पीएम पोषण योजना (MDM) – बाल बाटिका व प्राइमरी में 5.45 ₹ और upper प्राइमरी में 8.17 ₹ स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग का आदेश

MDM – बाल बाटिका व प्राइमरी में 5.45 ₹ और upper प्राइमरी में 8.17

वित्त मंत्रालय ने मध्यान्ह भोजन योजना में प्रति बच्चा परिवर्तन लागत में 9.6% की वृद्धि की मंजूरी दी, देखें कन्वर्शन कॉस्ट।

वित्त मंत्रालय ने मध्यान्ह भोजन योजना में प्रति बच्चा परिवर्तन लागत में 9.6% की वृद्धि की मंजूरी दी। प्राथमिक स्तर पर 4.97से बढ़कर5.45 उच्च प्राथमिक में7.45से बढकर 8.17होगी।

मध्यान्ह भोजन(MDM):- मार्च 21 से अगस्त 21 तक के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं हेतु प्राधिकार पत्र (संशोधित प्रारूप), यहां से करें डाउनलोड

मध्यान्ह भोजन(MDM):- मार्च 21 से अगस्त 21 तक के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं हेतु प्राधिकार पत्र (संशोधित प्रारूप), यहां से करें डाउनलोड

एमडीएम योजनान्तर्गत विद्यालयों में रसोइयों के रिक्त पदों की सूचना उपलब्ध कराने का आदेश

एमडीएम योजनान्तर्गत विद्यालयों में रसोइयों के रिक्त पदों की सूचना उपलब्ध कराने का आदेश

मध्यान्ह भोजन में रोज मिल रही गड़बड़ी है, बच्चों की थाली से दाल रोटी और दूध गायब

वाराणसी में परिषदीय, प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के लिए संचालित मध्याह्न भोजन योजना में खानापूर्ति जारी है। आलम यह है कि अधिकतर विद्यालयों में बच्चों की थाली से दाल, रोटी और दूध गायब है। उधर, महकमे की ओर से ध्यान नहीं देने पर एमडीएम तैयार कराने वाली सामाजिक संस्था की मनमानी नहीं थम रही है।

सिर्फ तहरी परोसी, दूध डकार गए
परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे मील योजना के तहत स्वयंसेवी संगठन को पका भोजन विद्यालय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग मेन्यू तय किया गया है। हर बुधवार को तहरी व 200 एमएल दूध देने का प्रावधान है। बुधवार को कई विद्यालयों में तहरी तो पहुंची, लेकिन दूध बच्चों तक नही पहुंचा। महकमा के गैरजिम्मेदाराना रवैए से दूध कौन डकार गया, इसका पता नहीं चल सका।

भोजन से आ रही थी बदबू
मध्याह्न भोजन में रोज गड़बड़ियां मिल रही हैं। बात सिर्फ एक दिन की नहीं है, शनिवार को विद्यालय में रोटी की जगह बच्चों को दाल के साथ नान परोसा गया था। जिसमें बदबू आने के कारण बच्चों ने उसे खाने से मना कर दिया था। वहीं, मंगलवार को मेन्यू के हिसाब से दाल और चावल देना है, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मदरवां व अन्य स्कूलाें में सिर्फ चावल भेजा गया। दाल दो से ढाई घंटे बाद भेजी गई।

प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह में सुबह दस बजे मध्याह्न भोजन आया। उसमें दूध नहीं था। हेडमास्टर सरिता राय ने बताया कि तीन सितंबर से स्वयंसेवी संगठन द्वारा पका हुआ भोजन भेजा रहा है, लेकिन हर बुधवार को सिर्फ तहरी ही दी जाती है। जब संस्था से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप अपनी तरफ से बच्चों को उपलब्ध करा दीजिए। जो वित्तीय खर्च होंगे वो संस्था वहन करेगी। बुधवार को जब हेडमास्टर ने अपनी तरफ से बच्चों को दूध उपलब्ध करा दिया तो संस्था ने कहा कि हम अभी दूध नहीं दे पाएंगे। आप मध्याह्न भोजन की डायरी में दूध के आगे शून्य कर दीजिए।

