बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों के मामले में जिले में तैनाती और पदोन्नति एक साथ नहीं

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति व वरिष्ठता जिला स्तर की है। यदि शिक्षक मनचाहे किसी और जिले में तबादला कराता है तो नए जिले में वह सबसे कनिष्ठ हो जाता है। ऐसे शिक्षकों को उस जिले के अन्य शिक्षकों की तरह तय सेवाकाल पूरा होने पर पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकता। यह आदेश बेसिक शिक्षा परिषद सचिव रूबी सिंह ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिया है।
असल में, पिछले वर्षो में हुए अंतर जिला तबादले के दौरान जारी निर्देशों में इस तथ्य को प्रमुखता से बताया जा चुका है। इसके बाद भी मनचाहे जिले में पहुंचने वाले शिक्षक फिर पदोन्नति के लिए आवेदन कर रहे हैं। इससे बीएसए असहज हैं और उन्होंने परिषद सचिव से मार्गदर्शन मांगा। परिषद यह भी स्पष्ट कर चुका है कि परिषदीय शिक्षकों के लिए अंतर जिला तबादला उनका अधिकार नहीं है, बल्कि यह प्रक्रिया होगी या नहीं यह निर्णय शासन करता है।

इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि तबादला लेने वाले शिक्षक की वरिष्ठता नए जिले में सबसे कनिष्ठ हो जाएगी। ज्ञात हो कि प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर सहित अन्य जिलों में अंतर जिला तबादला कराकर पहुंचे शिक्षक पदोन्नति की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि वे दस वर्ष की सेवा पूरी कर चुकी है इसलिए पदोन्नत किया जाए। सचिव ने बीएसए को भेजे निर्देश में कहा है कि 20 दिसंबर 2001 के शासनादेश में दिया गया है कि प्राथमिक शिक्षकों को साधारण वेतनमान में 10 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण करने पर चयन वेतनमान अनुमन्य कराया जाएगा। 20 अगस्त 2004 का शासनादेश में कहा गया है कि समयमान वेतनमान की व्यवस्था किसी कर्मचारी को सेवा में वृद्धिरोध बचाने के लिए उसे उसकी संपूर्ण सेवा अवधि में निर्धारित शर्तो के अधीन दी जाएगी। वहीं, पदोन्नति होने पर प्रोन्नति में जाने से इन्कार करने वाले कर्मचारी के मामले में सेवा वृद्धि रोध नहीं माना जा सकता है। ऐसा कर्मचारी अनुमन्य लाभों का पात्र नहीं रह जाता है। सचिव ने यह भी लिखा है कि अध्यापकों की पदोन्नतियां पूर्व में की गई थी, वहीं जिन्होंने खुद डिमोशन लिया है उन्हें समयमान वेतनमान दिए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

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