UPSESSB TGT PGT Recruitment 2021: उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में पीजीटी (प्रवक्ता) 2020 भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार 5 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 31 अक्तूबर से पहले भर्ती पूरी करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने एक दिन में रिकॉर्ड अभ्यर्थियों को बुलाने की तैयारी की है। एक इंटरव्यू बोर्ड को प्रतिदिन 100 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार करने की जिम्मेदारी दी जा रही है।
वर्तमान में पांच सदस्य होने के कारण पांच बोर्ड गठित होगा। लिहाजा एक दिन में 500 अभ्यर्थियों के साक्षात्कार होंगे। जबकि इससे पहले एक दिन में एक बोर्ड औसतन 40 से 50 और अधिकतम 60 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लेता रहा है। ऐसे में साक्षात्कार की गुणवत्ता पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इंटरव्यू सुबह 9 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे या अधिकतम 6 बजे तक चलते हैं। बीच में 30 मिनट का लंच ब्रेक होता है।
यदि 9 से 6 बजे तक की टाइमिंग मान लें तो भी 100 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लेने के लिए एक बोर्ड को कुल 8.30 घंटे (510 मिनट) का समय मिलेगा। यानि प्रत्येक भावी शिक्षक की योग्यता परखने के लिए इंटरव्यू बोर्ड को औसतन पांच मिनट का समय मिलेगा। हालांकि चयन बोर्ड का कहना है कि जब तक साक्षात्कार पूरा नहीं होता तब तक साक्षात्कार लिए जाएंगे भले ही रात के 9 या 10 बज जाएं। चयन बोर्ड ने शायद ही कभी एक दिन में इतने अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया गया हो।
उच्चतर में न्यूनतम 20 मिनट देते हैं किसी भी भर्ती संस्था की नियमावली में इस बात का जिक्र नहीं है कि साक्षात्कार कितनी देर तक लिया जाना चाहिए। हालांकि इंटरव्यू बोर्ड अभ्यर्थी की योग्यता परखने के लिए पर्याप्त समय लेता है। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का इंटरव्यू बोर्ड अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए एक अभ्यर्थी का कम से कम 20 मिनट साक्षात्कार लेता है। एक दिन में एक बोर्ड को औसतन 20 और अधिकतम 25 अभ्यर्थी ही एलॉट किए जाते हैं।
अगस्त में शामिल होने वाले परीक्षाएं- परीक्षाएं आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर चेक कर सकते हैं। इसके अलावा उम्मीद जताई जा रही है कि सीबीएसई परिणाम 2021 कक्षा 10 की तारीख और समय जल्द ही जारी कर दिया जाएगा।
CBSE Result 2021: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education, CBSE)12वीं कक्षा के प्राइवेट और स्पेशल परीक्षाओं के नतीजें जल्द घोषित कर दिए हैं। हालांकि पहले संभावना जताई जा रही थी कि रिजल्ट कल यानी कि 30 सितंबर, 12वीं प्राइवेट और स्पेशल परीक्षाओं का रिजल्ट कल जारी कर सकता है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड ने कुछ समय पहले देश की सर्वोच्च न्यायालय को परिणाम की तिथि के संबंध में सूचित किया था। इस सूचना के आधार पर मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि कक्षा 12 के निजी उम्मीदवारों और विशेष परीक्षाओं के परिणाम कल, 30 सितंबर, 2021 को दोपहर 12 बजे घोषित हो सकते हैं। लेकिन अब बोर्ड ने रिजल्ट जारी कर दिया है। ऐसे में जो, छात्र- छात्राएं अगस्त और सितंबर में आयोजित हुईं ऑफलाइन परीक्षा में शामिल हुए थे, वे आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जारी होने के बाद अपना परिणाम देख सकते हैं।
नई दिल्ली: नवोदय विद्यालय समिति, एनवीएस ने कक्षा 6 और 11 के छात्रों के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) परिणाम 2021 जारी किया है। कक्षा 6 के लिए एनवीएस परिणाम लिंक वेबसाइट पर उपलब्ध है, लेकिन एक आधिकारिक नोटिस प्रकाशित किया जाना बाकी है। . जो छात्र इस साल प्रवेश परीक्षा के लिए उपस्थित हुए थे, वे अपना परिणाम केवल अपना रोल नंबर और जन्म तिथि दर्ज करके ऑनलाइन देख सकते हैं। कक्षा 11 के लिए उम्मीदवारों की अनंतिम चयन सूची भी उपलब्ध कराई गई है और उम्मीदवार इसे आधिकारिक वेबसाइट– navodaya.gov.in पर देख सकते हैं। चयनित उम्मीदवार अपने दस्तावेज अपने संबंधित जेएनवी में जमा कर सकते हैं
फतेहपुर : डीबीटी फीडिंग इन दिनों जिले में परिषदीय शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। शासन की तरफ से बढ़ते दबाव के चलते अफसर भी अपने अधीनस्थों पर दबाव बढ़ाते दिख रहे हैं। प्रतिदिन इस कार्य की समीक्षा की जाने लगी है। शिक्षकों का कहना है कि यह डीबीटी नहीं बल्कि दबाव बनाओ तकनीक है। जबरन दबाव डालकर कम्प्यूटर आपरेटरों की बजाए हमसे काम कराया जा रहा है।
