उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार किया ,आरक्षण आवंटन मामले में दखल से इनकार

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव से जुड़ी खबर ➡सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार किया ➡आरक्षण आवंटन मामले में दखल से इनकार

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव से जुड़ी खबर

🔴सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार किया

🔴आरक्षण आवंटन मामले में दखल से इनकार

🔴SC ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने को कहा

🔴दोनों याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएं- सुप्रीम कोर्ट

🔴गोरखपुर,अयोध्या के याचिकाकर्ता HC जाएं- SC

पंचायत चुनाव में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा अहम सुनवाई आरक्षण

पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर 26 मार्च को होने वाली सुनवाई के बाद ही आयोग अपने अगले कदम के बारे में कोई निर्णय करेगा। बीते 15 मार्च को हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के खिलाफ सीतापुर जिले के बिसवां के दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल कर रखी है। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार तथा पंचायती राज विभाग के साथ-साथ राज्य निर्वाचन आयोग भी पक्षकार बनाया गया है। लिहाजा भावी प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके कार्यकर्ताओं की निगाह भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर लगी हुई है।

यूपी पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिका के खिलाफ यूपी सरकार ने कैविएट अर्जी दी

यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन सकती है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर अपनी कैविएट अर्जी दी है. इसके तहत सरकार ने कहा कि उसका पक्ष भी सुना जाए.





लखनऊ: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कैविएट दाखिल किया है. सरकार का कहना है कि पंचायत चुनाव से जुड़ी सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जाए. बता दें कि, यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव के लिये जारी की गई आरक्षण सूची के लेकर हाईकोर्ट की फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2015 के नियम के अनुसार ही आरक्षण को लागू करने की व्यवस्था की थी.


सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका क्या है

अब ये मामला चुंकि सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. इस बीच आज यूपी सरकार ने भी इस पर कैविएट दाखिल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, हाईकोर्ट के फैसले के बाद जारी की गई नई आरक्षण लिस्ट में दलितों और वंचितों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है. इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.


वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले में बड़ी संख्या में लोग अपनी सहमति दे चुके हैं, और सरकार 2015 को आधार वर्ष मानकर नई सूची भी तैयार करा रही है. लेकिन, दिलीप कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर विचार किया जाना चाहिए.


क्या होती है कैविएट अर्जी


कैविएट एक लैटिन शब्द है. इसका अर्थ होता है सतर्क (Be Aware). ये एक सूचना है जो एक पक्ष के द्वारा कोर्ट को दी जाती है. इसके तहत ये कहा जाता है कि, अदालत वादी को बिना नोटिस भेजे विपक्षी पार्टी को कोई भी राहत न दें, और ना ही कोई कार्रवाई करे. ये एक तरह का बचाव होता है जो एक पक्ष द्वारा लिया जाता है. सिविल प्रोसीजर कोड 148(a) के अंतर्गत कैविएट अर्जी दाखिल की जाती है.

UP PANCHAYAT ELECTION 2021 RESERVATION LIST: जानिए, पंचायत चुनाव के लिए किस-किस जिले में आज जारी होगी आरक्षण लिस्ट

यूपी में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर नए सिरे से तय किए गये पदों के आरक्षण और आरक्षित सीटों के आवंटन की पहली सूची शनिवार 20 मार्च से प्रकाशित होना शुरू होगी।

ग्राम प्रधान, ब्लाक प्रमुख, ग्राम पंचायत सदस्य व जिला तथा क्षेत्र पंचायत सदस्य के पदों के आरक्षण व आरक्षित सीटों के आवंटन की यह सूची ब्लाक मुख्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय पर देखी जा सकेगी। सोमवार 22 मार्च तक इन सूचियों का प्रकाशन होगा। इसके साथ ही 20 मार्च से 23 मार्च के बीच इस पहली सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकेंगी। 24 से 25 मार्च के बीच इन दावे और आपत्तियों का संकलन कर उनका निस्तारण किया जाएगा। इसके साथ ही अंतिम सूची तैयार की जाएगी। 26 मार्च को इस अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।

जानिए किन-किन जिलाें में होगी लिस्ट जारी :

