यूपी सरकार का बड़ा फैसला, पंचायत चुनाव में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान मौत हुई, उनके परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना गया

Lucknow : यूपी सरकार का बड़ा फैसला, पंचायत चुनाव में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान मौत हुई, उनके परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना गया

कोरोना संक्रमण काल के दौरान पंचायत चुनाव में मृत सभी शिक्षक तथा सरकारी कर्मियों के आश्रितों के हित में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। लम्बे समय से चल रहे विवाद का सोमवार को सरकार ने पटाक्षेप कर दिया। इसके लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना है, जबकि आमतौर पर इसको तीन दिन माना जाता है।




उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पंचायत चुनाव के दौरान मृत शिक्षक या अन्य सरकारी कर्मी के परिवारीजन को 30-30 लाख रुपया की आर्थिक सहायता देगी। सरकार ने लम्बे अध्ययन तथा विचार-विमर्श के बाद तय किया कि चुनाव की तिथि के से 30 दिन के अंदर किसी भी कारण से मृत शिक्षकों तथा सरकारी कर्मियों के परिवार के लोगों को प्रदेश सरकार आर्थिक सहायता के रूप में 30-30 लाख रुपया की धनराशि प्रदान करेगी।


सरकार जरा भी निराश नहीं करेगी: कोरोना संमक्रण काल में पंचायत चुनाव में ड्यूटी या फिर चुनाव की तारीख के 30 दिन के बाद मृत शिक्षक व अन्य सरकारी कर्मी के परिवार को सरकार जरा भी निराश नहीं करेगी। अब सभी का ब्यौरा लेकर उनको सहायता राशि देने की प्रक्रिया पर काम होगा। जिससे कि कम समय में ही उन सभी को सहायता मिल सके।





आर्थिक मदद का आधार कर्मी की कोविड-19 की किसी भी तरह की पॉजिटिव रिपोर्ट: प्रदेश में पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने की तिथि से 30 दिन में जान गंवाने वाले शिक्षकों व अन्य कर्मियों के परिवार के लोगों को सरकार की तरफ से जरा भी निराशा नहीं होगी। सरकार किसी भी कर्मी जिसका निधन कोरोना वायरस के संक्रमण से हुआ या फिर पोस्ट कोविड के कारण उसकी मौत हुई, के परिवार के साथ है। उसके परिवार को आर्थिक मदद का आधार कर्मी की कोविड-19 की किसी भी तरह की पॉजिटिव रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट, सीटी स्कैन आदि को माना जाएगा। अगर रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी यदि 30 दिन में किसी का निधन होता है तो उसे भी कोविड से मृत्यु मानते हुए अनुग्रह राशि दी जाएगी। संबंधित प्रस्ताव को आज ही कैबिनेट की बैठक में भी मंजूरी मिलने की पूरी उम्मीद है।


उ0प्र0 सरकार – बदली जाए गाइडलाइंस, निर्वाचन आयोग से होगी बातचीत, चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों की मौत पर बवाल

🔴 चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों की मौत पर बवाल
🔴 विपक्ष ने उठाया मुद्दा तो हरकत में आई सरकार

पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान जिन टीचर्स की कोरोना से मौत हुई, उनके परिवारों को मिले मुआवजा और सरकारी नौकरी- CM योगी का आदेश

सीएम योगी ने आदेश जारी किया कि पंचायत चुनाव इलेक्शन ड्यूटी के दौरान जिन टीचरों की मृत्यु हुई है उनके परिवारों को राज्य निर्वाचन आयोग से बात कर मुआवजा और सरकारी नौकरी दिलाई जाए.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों के दौरान कोरोना संक्रमण से सैंकड़ों टीचरों की मौत (UP panchayat election teachers death) के मामले में अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्ती दिखाई है. सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aditya Nath) ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को गुरुवार को आदेश दिया कि पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान जिन टीचरों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है उनके परिवार को राज्य निर्वाचन आयोग से बात कर न सिर्फ मुआवजा दिलाया जाए बल्कि परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाए.

सीएम ने कहा कि चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौतों को लेकर उन्हें बेहद अफ़सोस है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की संवेदना ऐसे हर परिवार के साथ है. शिक्षक संगठनों की मानें तो हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अन्य विभागीय कर्मियों की कोरोना से मौत हुई है.

सीएम योगी ने कहा कि चुनाव ड्यूटी करने वाले जो भी व्यक्ति कोरोना के कारण दिवंगत हुए हैं, उन्हें चुनाव आयोग की गाइडलाइन में संशोधन कर मुआवजा और नौकरी दी जानी चाहिए. सीएम योगी ने कहा- क्योंकि चुनाव आयोग की गाइडलाइंस जब जारी हुई थी उस समय कोरोना नहीं था इसलिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि इलेक्शन ड्यूटी के कारण जिन कर्मियों को संक्रमण हुआ और बाद में जिनकी मौत हुई, उन सभी को नियमानुसार मुआवजा देने के संबंध में चुनाव आयोग से बातचीत की जाए.

इससे पहले उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनावों ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है.

कल ही कहा था कि सिर्फ 3 की मौत हुई
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने शिक्षक संगठनों के दावे को बुधवार को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने साफ़ कहा था कि स्थापित मानकों के हिसाब से देखें तो चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है. इसके अलावा विभाग के सचिव सत्य प्रकाश की तरफ से जारी प्रेस नोट में भी मतगणना में लगे कर्मचारियों के अपने घर से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने और फिर ड्यूटी समाप्त कर वापस घर पहुंचने के दौरान सिर्फ 3 कर्मचारियों की मौत को ही सच ठहराया गया था. सिर्फ इन तीन लोगों के परिवारों के लिए ही मुआवजे का भी ऐलान किया गया है.

सीएम योगी ने कहा- “प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को सभी आवश्यक सुविधाएं देने के लिए तत्पर है, विशेषकर, ऐसे समय पर जब उन्होंने चुनाव या अन्य कोई ड्यूटी की है. उन्हें और उनके परिवार को समुचित सहायता उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग से विचार विमर्श कर आवश्यक संस्तुतियां देने के लिए अनुरोध किया जाए. चूंकि इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइंस पुरानी है, तब कोरोना नहीं था,अतः इस संबंध में नए सिरे से सहानुभुतिपूर्वक विचार की आवश्यकता है.”

आजमगढ़ में हुईं सबसे ज्यादा मौतें
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा के मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की संक्रमण से मौत हुई है. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप इन सभी मृत शिक्षकों/शिक्षामित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि वो राज्य निर्वाचन आयोग से संवाद कर ऐसे हर कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहायता और नौकरी दिलाएं, जिनकी चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई.



उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान शिक्षकों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एक ओर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की ड्यूटी के दौरान अभी तक सिर्फ 3 शिक्षकों जान गंवाने की बात कही तो दूसरी तरफ शिक्षक संघ का कहना है कि हमारे 1600 से ज्यादा शिक्षकों की मौत हुई है. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्टिव हो गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को निर्देश दिया है कि वो राज्य निर्वाचन आयोग से संवाद कर ऐसे हर कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहायता और नौकरी दिलाएं, जिनकी चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई।

नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को 15 मई को दिलाई जाएगी शपथ, उसके बाद ब्लाक प्रमुख व जिला प्रमुख का होगा चुनाव

नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को 15 मई को दिलाई जाएगी शपथ, उसके बाद ब्लाक प्रमुख व जिला प्रमुख का होगा चुनाव – new gram pradhan take oath 2021

लखनऊ – त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना पूरी होने के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों की तैयारी शुरू हो गई है। 15 मई तक शपथ ग्रहण कराने के बाद 29 मई तक जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निपटाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव के अनुसार पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे तब क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष (ब्लाक प्रमुख) का चुनाव कराया जाएगा। पंचायतीराज विभाग ने क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव 14 से 17 मई के बीच कराने की योजना है।

सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव 20 से 27 मई के मध्य कराए जा सकते हैं। इससे पहले नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के शपथ ग्रहण और पहली बैठक कराने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। 12 से 15 मई तक शपथ ग्रहण कराने की योजना है। 15 मई को प्रदेश में एक साथ नवगठित ग्राम सभा की पहली बैठक कराने का प्रस्ताव है। बैठक के दिन से ही ग्राम पंचायतों के कार्यकाल की शुरुआत मानी जाएगी।

उधर जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर जोड़तोड़ तेज हो गई है। जिला पंचायत सदस्यों में निर्दल व छोटे दलों के सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण विजयी सदस्यों को अपने पक्ष में करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

चुनाव की आपराधिक घटनाओं में 62 फीसद की कमी

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच भी पुलिस पिछले पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार अपना रिकार्ड सुधारने में कामयाब रही है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने दावा किया है कि वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार पंचायत चुनाव के दौरान आपराधिक घटनाओं में 62 फीसद की कमी दर्ज की गई है। एडीजी ने दोनों पंचायत चुनाव के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों का आंकड़ा भी साझा किया। उनका कहना है कि इस बार हुई गंभीर घटनाओं में आरोपितों के विरुद्ध एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) व गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है। लखनऊ व गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट समेत 20 जिले ऐसे हैं, जहां पंचायत चुनाव के दौरान एक भी घटना नहीं हुई। एडीजी का कहना है कि इस बार पंचायत चुनाव के दौरान प्रदेश में कुल 301 घटनाएं हुईं, जिनमें हत्या के 10, हत्या के प्रयास के 64, बलवा के 71, बूथ लूटने के तीन, मतपेटी लूट के 13, मतपत्र फाड़ने या लूटने के 10, मतदान केंद्र पर मारपीट के आठ, मतदान कर्मियों के साथ बदसलूकी व मारपीट के 17 तथा अन्य मारपीट व विवाद के 105 मुकदमे शामिल हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणाम संबंधी सूचना।

त्रिस्तरी यपंचायत चुनाव परिणाम संबंधी सूचना।

चुनाव ड्यूटी में लगीं महिला कर्मियों को रात में घर जाने की होगी छूट

बदायूं। पंचायत चुनाव के लिए मतदान कराने के लिए जिन महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है उनको रात में घर आने की छूट होगी। अगले दिन मतदान शुरू होने से कम से कम दो घंटे पहले उनको संबंधित मतदेय स्थल पर पहुंचना होगा। जिले में 19 अप्रैल को 3150 स्थलों पर मतदान होना है।

पहली बार पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए एक साथ मतदान कराया जा रहा है। ऐसे में काफी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत है। अब तक करीब 22 हजार कर्मचारियों का डाटा फीड हो चुका है। चुनाव ड्यूटी के लिए कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है। काफी संख्या में महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। 19 अप्रैल को मतदान से पहले 18 अप्रैल को पोलिंग पार्टियों की रवानगी होगी। रात को यह पोलिंग पार्टियां संबंधित मतदान केंद्र और मतदेय स्थल पर ठहरेंगी। काफी संख्या में ऐसे मतदेय स्थल भी हैं जहां महिला कर्मचारियों के लिए रात में ठहरने की ठीक व्यवस्था नहीं है। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने महिला कर्मचारियों को रात में अपने घर जाने की छूट दी है। इसके साथ ही मतदान वाले दिन उनको मतदान से कम से कम दो घंटे पहले मतदेय स्थल पर पहुंचना होगा।

प्रथम चरण में जिन जिलों में मतदान हुआ है वहां महिला कर्मचारियों को रात में घर जाने की सुविधा निर्वाचन आयोग ने दी है। राज्य निर्वाचन आयोग के नियम पूरे प्रदेश में समान हैं। – धर्मेंद्र सिंह, प्रेक्षक राज्य निर्वाचन आयोग

फतेहपुर:- जाने फतेहपुर में कब और कहां होगा चुनाव प्रशिक्षण, आप भी रहे तैयार

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12 से 17 अप्रैल के बीच

पंचायत चुनाव में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा अहम सुनवाई आरक्षण

पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर 26 मार्च को होने वाली सुनवाई के बाद ही आयोग अपने अगले कदम के बारे में कोई निर्णय करेगा। बीते 15 मार्च को हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के खिलाफ सीतापुर जिले के बिसवां के दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल कर रखी है। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार तथा पंचायती राज विभाग के साथ-साथ राज्य निर्वाचन आयोग भी पक्षकार बनाया गया है। लिहाजा भावी प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके कार्यकर्ताओं की निगाह भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर लगी हुई है।

Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की आरक्षण सूची पर आज कोर्ट में सुनवाई, प्रत्याशियों के दिल की धड़कनें तेज

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में 1995 के आरक्षण को आधार वर्ष मान कर किये गए सीट आरक्षण निर्धारण को हाइकोर्ट की लखनऊ खण्ड पीठ ने रद्द कर दिया , और सरकार को आदेशित किया है कि वर्ष 2015 को आधार मानने वाले शासनादेश के आलोक में नए सिरे से सीटों का निर्धारण करें। न्यायालय ने जनहित याचिका अलाउ कर दी ।।

सरकार ने कोर्ट में कहा-
2015 को आरक्षण आधार वर्ष मानने में कोई दिक्कत नहीं है..
कोर्ट ने 27 मार्च तक रिजर्वेशन प्रक्रिया फाइनलाइज करने के आदेश दिये..

