NCF ड्राफ्ट : 3 से 18 साल तक 4 स्टेज में पढ़ाई, क्लासेज होंगी छोटी, मिलेंगे 2 ‘ब्रेक’…आसान भाषा में समझें नया स्कूलिंग सिस्टम

NCF ड्राफ्ट : 3 से 18 साल तक 4 स्टेज में पढ़ाई, क्लासेज होंगी छोटी, मिलेंगे 2 ‘ब्रेक’…आसान भाषा में समझें नया स्कूलिंग सिस्टम

राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति 2020 की अवधारणा अब जल्द ही जमीनी स्वरूप में नजर आएगी. इसके लिए सरकार की ओर से नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के लिए बनी कस्तूरीरंगन कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार किया है. अब इसमें प्राप्त सुझावों के अनुरूप कुछ सुधार के बाद स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा. स्कूलों के लिए तैयार इस नई व्यवस्था से बहुत कुछ बदलने वाला है. आइए जानते हैं कि हमारे बच्चे 3 से 18 साल की उम्र तक कैसे पढ़ेंगे.

राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति को लागू करते हुए सरकार ने स्कूली श‍िक्षा के पूरे ढांचे को बदलने की बात कही थी. जिसमें कहा गया था कि बच्चों को रटंत विद्या से अलग प्रयोगात्मक ज्ञान के जरिये सिखाया जाएगा. इसमें एक चर्चा हुई थी 5+3+3+4 ढांचे की. दरअसल ये 3 साल से 18 साल की उम्र तक श‍िक्षा का फोर स्टेज (5+3+3+4) स्ट्रक्चर है.

एनसीएफ (National Curriculum Framework) के बीते गुरुवार को जारी प्री-ड्राफ्ट में इन चारों स्टेजों को विस्तार से बताया गया है. आइए सबसे पहले समझते हैं कि आख‍िर 5+3+3+4 क्या है, कैसे पूरा स्कूल‍िंग सिस्टम इस एक फार्मूले पर चलने की तैयारी कर रहा है.

क्या है 5+3+3+4 ढांचा, जिसमें ढलेगी स्कूली श‍िक्षा 
एनईपी 2020 में सिफारिश की गई है कि स्कूली शिक्षा की कल्पना एकदम नये सिरे से की जानी चाहिए. इसे 5+3+3+4 के चार चरणों के डिजाइन में बांटा. जिसमें 3-18 साल की उम्र को कवर किया जाता है.

इसमें 5+3+3+4 के फाइव का मतलब फाउंडेशनल इयर शामिल हैं. 5 यानी फाउंडेशन स्टेज दो भागों में बंटती है. पहला आंगनवाड़ी या प्री-स्कूल के 3 साल + प्राथमिक स्कूल में 2 साल. इस तरह 5+3+3+4 के 5 का मतलब आपको समझ आ गया होगा.

अब बारी है 5+3+3+4  के पहले 3 को समझने की. इस पहले 3 में 1-2 ग्रेड दोनों एक साथ शामिल हैं. जिसमें 3से 8 साल की आयु को कवर करते हैं. फिर इसके  अगले +3 को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में 3 साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और फिर लास्ट में +4 यानी ये माध्यमिक श‍िक्षा के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) हैं. इस तरह 3 से 18 साल में एक छात्र 12वीं तक पढ़ाई शामिल है.

क्लास टाइम 40 मिनट, शनिवार को नहीं होगी असेंबली
एनसीएफ के मुताबिक प्रीपरेट्री और मिड‍िल स्टेज में हर वीक डेज शुरुआत 25 मिनट की असेंबली के साथ होनी चाहिए. इसके बाद हर पीरियड 40 मिनट तक चलेगा. कुछ विषयों के लिए ब्लॉक पीरियड की जरूरत होती है, ऐसे में क्लास टाइम 80 मिनट होगा. एक विषय से दूसरी क्लास में पढ़ाई की तैयारी के लिए ट्रांज‍िशन टाइम 5 मिनट मिलेगा. इसके अलावा अब 15 मिनट का स्नैक ब्रेक और 45 मिनट का लंच ब्रेक समय सारिणी में बनाया गया है. शनिवार को कोई असेंबली नहीं होगी और लंच ब्रेक 30 मिनट का होगा.