कंपोजिट विद्यालय महेशपुर में जब मध्याह्न भोजन की गाड़ी पहुंची तो उसमें दूध नहीं था। हेडमास्टर नगीना सिंह ने पूछा तो बताया गया कि मैडम आज सिर्फ तहरी ही आई है, हम अभी दूध नहीं दे सकते हैं। कुछ ऐसा ही हाल प्राथमिक विद्यालय ककरमत्ता और कंपोजिट विद्यालय अर्दली बाजार में भी रहा।

बोले अधिकारी:
मध्याह्न भोजन को लेकर लगातार विद्यालयों से शिकायतें आ रही हैं। स्वयंसेवी संगठनों की शनिवार को बैठक बुलाई गई है। बैठक के बाद जो भी समस्याएं होगी उसका समाधान किया जाएगा। – राकेश सिंह, बीएसए

कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन अवधि में छात्र – छात्राओं को 138 दिनों हेतु खाद्यान्न का प्राधिकार पत्र वाउचर देखें

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MDM प्रतिपूर्ति खाद्यान्न एवं परिवर्तन लागत:- माह जुलाई एवं अगस्त अवधि में मध्यान्ह भोजन योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को प्रतिपूर्ति के रूप में खाद्यान्न एवं परिवर्तन लागत का विवरण, देखें प्रवेश तिथि के अनुसार परिवर्तन लागत की राशि

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मिड-डे मील का राशन बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा, केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव

मिड-डे मील का राशन बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा, केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों को लॉकडाउन के दौरान मिड-डे मील का राशन और कन्वर्जन कॉस्ट का लाभ दिया जाएगा ताकि स्कूल में बनने वाला खाना परिजनों की मदद से छात्रों को घर बैठे मिल सकेगा। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजने की कवायद शुरू कर दी गई है।
देशभर में इस समय कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है, जिस कारण 22 मार्च से लेकर 17 मई तक संपूर्ण देश में लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन के चलते परिषदीय विद्यालय बंद पड़े हुए हैं। जनपद गौतमबुद्ध नगर के 685 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर के समय मिलने वाला मिड डे मील मिलना बंद हो गया है। 685 सरकारी स्कूलों में 80 हजार से अधिक बच्चे शिक्षा ले रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 45 दिनों के मिड डे मील में तैयार होने वाले भोजन की कच्ची सामग्री को बच्चों के परिवार को उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा गया है, जबकि खाना तैयार करने में आने वाली लागत को अभिभावकों के खाते में डीबीटी के जरिए भेजने के लिए अनुमति मांगी गई है।
इस योजना के जरिए जिले के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को लाभ मिलेगा। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस योजना को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इस प्रकार मिलेगा योजना का लाभ
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को साढ़े 4 किलो राशन, 223.66 रुपये कन्वर्जन कॉस्ट और जूनियर के विद्यार्थियों को पौने 7 किलो राशन एवं 335.25 रुपए कन्वर्जन कॉस्ट उपलब्ध कराई जाएगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि इस मामले में शासन स्तर पर प्रस्ताव बनाया गया है। जिसे केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। सरकार की इस योजना से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सीधा लाभ मिलेगा।

01 अप्रैल 2020 से मिड डे मील परिवर्तन लागत में वृद्धि सम्बन्धी केंद्र सरकार का आदेश जारी, नवीन परिवर्तन लागत सह आदेश देखें

01 अप्रैल 2020 से मिड डे मील परिवर्तन लागत में वृद्धि सम्बन्धी केंद्र सरकार का आदेश जारी, नवीन परिवर्तन लागत सह आदेश देखें

अब एमडीएम प्रभारियों की मौजूदगी में बटेगा दूध फल , 1 लीटर दूध में पानी मिलाकर 80 बच्चों को देने के मामले के बाद निर्णय

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