वाराणसी, मेरठ, संभल, हापुड़, कानपुर, एटा, फिराेजाबाद, मैनपुरी, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, गोरखपुर सहारनपुर, बलिया, गाजियाबाद आदि जिलों में आरक्षण सूची जारी होना तय है। इसके अलावा भी कुछ और जिलों में लिस्ट जारी होगी। जिन जिलों में आज लिस्ट नहीं आएगी वहां कल (रविवार) को लिस्ट जारी होने की संभावना है।

संभल में तैयारी पूरी :

संभल जिले में आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर इंतजार शनिवार को खत्म हो जाएगा। जिला प्रशासन शनिवार को पूरा आरक्षण जारी कर देगा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर शुक्रवार को दिन भर विकास खंडों से लेकर डीपीआरओ दफ्तर तक आरक्षण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में सरकारी अफसर जुटे दिखाई दिए। सरकार द्वारा दिए गए निर्देश 2015 के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया के जहां एक ओर अधिकारी आंकड़े जुटाकर उनके हिसाब से जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य को लेकर पूरी कवायद कर रहे थे। डीएम संजीव रंजन के निर्देशानुसार बिना त्रुटि के आरक्षण को अंतिम रूप दिया जा रहा था। देर रात्रि तक अधिकारी इसी प्रक्रिया को करते रहे ।अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो शनिवार को जिले के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी और जिला प्रशासन आरक्षण की सूची जारी करते हुए इसे आपत्ति के लिए चस्पा कर देगा।

कानपुर में रातभर चलता रहा मंथन :

आरक्षण सूची को लेकर कानपुर विकास भवन में दिनभर और रात तक मंथन चलता रहा। अब शनिवार को डीएम की मुहर लगने के बाद आरक्षण सूची जारी कर दी जाएगी। जिला पंचायतराज अधिकारी कमल किशोर ने बताया कि अधिकतर लोगों के पास एंड्रायड फोन है। ऐसे में आरक्षण सूची को पीडीएफ फाइल के रूप में जारी किया जाएगा। इससे यह सभी एंड्रायड मोबाइल में खुल जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर जारी होने के कुछ ही देर में आरक्षण सूची दावेदारों तक पहुंच जाएगी और लोग सीट का पलक झपकते ही आरक्षण जान सकेंगे। पहले लोग फोटोकॉपी कराने में पैसे खर्च करते थे। अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा।

मेरठ में प्रस्ताव तैयार :

मेरठ जिला प्रशासन और पंचायती राज विभाग ने त्रिस्तरीय पंचायतों के आरक्षण को अंतिम रूप दे दिया। प्रस्ताव तैयार कर लिए गए। शनिवार सुबह आम जनता के लिए जारी कर दिया जाएगा। विशेष बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब मेरठ जिला पंचायत और ग्राम पंचायतों के आरक्षण में भारी उलटफेर हो गया है। जिला पंचायत में सरधना, सिवालखास क्षेत्र की सीटें आरक्षित से अनारक्षित हो गई हैं। हालांकि आधिकारिक घोषणा शनिवार सुबह की जाएगी। डीपीआरओ आलोक सिन्हा ने बताया कि प्रस्ताव तैयार हो गए हैं। सुबह जारी होगा।

वाराणसी में हुई बैठक :

वाराणसी में भी पंचायत चुनाव के संबंध में ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य समेत अन्य पदों पर आरक्षण की दूसरी सूची शनिवार को जारी होगी। शुक्रवार को ग्राम पंचायतवार आरक्षण की सूची को संशोधित किया गया। विकास भवन में देर शाम सीडीओ मधुसूदन हुल्गी की अध्यक्षता में सभी बीडीओ की बैठक हुई। जिसमें ब्लॉकवार आरक्षण सूची की जांच की गई। पिछली सूची में हुई गड़बड़ी से सीख लेते हुए अधिकारियों ने इस बार गंभीरता से कार्य करने का दावा किया है। गड़बड़ी सामने आने के बाद सीडीओ ने आरक्षण सूची जारी करने की जिम्मेदारी खुद ली है।

वरिष्ठता के आधार पर लगेगी कर्मचारियों की ड्यूटी, पोलिंग पार्टी को तीन वर्गों में बांटा:सॉफ्टवेयर से होगी पीठासीन अधिकारियों व मतदान अधिकारियों की नियुक्ति

लखनऊ। पंचायत चुनाव में निर्वाचन आयोग ने इस बार मतदान दलों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने में वरिष्ठता का ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। निर्वाचन आयोग की ओर से मंगलवार को जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक पीठासीन अधिकारी एवं मतदान अधिकारी को उनके ग्रेड-पे के आधार नियुक्त किया जाएगा। किसी भी अधिकारी को उनसे निम्न पद के कार्मिक के अधीन ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा।

वहीं इस बार पंचायत चुनाव में मतदान दलों के लिए कर्मचारियों का आकलन मतदान दलों की संख्या से 20 प्रतिशत अधिक के आधार पर किया जाएगा। पहले मतदान दलों की संख्या से 30 प्रतिशत अधिक के आधार पर मतदान दलों के कर्मचारियों का आकलन किया जाता था।


सॉफ्टवेयर से होगी पीठासीन अधिकारियों व मतदान अधिकारियों की नियुक्ति

इस बार पंचायत चुनाव में जिले में मतदान दलों में पीठासीन अधिकारी और मतदान अधिकारियों की नियुक्ति सॉफ्टवेयर के जरीए की जाएगी। इसके लिए कर्मचारियों की उपलब्धता के आधार पर ईएसडी सॉफ्टवेयर में प्री-एनालिसिस टूल उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें तैनाती के इसमें ग्रेड-पे की रेंज चुनकर पोलिंग पार्टी में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों का सटीक आकलन किया जाएगा। मतदान कर्मचारियों को उनके जिले में ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी कर्मचारियों का प्रशिक्षण एक ही बार में पहले चरण के मतदान से पहले ही कराया जाएगा।



पोलिंग पार्टी को तीन वर्गों में बांटा

1. पीठासीन अधिकारी – ग्रेड-पे 4600 से 5400 तक के कर्मचारी।
2. मतदान अधिकारी प्रथम- ग्रेड पे 1900 से 4200 तक के कर्मचारी।
3. मतदान अधिकारी द्वितीय – ग्रेड पे 1800 तक के कर्मचारी एवं संविदा कर्मचारी।


बीएलओ नहीं लगाए जाएंगे

आयोग ने बूथ लेवल अधिकारी के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों को मतदान दल में ड्यूटी नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा आयोग ने मतदान दल में एक या एक से अधिक संविदा कर्मचारी को भी रखने की छूट दी है।

यूपी पंचायत चुनाव : एक सीट का भी आरक्षण बदला तो छह सीटों पर पड़ेगा असर, जानें कैसे होगा रिजर्वेशन

हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद से एक बार फिर से गांव देहात की राजनीति में गर्माहट आ गई है। सोमवार दोपहर 2015 के आरक्षण के आधार पर त्रिस्तीय पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया को लागू करने के कोर्ट के आदेश के बाद उन तमाम लोगों के चेहरे पर रौनक लौट आई जो इस बार हुए आरक्षण की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते थे। गांवों में फिर से नये समीकरण बनाए जाने लगे। आरक्षण व्यवस्था बदलने मात्र की खबर से ही संभावित प्रत्याशी भी बदले जाने लगे हैं।

पंचायतराज विभाग में भी गुणा गणित का दौर शुरू हो गया है। अगर एक सीट का आरक्षण बदलेगा तो उसका असर छह सीटों पर पड़ता है। इस तरह से देखा जाए तो प्रधान पदों पर शाहजहांपुर जिले में 400 आपत्तियां थीं, इस तरह से बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का आरक्षण बदलेगा। इसी तरह से बीडीसी, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत के वार्डों के आरक्षण पर भी खासा बदलाव देखने को मिल सकता है। अभी जब आरक्षण जारी किया गया तो गांवों में दावतों का दौर शुरू हो गया था, लेकिन कोर्ट ने जैसे ही आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाई तो प्रत्याशियों के घरों में जल रहे चूल्हों की आंच कम हो गई थी। अनिश्चितता का माहौल हो गया था। पर अब सोमवार को जब कोर्ट ने कहा कि 2015 के हिसाब से ही आरक्षण लागू किया जाए तो नये संभावित प्रत्याशियों की बांछें खिल गईं। इस दौरान लोगों ने गांव में चौपालों पर भीड़ लगानी शुरू कर दी।