क्लास 9 के बाद कैसी होगी पढ़ाई 
कक्षा 9 के बाद भी वीक डेज 25 मिनट की असेंबली के साथ शुरू होगा. इनकी क्लासेज का टाइम हालांकि 50 मिनट है; इनका ब्लॉक पीरियड मिलाकर 100 मिनट होगा. छात्रों के लिए अगली कक्षा की तैयारी के लिए ट्रांजिशन का समय 5 मिनट है. इनको स्नैक के लिए कोई समय आवंटित नहीं किया गया है, लेकिन लंच ब्रेक का टाइम बढ़ाकर 55 मिनट तक किया गया है. इनकी भी  शनिवार को कोई असेंबली नहीं होगी.इन कक्षाओं में एडशिनल एनरिचमेंट पीरियड भी होगा. इसके लिए इनके स्कूल डेज बढ़ाए गए हैं. यह छात्रों के लिए करिकुलम के किसी भी विषय में एनरिचमेंट के लिए अतिरिक्त समय के रूप में उपयोग करने के लिए है.

9वीं से 12वीं तक 8 ग्रुप होंगे 
एनसीएफ ड्राफ्ट में आखिरी 4 सालों यानी 9वीं से 12वीं तक स्टूडेंट को अपना मनपसंद सब्जेक्ट चुनने का विकल्प मिलेगा. ये 8 ग्रुप में बांटे जाएंगे- ह्यूमैनिटीज, मैथेमेटिक्स-कंप्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट्स एजुकेशन, सोशल साइंस, साइंस, इंटर डिसिप्लीनरी सब्जेक्ट. एक तरह से ये 4 साल भी दो चरण यानी 9वीं और 10वीं और 11वीं और 12वीं में बांटे जाएंगे. पहले चरण यानी कक्षा 9-10 में साइंस, सोशल साइंस और ह्यूमैनिटीज पढ़ाए जाएंगे, दूसरे चरण (कक्षा 11-12) में हिस्ट्री, फिजिक्स, भाषा पढ़ाई जाएगी.

11वीं-12वीं में 4 सब्जेक्ट्स पढ़ने होंगे 
11वीं और 12वीं में भी 8 सब्जेक्ट्स ग्रुप्स में से 4 सब्जेक्ट पढ़ने होंगे. इन दोनों वर्षों में सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी. इसमें एक सेमेस्टर में चुना हुआ सब्जेक्ट पूरा करना होगा. इस तरह पूरे क्रम‍िक ढंग से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के लिए छात्र को 16 पेपर (कोर्स) में पास होना होगा. इसमें 8 में से तीन सब्जेक्ट समूहों में से अपने चार सब्जेक्ट चुनने होंगे.

दूसरी कक्षा तक लिखित परीक्षा की जरूरत नहीं, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के मसौदे में प्रस्ताव

दूसरी कक्षा तक लिखित परीक्षा की जरूरत नहीं, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के मसौदे में प्रस्ताव

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के मसौदे में दूसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा को पूरी तरह अनुपयुक्त बताया गया है। साथ ही सुझाव दिया गया है कि लिखित परीक्षा तीसरी कक्षा से शुरू होनी चाहिए।

मसौदे में कहा गया है कि मूल्यांकन की पद्धति ऐसी होनी चाहिए, जिससे छात्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार तैयार किए जा रहे एनसीएफ में कहा गया है कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए दो महत्वपूर्ण पद्धतियों में बुनियादी स्तर पर बच्चे के आकलन और सीखने के दौरान उसके द्वारा तैयार सामग्री का विश्लेषण अहम है।

इसमें यह भी कहा गया है कि विशिष्ट जांच और परीक्षा बुनियादी स्तर अर्थात दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त है। बच्चों के बीच और उनके पठन-पाठन के दौरान मूल्यांकन में विविधता को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अलग-अलग तरीके से सीखते हैं और भिन्न तरीके से उसे अभिव्यक्त करते हैं। 

सीखने के परिणाम एवं क्षमता संबंधी उपलब्धता का मूल्यांकन करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। ऐसे में शिक्षक को एक समान सीखने के परिणाम के मूल्यांकन के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धति तैयार करनी चाहिए तथा उन्हें उपयुक्त तरीके से प्रयोग करना चाहिए।

क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति

वर्ष 2020 में पेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा सहित पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलना है। एनईपी 2020 में आगे कार्य करते हुए, चार राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों की रूपरेखाओं की स्थापना की गई है, अर्थात स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ, बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीएफ, अध्यापक की शिक्षा के लिए एनसीएफ और प्रौढ़ शिक्षा के लिए एनसीएफ शामिल है।

 डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालय ने एनसीएफ को शुरू करने और इसका मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया। शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को एनसीएफ पर पूर्व मसौदा जारी किया और इस पर विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी गई है।