चंद रुपये की खातिर परिषदीय बच्चे भूले पढ़ाई, स्कूल वक्त में कर रहे आलू खोदाई, बच्चों को तलाश रहे शिक्षक

चंद रुपये की खातिर परिषदीय बच्चे भूले पढ़ाई, स्कूल वक्त में कर रहे आलू खोदाई, बच्चों को तलाश रहे शिक्षक

आलू खोदाई ने बच्चों की पढ़ाई को चौपट करना शुरू दिया है। सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे स्कूल के वक्त में खेतों में जाकर आलू की खोदाई कर रहे हैं तो सस्ते मजूदर के रूप में किसान नाबालिगों को प्राथमिकता भी दे रहे हैं।

चंद रुपये की खातिर छात्रों ने सरकारी स्कूलों में जाना छोड़ दिया है। स्कूल के वक्त में छात्र खेतों में आलू की खोदाई और बिनाई कर रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग लगातार स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने पर जोर दे रहा है तो 20 मार्च से परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं।


यूपी के कई जिले आलू उत्पादन के लिए मशहूर है। इस बार आलू की बंपर पैदावार हुई है। आलू के उचित भाव नहीं मिलने से किसान पहले से ही पेरशान हैं। अब आलू खोदाई ने बच्चों की पढ़ाई को चौपट करना शुरू दिया है।


आर्थिक रूप से कमजोर परिवार चंद रुपये की खातिर अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे स्कूल के वक्त में खेतों में जाकर आलू की खोदाई कर रहे हैं तो सस्ते मजूदर के रूप में किसान नाबालिगों को प्राथमिकता भी दे रहे हैं। खेतों में खोदे गए आलू को एकत्रित करने के लिए ज्याद श्रमिकों की आवश्यकता छात्रों से ही पूरी की जा रही है। छात्रों को स्कूलों में रोकने वाले या पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने वाले अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।


प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि बच्चे खेतों में काम करने की वजह से स्कूल नहीं आ रहे हैं। छात्र रुपयों के लिए खेतों में काम कर रहे हैं तो यह बेहद चिंताजनक है। बच्चे खेतों में अपने माता-पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो उन्हें समझाये जाने की बात जिम्मेदार कह रहे हैं। शिक्षकों को घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा गया है।


करीब 40 फीसदी बच्चे गैरहाजिर
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार परिषदीय इन दिनों स्कूलों में करीब 35 से 40 फीसदी बच्चे गैरहाजिर चल रहे हैं। इनमें स्कूलों नहीं आने में बड़ी तादात छात्राओं की है। जब इनके बारे में जानकारी की गई तो पता चला कि ये बच्चे आलू की खोदाई में लगे हुए हैं। इसमें किसानों के बच्चे भी शामिल हैं।


200 से 250 रुपये में मजदूरी
आलू खोदाई बौर बिनाई के लिए किसानों को जहां वयस्क मजूदर 300 से 400 रुपये दिहाड़ी पर मिलते हैं, वहीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मात्र 200 से 250 रुपये में दिनभर खेतों में काम करने को तैयार हो जाते हैं। बड़े फर्म स्वामी बच्चों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से खेत पर ले जाते हैं। ये बच्चे सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक खेत में काम करते हैं।


घर-घर बच्चों को तलाश रहे शिक्षक
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा चार से कक्षा आठवीं तक के कुछ छात्र मजदूरी पर खेतों में आलू बीन रहे हैं या फिर अपने परिवार के लोगों का सहयोग करने में लगे हैं। शिक्षकों ने बताया कि वह गांव में बच्चों को स्कूल लाने के लिए घर-घर जा रहे हैं, लेकिन उनके अभिभावक ही बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। अभिभावक कहते हैं कि बच्चा खेत में आलू बीनने के लिए गया है। आप यहां क्यों आए हैं?

मिशन प्रेरणा को लेकर सभी बीएसए के नाम नया संदेश जारी, जानिए क्या है इसमें

प्रयागराज:- मिशन प्रेरणा के ध्यानाकर्षण माड्यूल को लेकर शिक्षक जागरूक नहीं है। तमाम अध्यापकों व प्रधानाध्यापकों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बात का खुलासा आइवीआरएस सैंपल सर्वे रिपोर्ट में हुआ।

विशेष सचिव बेसिक शिक्षा सत्येंद्र कुमार ने सभी बीएसए को पत्र लिखा है। कहा है कि तमाम जिलों में प्रधानाध्यापकों को फोन कर उनसे ध्यानाकर्षण माड्यूल के संबंध में बात की गई तो उन्हें कुछ भी नहीं पता था।

विभाग की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर इस तरह की उपेक्षा निराशाजनक है। खास बात यह कि एक तिहाई शिक्षकों को ध्यानाकर्षण माड्यूल के बारे में जानकारी नहीं थी। सबसे ज्यादा खराब हालत मेरठ, संभल, झांसी के शिक्षकों की है। वहां आधे से ज्यादा शिक्षकों को इस प्रशिक्षण के बारे में कुछ भी नहीं पता।

इसके लिए सभी बीएसए, व्हाट्सएप ग्रुप व अन्य माध्यमों से शिक्षकों तक विभाग द्वारा विकसित तीनों माड्यूल क्रमशः ध्यानाकर्षण, आधारशिला, शिक्षण संग्रह को सभी अध्यापकों तक पहुंचाएं। इसके लिए ग्रुपों में विस्तृत चर्चा करें और प्रश्नोत्तरी शेयर करें। पत्र में बताया गया है कि तीनों माड्यूल की साफ्ट कापी प्रेरणा वेबसाइट पर नालेज सेंटर के टीचर्स कार्नर में डाक्यूमेंट्स सेक्शन से प्राप्त की जा सकती है।

बेसिक शिक्षकों ने मोहल्ला कक्षा का किया विरोध, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने छात्रों को स्कूल बुलाने का दिया सुझाव

लखनऊ। बेसिक शिक्षकों ने मोहल्ला कक्षा का विरोध किया है। उन्होंने इसके बदले बच्चों को विद्यालय आने की अनुमति देने का सुझाव दिया है। उप्र. जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की शुक्रवार को हुई ऑनलाइन बैठक में इसका विरोध किया गया।

संरक्षक दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि मोहल्ला कक्षा के लिए शिक्षकों
खासकर महिला शिक्षिकाओं को गांव में पढ़ाने में समस्या आ रही है। उन्होंने कहा कि मोहल्ले में बच्चों को एकत्रित करने के स्थान पर विद्यालय में उन्हें बुलाने का आदेश होना चाहिए। बैठक में नए शिक्षकों को वेतन देने, जिले के अंदर व अंतर्जनपदीय स्थानांतरण, पदोन्नति, अर्जित अवकाश, फ्रीज किया गया महंगाई भत्ता, कैशलेस चिकित्सा, एरियर भुगतान आदि मांगें भी उठाई गईं। उन्होंने कहा कि 9 और 15 अगस्त को दोबारा पुरानी पेंशन की मांग को लेकर ट्विटर पर अभियान चलाया जाएगा। बैठक में अध्यक्ष रामकृष्ण सिंह, महामंत्री सत्य प्रकाश मिश्र, मंत्री अरुणेंद्र वर्मा व संजय कनौजिया समेत कई शिक्षक शामिल हुए।