बेसिक शिक्षा विभाग में 1 करोड़ की राशि का बड़ा घोटाला, किसी को कानों कान खबर भी नहीं, जानिए इंसीनेटर घोटाले के बारे में

बेसिक शिक्षा विभाग में ब्लॉक स्तर के अधिकारी भरस्टाचार के ऐसे ऐसे अवसर तलाश लेते है जिनके बारे में आपको सुनकर भी ताज्जुब होगा ,पूरे ज़िले में तकरीबन 1 करोड़ की राशि का ऐसा ही एक बड़ा घोटाला इतनी खामोशी के साथ अंजाम दिया गया कि किसी को कानो कान खबर भी न हुई और प्रत्येक खण्ड शिक्षा अधिकारी ने बड़ी खामोशी के साथ 1 से 2 लाख रुपयो की रकम कमीशन के तौर पर डकार ली , यह तो एक जिले के घोटाले कि राशि है, यदि पूरे प्रदेश की बात करें तो घोटाले कि रकम का आसमान छूना तय है।।

आखिर इंसिनेटर क्या है व इसका उपयोग क्या है, शासन इंसीनेटर बनवाने को लेकर क्यों इतना गंभीर है ??

शासन की इंसीनेटर को लेकर सोच है कि बालिकाएं पीरियड के दौरान स्कूल जाने से बचा करती हैं। ऐसे में बालिका शौचालय के साथ एक इंसीनेटर बॉक्स अटैच कराने का निर्णय लिया गया था। जिसका उपयोग बालिकाओं द्वारा किया जा रहा है। इससे टॉयलेट में गंदगी भी नहीं फैलती है, जिससे विभिन्न प्रकार के रोगों का संक्रमण भी नहीं फैलता हैं। इंसीनेटर एक बॉक्स की तरह काम करता है, जिसे टॉयलेट के बाहरी तरफ लगाया जाता है, जबकि उपयोग अंदर से होता है। इसमें पीरियड के दौरान उपयोग किए गए पैड, कपड़े आदि डाले जाते है, जो नीचे स्थित बॉक्स में जमा हो जाते हैं। जिन्हें बाद में जलाकर नष्ट किया जाता हैं।

मामला ये है कि पिछले वित्तीय वर्ष में ज़िले के सभी जूनियर हाइस्कूल के खातों में बालिका शौचालय के पास इंसिनेटर बनाये जाने के लिए प्रति विद्यलय 10 हजार रुपयो की धनराशि प्रेषित की गई थी ,अब बेचारे शिक्षकों को तो ये पता नही था कि इंसिनेटर है क्या बला ,और न ही अधिकारियों ने कभी इस बारे में बताने की ही कोशिश की ,हो सकता है कुछ खंड शिक्षा अधिकारी भी इस बारे में जानते ही न हो ,कुछ दिनों के बाद तंबौर और लखीमपुर के एक निर्माण कर्ता के साथ सौदा तय हो गया तो खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने जूनियर के हेड्स को सम्बंधित व्यक्ति से इंसिनेटर बनवाने का फरमान फोन पर जारी कर दिया ,कुछ जगह ये व्यक्ति सीधे गया और साहब से बात करा दी ,इस मामले में 2 से 3 हजार प्रति यूनिट कमीसन की बात बीईओ के लिए तय हुई जिसकी आधी रकम उन्हें पेशगी मिली और आधी चेक कलेक्शन के बाद
सबसे खास बात तो ये है कि अधिकांश विद्यलयो में शौचालय निर्माण का काम पंचायतो द्वारा कराया गया है ,लेकिन तब तक पंचायतो का ये काम हुआ नही था और 70 प्रतिशत से भी अधिक इंसिनेटर पुराने जर्जर शौचालयों में बना दिये गए है जो निस्पयोजय है ,और कई जगह तो बिना बने ही इसकी पूरी धनराशि बीईओ हजम कर गए है ,लेकिन खास बात ये है कि विभाग ने तो कभी इसकी जांच नही ही की,बल्कि स्वक्षता अभियान से जुड़ा होने के बाद भी ये मामला कभी ज़िलाधिकारी ,मुख्य विकास अधिकारी ,पंचायतराज अधिकारी ,या स्वक्षता समिति के सामने नही लाया गया ,
अगर भविष्य में ये मामला सामने आता है तो प्रबंध समिति से भुगतान करने के नाते शिक्षकों का फंसना तय है ,ऐसे में प्राथमिक शिक्षक संघ ज़िलाधिकारी महोदय और मुख्य विकास अधिकारी महोदय से मांग करता है कि पूरे जिले में इंसिनेटर की जांच कराकर दोषी खण्ड शिक्षा अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और शौचालय घोटाला करने वाले सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराई जाए ताकि भविष्य में किसी भी शिक्षक को प्रतिकूल स्थितियो का सामना न करना पड़े,ये घोटाला गांव में पढ़ने वाली मासूम बालिकाओ की साफ सफाई स्वक्षता और हाइजीन को लेकर एक बड़ा खिलवाड़ है ,प्राथमिक शिक्षक संघ सीतापुर के मंत्री आरध्य शुक्ल जी ने बताया कि इस संबंध में सम्बंधित अधिकारियों को संघ द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है ,पूरा मामला प्रदेश नेतृत्व की मॉर्फत महानिदेशक महोदय और विभागीय मंत्री के संज्ञान में भी लाया जाएगा ।।

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