UP Bed प्रवेश परीक्षा:- रूहेलखंड विश्वविद्यालय कराएगा बीएड प्रवेश परीक्षा, 15 अप्रैल को विज्ञापन होगा जारी, प्रवेश परीक्षा शुल्क में की जाएगी तिहाई की कमी

UP Bed प्रवेश परीक्षा:- रूहेलखंड विश्वविद्यालय कराएगा बीएड प्रवेश परीक्षा, 15 अप्रैल को विज्ञापन होगा जारी, प्रवेश परीक्षा शुल्क में की जाएगी तिहाई की कमी

BEd संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2020 की काउंसलिंग 19 अक्टूबर से

बीएड काउंसलिंग की तारीख एक महीने आगे बढ़ी, जानें- अब कब से होगी शुरुआत
BEd संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2020 की काउंसलिंग 19 अक्टूबर से
लखनऊ । BEd Joint Entrance Examination 2020 : संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड 2020 की काउंसलिंग को लेकर कई दिनों से चल रही उहापोह की स्थिति को लखनऊ विश्वविद्यालय ने शनिवार स्पष्ट कर दिया। अब काउंसलिंग प्रक्रिया 19 अक्टूबर से शुरू होगी। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा कि राज्य समन्यवक प्रो अमिता बाजपेई ने बताया कि काउंसलिंग प्रक्रिया 19 अक्टूबर से शुरू होकर आठ नवंबर तक चलेगी।
प्रो. बाजपेई ने बताया कि पहले काउंसलिंग प्रक्रिया 21 सितंबर से शुरू होनी थी, मगर तमाम अभ्यर्थियों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जारी होने के कारण अभी परिणाम आने शेष हैं। ऐसे में इन अभ्यर्थियों को ध्यान में रखते हुए बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2020 की काउंसलिंग की तारीख को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि 8 नवंबर को काउंसलिंग समाप्त होने के बाद 9 नवंबर से नए सत्र की शुरुआत की जाएगी।
उन्होंने बताया कि पूर्व की तरह इस बार भी काउंसलिंग शुल्क 750 रुपये ही रखी गई है। इस बार अभ्यर्थियों को ईडब्ल्यूएस सीटों पर भी प्रवेश दिया जाएगा। यह व्यवस्था केवल सरकारी और अनुदानित महाविद्यालयों में ही लागू होगी। साथ ही जिन अभ्यर्थियों को निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की सुविधा दी जाती थी वे इस वर्ष लागू नहीं होगी। प्रोफेसर बाजपेई ने बताया कि अभ्यर्थियों द्वारा ऑनलाइन आवेदन पत्र भरने के दौरान जो प्रमाण पत्र अपलोड किए गए हैं, उनकी मूल प्रति एवं अन्य मांगे गए सभी प्रपत्र एवं शुल्क हेतु निर्धारित धनराशि के साथ काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल हों, ताकि उन्हें किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।
लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड 2020 की काउंसलिंग अब 19 अक्टूबर से शुरू होगी। पहले यह काउंसलिंग 21 सितंबर से होनी थी।
दरअसल, अभी भी कई संस्थानों में स्नातक अंतिम वर्ष का रिजल्ट जारी नहीं हुआ है जिसकी वजह से यह निर्णय लिया गया है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा की समन्वयक प्रोफेसर अमिता बाजपेयी ने बताया कि अभ्यर्थियों के हित को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
काउंसलिंग प्रक्रिया 21 सितंबर के बजाय अब 19 अक्टूबर से शुरू होकर 8 नवंबर तक चलेगी। 9 नवंबर से बीएड का नया सत्र शुरू होगा। काउंसलिंग के बाद खाली रह गई सीटों को पूल काउंसलिंग के माध्यम से भरा जाएगा।
उन्होंने अभ्यर्थियों को सलाह दी है कि अपने सभी प्रमाण पत्र तथा शुल्क की धनराशि पहले से ही तैयार रखें जिससे कि काउंसलिंग के दौरान उन्हें कोई असुविधा ना हो। बीएड काउंसलिंग में इस बार आर्थिक रूप से कमजोर तबके के अभ्यर्थियों को भी आरक्षण मिलेगा।
हालांकि, यह आरक्षण केवल सरकारी एवं अनुदानित महाविद्यालयों में ही रहेगा। निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की सुविधा इस बार उपलब्ध नहीं होगी। करीब दो लाख सीट के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में कुल 4,31,904 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। इसमें से 3,57,701 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन 9 अगस्त को हुआ था। प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट 5 सितंबर को जारी किया गया था।

UP BEd : यूपी में वर्ष 2022 से लागू हो सकता है चार वर्षीय बीएड कोर्स, नई शिक्षा नीति में दी गई है 2030 तक की मोहलत

UP BEd : यूपी में वर्ष 2022 से लागू हो सकता है चार वर्षीय बीएड कोर्स, नई शिक्षा नीति में दी गई है 2030 तक की मोहलत

नई शिक्षा नीति में चार वर्षीय बीएड कोर्स लागू करने के लिए ज्यादा मोहलत दिए जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश में यह पहले ही लागू हो सकता है। नई शिक्षा नीति लागू करने को गठित उच्च शिक्षा विभाग की स्टीयरिंग कमेटी को इस संबंध में लगातार सुझाव मिल रहे हैं। ऐसे में यह कोर्स वर्ष 2022 से ही लागू करने पर विचार चल रहा है। प्रदेश में इस समय दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम लागू है। अभ्यर्थी चाहे स्नातक हो या स्नातकोत्तर उसे दो वर्षीय बीएड ही करना पड़ता है। हालांकि नई शिक्षा नीति में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को एक वर्षीय बीएड करने की छूट देने का भी प्रावधान है। दो वर्षीय बीएड केवल स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को करना होगा। 

नई शिक्षा नीति में यह प्रावधान है कि वर्ष 2030 के बाद केवल चार वर्षीय बीएड करने वाले ही शिक्षक भर्ती के लिए पात्र होंगे। इस तरह वर्ष 2026 तक दाखिला लेकर स्नातक के साथ बीएड की डिग्री हासिल करने वाले पात्रता की श्रेणी में आ जाएंगे। यह पाठ्यक्रम इंटरमीडिएट के बाद ही चुनना होगा। 

स्टीयरिंग कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित करने की तैयारी पहले से चल रही थी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह पाठ्यक्रम ज्यादा उपयोगी होगा। इससे शिक्षण कार्य के प्रति प्रतिबद्ध लोग आगे आएंगे। ऐसे में इसे लागू करने में देर करने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार की मंशा भी है कि नई शिक्षा नीति वर्ष 2022 से लागू कर दी जाए। हालांकि उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को दोनों पाठ्यक्रम साथ-साथ संचालित करते रहना चाहिए। 

एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि इस संबंध में सरकार को सुझाव दिया गया है।