शिक्षा में सुधार: शहरी व ग्रामीण कैडर खत्म करने का निर्णय व्यापक शैक्षिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम हो सकता साबित

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का शहरी व ग्रामीण कैडर खत्म करने का निर्णय व्यापक शैक्षिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है। प्रदेश सरकार इसके लिए नियमावली में संशोधन भी करने जा रही है। इसकी महती जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि प्रदेश के अधिकांश जिलों में शहरी क्षेत्र के स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। राजधानी लखनऊ में ही 45 स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षामित्र अथवा दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को संबद्ध करके काम चलाया जा रहा है। वाराणसी में भी 26 स्कूलों सिर्फ एक-एक शिक्षक ही हैं। इसके उलट, शहर से सटे गांवों के स्कूल शिक्षकों से लबालब हैं। ऐसे स्कूलों में दाखिले भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए जाते हैं, ताकि ज्यादा शिक्षकों को संबद्ध किया जा सके। दूर-दराज जाने से बचने में जुगाड़-तंत्र और ऊंची पहुंच का लाभ उठाने से भी किसी को परहेज नहीं। इस जोड़-तोड़ में बच्चों की गुणवत्तापरक पढ़ाई का मूल मुद्दा फाइलों में ही दफन होकर रह जाता है।

ऐसा भी नहीं कि लंबे समय से प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्तियां न हुई हों। सवा लाख शिक्षकों की नियुक्ति का दावा तो योगी सरकार का ही है। बावजूद इसके 72 हजार से अधिक पद अभी रिक्त भी हैं। वहीं, शहरी स्कूलों में पढ़ाई की दशा का अंदाजा इससे भी लगता है कि यहां साढ़े 13 हजार पदों में से सिर्फ डेढ़ हजार शिक्षक ही कार्यरत हैं। भिन्न कैडर के कारण ग्रामीण शिक्षकों को शहरी स्कूल में रख नहीं सकते। इसी कारण छात्र-शिक्षक अनुपात सुधर नहीं रहा। विडंबना ही है कि सरकारी स्कूलों में कापी-किताब, ड्रेस, जूता-मोजा और दोपहर का भोजन तक मुफ्त मिलता है लेकिन, यहां वही लोग बच्चे भेजना पसंद करते हैं, जिनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं होता। कैडर.एक हो.जाने से बेशक शहरी.स्कूलों में.शिक्षकों की.कमी नहीं रहेगी.लेकिन, क्या.इतनेभर से आम शहरवासी.अपने बच्चों का दाखिला वहां कराने लगेंगे? वास्तव में समाज का यह भरोसा तो शिक्षकों को खुद जीतना होगा। तभी, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 अपने वास्तविक लक्ष्यों को हासिल कर सकेगा।

कैडर एक हो जाने से बेशक शहरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी लेकिन, क्या इतने भर से आम शहरवासी अपने बच्चों का दाखिला वहां कराने लगेंगे?

बेसिक शिक्षा के अध्यापकों को अवकाश के लिए करना होगा मानव संपदा पोर्टल पर ही आवेदन

बेसिक शिक्षा के अध्यापकों को अवकाश के लिए करना होगा मानव संपदा पोर्टल पर ही आवेदन

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा के अध्यापकों को अब सभी तरह के अवकाश के लिए मानव संपदा पोर्टल पर ही आवेदन करना होगा। जो शिक्षक ऐसा नहीं करेंगे उनके अवकाश मंजूर नहीं होंगे। चार दिन तक के अवकाश की स्वीकृति प्रधानाध्यापक करेंगे जबकि उससे अधिक के लिए खंड शिक्षाधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। चिकित्सकीयअवकाश के लिए भी यही प्रक्रिया होगी। यदि मेडिकल सर्टीफिकेट अपलोड किया है तो दो दिन के भीतर खंड शिक्षाधिकारी को सहमति या असहमति देनी होगी। उसके बाद यह प्रार्थनापत्र बीएसए के पोर्टल पर पहुंच जाएगा। वहां भी दो दिन के भीतर उसका निस्तारण करना जरूरी होगा। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि चिकित्सकीय अवकाश के लिए आवेदन किया गया है और दिनों की संख्या 42 से कम है तो उसे स्वीकृति दी जा सकती है। दोबारा यदि आवेदन किया तो दोनों बार के अवकाश के दिन यदि 42 से अधिक हैं तो उसकी मंजूरी बीईओ व बीएस स्तर से होगी। शिक्षक को ज्वानिंग पोर्टल के जरिए करनी होगी।