ड्रेस, जूता मोजा व बैग समेत अन्य सुविधाओं को भौतिक रूप से देने की बजाए इनकी धनराशि स्कूली बच्चों के खातों में ट्रांसफर करने के लिए इन दिनों युद्धस्तर पर काम चल रहा है। मजे की बात है कि इसके लिए शिक्षकों को कोई तकनीकी प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। शिक्षकों के ही मोबाइल फोन व इंटरनेट पैक से डीबीटी का काम होने से शिक्षकों के अंदरखाने तगड़ा विरोध है। अब तक शिक्षक डीबीटी के तकनीकी पहलुओं से भली भांति परिचित नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति में जिले के करीब ढाई लाख बच्चों की डीबीटी फीडिंग त्रुटिरहित होना बड़ा काम है।
कुछ होमवर्क या रिहर्सल तो कराते शिक्षकों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर फीडिंग कराने से पहले शिक्षकों का आफलाइन ट्रेनिंग सत्र आयोजित करना बेहद जरूरी था ताकि शिक्षकों को डीबीटी से जुड़े सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी हो जाती। डीबीटी ऐप के संचालन में ही तमाम दिक्कते हैं। अब तक तमाम शिक्षक मोबाइल नंबर फीड न होने के कारण अब तक ऐप में लागिन ही नहीं कर पाए।
शिक्षक का ही मोबाइल व इंटरनेट पैक बिडंबना यह भी है कि विभाग शिक्षकों के मोबाइल व इंटरनेट खर्च से ही विभागीय कार्य कराने पर आमादा है। हालात यह हैं कि अपनी निजी जरूरतों व बच्चों की आनलाइन क्लासेज के लिए मोबाइल डाटा रखने वाले शिक्षकों का तमाम डाटा इसी में खर्च हो रहा है। शासन स्तर से इस मामले पर नजर रखे जाने के कारण अफसर भी कुछ सुनने या देखने की स्थिति में नहीं हैं।
नई दिल्ली: स्कूली बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कराने में जुटी केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। इसके तहत स्कूली बच्चों से जुड़ी करीब 26 साल पुरानी मिड-डे मील स्कीम के नाम को बदल दिया गया है। इसका नाम अब पीएम पोषण ( प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण) करने का एलान किया गया है। यानी सरकार भोजन देने के साथ ही बच्चों को सेहतमंद भी बनाएगी। पूरी स्कीम में कई अहम बदलावों को भी मंजूरी दी गई है। अगले पांच साल में स्कीम पर करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में मिड-डे मील स्कीम में बदलाव को यह मंजूरी दी गई। इस पूरी योजना का लाभ देशभर के करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों और करीब 11 लाख स्कूलों को मिलेगा। पीएम पोषण के नाम से यह स्कीम इसी वित्तीय वर्ष से लागू होगी। स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने के लिए मिड-डे मील स्कीम की यह शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। तब से यह स्कीम लगातार संचालित है और सरकार की लोकप्रिय स्कीमों में शुमार है। इस पूरे बदलाव के पीछे जो अहम वजह बताई जा रही है, उनमें स्कीम के मौजूदा नाम और स्वरूप में फोकस सिर्फ भोजन पर था, जबकि सरकार का फोकस स्कूली बच्चों को अब पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने पर है जो नई स्कीम से स्पष्ट हो रहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने योजना में किए गए बदलावों को साझा किया और कहा कि इसमें पारदर्शिता पर जोर दिया गया है। स्कूलों को कुकिंग कास्ट आदि का पैसा अब सीधे डीबीटी के जरिये भेजा जाएगा। साथ ही पोषण युक्त भोजन देने में प्रत्येक जिले को यह छूट भी दी जाएगी कि वह स्थानीय स्तर पर उपयुक्त पोषण युक्त खाद्यान्न या फिर मोटे आनाज को स्कूली बच्चों के खाने में शामिल कर सके। वहीं, पीएम पोषण के दायरे में अब प्री-प्राइमरी के बच्चे भी शामिल होंगे। यानी उन्हें भी स्कूलों में अब पोषण युक्त भोजन मिलेगा।
तिथि भोजन की मुहिम को बढ़ावा देने का फैसला
पोषण मुहिम में सरकार ने स्कूली बच्चों के बीच आपसी जुड़ाव बढ़ाने के लिए तिथि भोजन की पहल को भी तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। इसमें स्कूली बच्चों को महीने में कम से कम एक दिन या विशेष अवसरों पर घर से खाने का एक और टिफिन लाना होगा जो वे आसपास के किसी दूसरे स्कूल में जाकर बच्चों को खिलाएंगे। साथ ही उसके साथ अपना टिफिन भी खाएंगे। नई स्कीम में स्कूलों में शुरू हुई पोषण बगीचे की मुहिम को रफ्तार देने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें ताजी सब्जियां आदि उगाई जाती हैं।
कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा।