने की क्षमता का होगा आकलन
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को इस बार भी बिना परीक्षा अगली कक्षा में भेजा जाएगा। शैक्षिक सत्र 2020-21 में करीब 10 माह शिक्षण कार्य प्रभावित रहने के कारण परिषदीय स्कूलों में छात्रों का कक्षा स्तर पर असेसमेंट कर उन्हें प्रमोट किया जाएगा।
यूपी : कोरोना के चलते 8वीं तक के स्कूल खोलने के मामले में हाईकोर्ट सख्त, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी तलब
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कोरोना के दरम्यान प्रदेश में आठवीं तक के प्राथमिक स्कूल खोलने के मामले में सख्त रुख अख्तियार कर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्राथमिक स्कूल खोलने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सरकारी वकील से पूछा है कि स्कूलों में कोरोना से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को सरकार ने क्या किया। कहा कि सरकार 10 दिन में यह भी बताए कि अगर किसी स्कूल में दिशा-निर्देशों का पालन न किया गया तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जायेगी।
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने शुक्त्रस्वार को यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव की याचिका पर दिया। याची के वकील ज्योतिरेश पांडेय का कहना था कि बगैर समुचित इंतजाम प्राइमरी स्कूल खोलने से कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में बच्चों व शिक्षकों की जान का खतरा हो सकता है। क्योंकि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। इस संबंध में याची ने देश – प्रदेश की कई घटनाओं के उदाहरण भी दिए।
याचिका में स्कूलों को खोलने संबंधी यूपी सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के 5 व 6 फरवरी के आदेशों पर रोक लगाकर रद्द करने की गुजारिश की गई है। उधर सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने मामले में सरकारी वकील को सरकार से 10 दिन में निर्देश लेकर पक्ष पेश करने को कहा। याचिका में राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिवों समेत बेसिक शिक्षा निदेशक को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद नियत की है।
परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों को मिलेंगे फर्नीचर, शासन ने खरीद प्रक्रिया को दी मंजूरी
प्रदेश के 71 जिलों के 26,729 परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों और वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक के 108 प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के लिए जल्दी आरामदायक और आकर्षक फर्नीचर उपलब्ध होंगे। इन स्कूलों में फर्नीचर खरीदने का रास्ता साफ हो गया है। यह फर्नीचर केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की ओर से चालू वित्तीय वर्ष के लिए मंजूर की गई उप्र की कार्ययोजना के तहत खरीदे जा रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर खरीदने के लिए 488.61 करोड़ रुपये और वाराणसी के प्राथमिक स्कूलों के लिए 1.99 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। फर्नीचर जेम पोर्टल पर टेंडर के माध्यम से खरीदे जाएंगे।
बेसिक शिक्षा विभाग ने फर्नीचर की डिजाइन की विशिष्टताएं, खरीद व अनुबंध की प्रक्रिया तय करते हुए इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है। खरीदे जाने वाले फर्नीचर को बच्चों के लिए अधिक उपयोगी और सुरक्षित बनाने के लिहाज से वर्ष 2017-18 में आपूर्ति किए गए फर्नीचर की डिजाइन और विशिष्टताओं में बदलाव किए गए हैं।
फर्नीचर को बच्चों के लिए आकर्षक और बाल मैत्रिक बनाने के साथ उनकी संरचना बच्चों की उम्र और कक्षा के आधार पर करने के लिए कहा गया है। उनमें बच्चों के स्कूल बैग, कॉपी-किताब और पानी की बोतल रखने की उपयुक्त व्यवस्था करने की हिदायत दी गई है। सुविधा के लिहाज से आयु और कक्षा के अनुसार डेस्क और बेंच के बीच स्पेस बढ़ाया गया है। बच्चों के लिए आरामदायक बनाने के लिए डेस्क-बेंच के ऊपरी हिस्से और बेंच के बैक साइड को पांच डिग्री का स्लोप दिया गया है।