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी।

लखनऊ
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। इस पर जिला प्रशासन से लेकर प्रत्याशियों की नजर बनी हुई है। प्रत्याशियों के दिल की धड़कनें बढ़ी हैं। आरक्षण सूची के आधार पर चुनाव प्रचार भी तेजी के साथ शुरू हो चुका था, लेकिन रोक के बाद प्रचार थम गया। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोक दी।

लोनी के एक पूर्व ग्राम प्रधान का कहना है कि आरक्षण की सूची में शासनादेश 2015 का पालन नहीं किया गया। इसकी वजह से जहां सामान्य सीट होनी चाहिए थी, वहां पर ओबीसी कर दिया गया और जहां ओबीसी होना चाहिए, वहां एससी कर दिया गया है। इसकी वजह से चुनाव नहीं लड़ पाने वाले लोगों में काफी निराशा हो गई थी, लेकिन हाई कोर्ट से रोक लगने के बाद अब एक बार फिर उम्मीद जाग गई है।

बता दें कि अजय कुमार ने प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तर्क दिया कि इस बार की आरक्षण सूची 1995 के आधार पर जारी की जा रही है, जबकि 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी की जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम आरक्षण सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।

250 लोगों ने की है आपत्ति

सीटों के आरक्षण की सूची पर 250 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल अभी आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

161 ग्राम पंचायत पर होना है चुनाव
जिले में 161 ग्राम पंचायत पर चुनाव होना है। इसके अलावा 14 जिला पंचायत सदस्य, 323 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 2141 ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। जिला प्रशासन की तरफ से आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। जिला प्रशासन की तरफ से चुनाव की तैयारी भी तेजी के साथ की जा रही है। जिले में इस बार 5 लाख 56 लाख मतदाता वोटिंग करेंगे, जो पिछली बार से 63 हजार अधिक होंगे। जिले में 311 मतदान स्थल और 958 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।

पंचायत चुनाव के आरक्षण प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है अग्रिम शासनादेश आने तक सारे कार्य होंगे बंद

पंचायत चुनाव के आरक्षण प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है अग्रिम शासनादेश आने तक सारे कार्य बंद होंगे

यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण सूची जारी होने के बाद होगा तारीख का ऐलान, 10 से 23 अप्रैल के बीच मतदान की तैयारी

यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण सूची जारी होने के बाद होगा तारीख का ऐलान, 10 से 23 अप्रैल के बीच मतदान की तैयारी

यूपी में होने जा रहे पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों, उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के लिए अप्रैल का महीना बहुत अहम रहेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्य के चार पदों के मतदान के लिए जिस प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार तैयारी शुरू की है, उसके मुताबिक आगामी 25-26 मार्च को इन चुनावों के लिए अधिसूचना जारी होगी।

इसके बाद अप्रैल की शुरुआत से ही नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 10 अप्रैल को पहले चरण का मतदान करवाने की तैयारी है। इसके बाद दो से तीन दिन के अंतराल पर अन्य तीन चरणों का मतदान करवा कर यह प्रक्रिया 23 अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी। चार चरणों में होने वाले इस चुनाव के लिए अप्रैल की शुरुआत से आरम्भ होने वाली नामांकन प्रक्रिया दो दिन नामांकन दाखिले, दो दिन नामांकन पत्रों की जांच, एक दिन नामांकन वापसी, एक दिन चुनाव चिन्ह आवंटन और नामांकन वापसी के बाद से छह से सात दिन चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित होंगे। इस हिसाब से एक चरण के चुनाव में नामांकन दाखिले से लेकर मतदान तक 12 से 13 दिन का समय लगेगा। प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले इस चुनाव में प्रत्येक चरण में 18 से 19 जिलों में एक बार में मतदान करवाया जाएगा। इन चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुल 5.40 लाख मतपेटियों, कुल 52.05 करोड़ मतपत्रों की व्यवस्था की है। आयोग की वोटर लिस्ट में करीब 12.5 करोड़ ग्रामीण मतदाता हैं।