एक-दूसरे से फोन पर संपर्क कर आगे की संभावनाओं पर लोग चर्चा करने लगे। कोर्ट के आदेश के अनुसार अगर आरक्षण लागू होता है तो सबसे ज्यादा फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को होगा, क्योंकि सबसे ज्यादा परेशानी में भी सामान्य वर्ग के ही लोग आ गए थे। शाहजहांपुर में आरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा आपत्तियां भी सामान्य वर्ग के लोगों ने दाखिल की थीं।

किसी के चूर तो किसी के साकार होंगे प्रधान बनने के सपने
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण को लेकर अंतिम प्रकाशन की तारीख से एक दिन पहले ही एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। साथ ही 25 मई तक पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत हजारों लोग ऐसे थे, जिन्हें फायदा होगा। पूर्व में जारी आरक्षण के आधार पर अब तमाम लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे थे, वह अब फिर से अपनी किस्मत को आजमा सकते हैं। लागू होने वाले आरक्षण के कारण अब बहुतों को मायूसी होगी तो वहीं बहुतों की किस्मत चमकेगी।

अधिकारी-कर्मचारियों में चलता रहा मंथन
सोमवार को जनहित याचिका पर आये हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सोमवार को डीपीआरओ दफ्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों में मंथन चलता रहा, क्योंकि अब फिर से आरक्षण प्रक्रिया को लेकर अफसरों और कर्मचारियों को खाका तैयार करने के लिए जुटना होगा। डीपीआरओ पवन कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को लेकर अभी तक कोई शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। शासनादेश आने के बाद ही कार्यालय में पंचायत चुनाव को लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी

पंचायत चुनाव : आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 2015 को मूल वर्ष मानते हुए कराएं चुनाव

🔴यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 2015 को मूल वर्ष मानते हुए कराएं चुनाव, सरकार भी फैसले से सहमत, 25 मई तक अब संपन्न होंगे चुनाव🔴

यूपी पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों के आवंटन पर आरक्षण लागू किया जाए और यह प्रक्रिया 25 मार्च तक पूरी करने के लिए कहा है।

इसके पूर्व, राज्य सरकार ने स्वयं कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश पारित किए हैं।

बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।

याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया था। उक्त शासनादेश में ही कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 की जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा।

कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे। कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया।

पंचायत चुनाव की वजह से UPTET और डीएलएड परीक्षा में हो सकती है देरी

लखनऊ: कोरोना संक्रमण की वजह से 2020 में टाली गई यूपी टीईटी और डीएलएड परीक्षा के आयोजन में अभी देरी हो सकती है. हालांकि दोनों परीक्षाओं के लिए शासन को दो बार प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. शासन से मंजूरी के बाद ही परीक्षा का आयोजन कराया जा सकेगा.

दरअसल ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अप्रैल महीने में पंचायत चुनाव के बाद 2020 में टाली गई टीईटी और डीएलएड की परीक्षा अप्रैल के बाद के महीनों में आयोजित कराई जा सकती है. इसके अलावा ये भी कयास लगाया जा रहा है कि यूपी में 12 मई तक होने वाली बोर्ड की परीक्षाओं की वजह से भी टीईटी और डीएलएड एग्जाम में विलंब हो रहा है.

टीईटी-2020 और डीएलएड-2020 के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से अब तक दो बार शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. दिसंबर महीने में भेजे गए प्रस्ताव में 28 फरवरी 2021 को परीक्षा आयोजित कराए जाने की योजना थी, लेकिन ये परीक्षा नहीं कराई जा सकी.



इसके बाद शासन, एनआईसी और परीक्षा संस्था के बीच हुई बैठक में 7 मार्च 2021 को परीक्षा के आयोजन का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन इस पर भी कोई बात नहीं बन सकी. बहरहाल अब पंचायत चुनाव और बोर्ड परीक्षा के बाद ही टीईटी और डीएलएड एग्जाम की तारीख निकलने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे छात्रों को कुछ दिन और इंतज़ार करना होगा.

BIG BRAKING NEWS : उ0 प्र0 पंचायत चुनाव पर ब्रेक, हाइकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक लगाई।

उ0 प्र0 पंचायत चुनाव पर ब्रेक, हाइकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक लगाई।

पंचायत चुनाव आरक्षण अधिसूचना जारी, देखें👇

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