फर्नीचर खरीदने के लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ई-टेंडरिंग समिति गठित हैं। जिला स्तर पर ई-टेंडर के जरिये चयनित फर्मों से उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए फर्नीचर खरीदे जाएंगे। बीएसए विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से फर्नीचर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेंगे। फर्नीचर की खरीद, अनुबंध और आपूर्ति के बाद भुगतान के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में निविदा मूल्यांकन कमेटी गठित की जाएगी जिसके उपाध्यक्ष सीडीओ और सदस्य सचिव बीएसए होंगे।
फर्नीचर की खरीद के लिए समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से तैयार किए गए मॉडल एग्रीमेंट में प्रविधान है कि फर्नीचर की आपूर्ति में विलंब करने पर आपूर्तिकर्ता पर साप्ताहिक पेनाल्टी लगाई जा सकेगी।
अब स्कूल टीचर बनने के लिए TET होगा अनिवार्य, ये है NCTE की तैयारी
अब स्कूल टीचर बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए एनसीटीई यह फैसला ले रहा है। पढ़ें डीटेल…
अब किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (Teachers Eligibility Test) पास करना अनिवार्य किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने यह फैसला किया है।
एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमिटी गठित कर दी है। स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए एनसीटीई यह तैयारी कर रहा है।
क्लास 1 से लेकर 12वीं तक, सभी स्कूल टीचर्स के लिए अब टीईटी (TET) या सीटीईटी (CTET) पास होना जरूरी होगा। अब तक टीईटी की अनिवार्यता सिर्फ क्लास 1 से 8वीं तक के लिए थी। 9वीं से 12वीं यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) के लिए इसकी जरूरत नहीं होती थी।
‘गुरुकुल पद्धति’ से पनपेगी बेसिक की नर्सरी:- छठवीं से आठवीं के बच्चों को रोजाना 15 से 20 मिनट करनी होगी साफ-सफाई
गोरखपुर। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अब वर्षों पुरानी ‘गुरुकुल पद्धति’ को फिर से अमल में लाए जाने की कवायद शुरू की गई है।
नई शिक्षा नीति में भी इस पद्धति को अपनाने का प्रावधान किया गया है। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को मौलिक अधिकारों, नागरिकता कौशल, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता आदि के बारे में जानकारी देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अब साफ सफाई की कमान छात्र-छात्राएं संभालेंगे। नए सत्र से कक्षा छह से आठ तक हर सरकारी स्कूल में ये व्यवस्था लागू होगी। जिसके तहत बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में
हर विद्यार्थी को 15 से 20 मिनट तक रोजाना सफाई करनी होगी।
कक्षा एक से पांच तक के बच्चे इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए ये अनिवार्य होगा। नई शिक्षा नीति में बच्चों को उनके मौलिक अधिकार,स्वच्छता आदि के बारे में परिपक्व करने का प्रावधान किया गया है। उसी के तहत शासनस्तर से ये फैसला किया गया है। स्कूलों में मेरा विद्यालय-स्वच्छ विद्यालय कार्यक्रम चलाया जाएगा। बच्चों के अलावा शिक्षक भी इस काम में जुटेंगे। वे न केवल विद्यार्थियों को साफ-सफाई का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करेंगे बल्कि उनका मार्गदर्शन कर खुद भी सफाई करेंगे इसके लिए शिक्षकों की ओर से छात्र- छात्राओं का समूह भी तैयार किया जाएगा स्कूल की समय सारिणी में भी ये शामिल किया जाएगा।
जिले में 2504 स्कूल
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट स्कूलों की कुल संख्या 2504 है। जिसमें करीब 3 लाख 68 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
उत्तर प्रदेश में कोविड काल के बाद विद्यालय खोलने का ऐलान : देखें आधिकारिक आदेश👇
प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिकाओं में मारपीट, यह था मामला
जौनपुर। स्थानीय थाना क्षेत्र के कम्पोजिट विद्यालय फतुहिकला में उस समय हंगामा मच गया जब तीन महिला शिक्षिका आपस मे भीड़ कर जमकर मारपीट करने लगी । जिससे उपस्थित छात्र छात्राओं चिल्लाते हुए कमरे से बाहर निकले बच्चो के शोर-गुल और रोने की आवाज सुनकर आस-पास के ग्रामीण भी मौके पर एकत्रित हो गए। जहां पूरे प्रदेश में आज शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में चौरी चौरा शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है वही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व केदारलाल श्रीवास्तव के घर के ठीक सामने स्तिथ कम्पोजिट विद्यालय फतुहिकला में विद्यालय में कार्यरत अध्यापिकाएं और उनके परिजन के बीच जमकर लात-घुसे चलने लगी जिससे पूरे गाँव मे अफ़रा-तफरी मच गई।