कोरोना के मद्देनजर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद ही खोला जाएगा। ऐसे में फिलहाल स्कूल खुलने के आसार नहीं हैं। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते परिषदीय स्कूलों का संचालन मार्च के दूसरे सप्ताह से नहीं हो रहा है। शैक्षिक सत्र 2019-20 में इन स्कूलों के बच्चों को बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए उत्तीर्ण कर दिया गया था। चालू शैक्षिक सत्र में पठन-पाठन ऑनलाइन क्लास के जरिये हो रहा है। हालांकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में कक्षाओं का संचालन शुरू होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने भी दीपावली के बाद स्कूल खोलने की कवायद शुरू की थी।
इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों से राय भी मांगी गई थी। पर, सूत्रों का कहना है कि कुछ विभागों ने फिलहाल स्कूल नहीं खोलने की सलाह दी है। उधर, शासन में भी उच्च स्तर पर यह निर्णय लिया गया है कि राज्य सरकार की ओर से फिलहाल स्कूल खोलने का निर्णय नहीं लिया जाए। उधर, इस संबंध में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को खोलने के लिए अभी गाइडलाइन जारी नहीं की है। केंद्र की गाइडलाइन के बाद ही परिषदीय स्कूलों को खोला जाएगा।
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी ) और प्रवक्ता (पीजीटी ) के 15 हजार से अधिक पदों पर संशोधित विज्ञापन अगले साल ही आ सकेगा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 31 दिसंबर तक संशोधित विज्ञापन जारी करने की बात कही थी लेकिन तकनीकी अड़चन के कारण देरी हो रही है।
सूत्रों के अनुसार जनवरी के दूसरे या तीसरे सप्ताह में दोबारा ऑनलाइन आवेदन शुरू हो सकते हैं । 18 नवंबर को हुई बैठक में तदर्थ शिक्षक एवं फ्रेश अभ्यर्थियों के लिए अंक देने के दो भिन्न-भिन्न मापदंड होने और जीव विज्ञान विषय सम्मिलित नहीं होने के कारण चयन बोर्ड ने 29 अक्तूबर को शिक्षकों के 15508 पदों के लिए जारी विज्ञापन निरस्त कर दिया था।
छह महीने में भर्ती करना चुनौतीः
टीजीटी-पीजीटी के 15 हजार से अधिक पदों की नियुक्ति प्रक्रिया छह महीने में पूरी करना चयन बोर्ड के लिए चुनौती होगी। सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह के मामले में जुलाई 2021 से पहले खाली पदों पर भर्ती पूरी करने के निर्देश दिए हैं। बोर्ड को पहले आवेदन लेने से लेकरपरीक्षा कराने तक का समय लगता था। बहुत जल्दी करने पर भी छह महीने में परिणाम घोषित करना आसान नहीं होगा।
परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत नवनियुक्त सहायक अध्यापको के शैक्षिक अभिलेखों के शक्षिक/ प्रशिक्षण/ अभिलेखों के सत्यापन हेतु विभिन्न बोर्डों/विश्वविद्यालयों द्वारा लिये जाने वाले सत्यापन शुल्क का विवरण
यूपी पंचायत चुनाव : 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में खत्म हुआ प्रधानों का कार्यकाल, जानें क्या है नई व्यवस्था
उत्तर प्रदेश में शुक्रवार की आधी रात के बाद 58 हजार ग्राम पंचायतों के प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। गौतमबुद्ध नगर जिले के 88 और गोंडा के दस गांवों में प्रधान अपने पदों पर फिलहाल बने रहेंगे। प्रदेश के पंचायतीराज विभाग ने प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद राज्य में पंचायत होने तक नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर ली है। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि चुनाव होने तक गांवों में प्रशासक के रूप में सहायक विकास अधिकारी एडीओ की तैनाती की जाएगी। इसके लिए जिला अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आधी रात के बाद प्रधानों से डोंगल वापस लेकर ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट अनरजिस्टर्ड कर दिए जाएंगे।
22 जनवरी तक मतदाताओं की सूची तैयार करने का अल्टीमेटमयूपी में 31 मार्च तक पंचायत चुनाव कराने की तैयारी है। इस बार यूपी में पंचायत के चारों पदों के लिए एक साथ चुनाव कराए जाने हैं। जिसमें क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य शामिल हैं। यूपी में कुल 58758 ग्राम पंचायतें, 821 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत हैं। चुनाव आयोग ने इसको लेकर 22 जनवरी तक मतदाताओं की सूची हर हाल में तैयार कर लेने का अल्टीमेटम भी अधिकारियों को दे दिया है। 2015 में एक लाख 80 हजार मतदान स्थल पर बने थे मतदान स्थल2015 के यूपी पंचायत चुनाव में चुनाव आयोग के निर्देश पर एक लाख 80 हजार मतदान स्थल बनाए गए थे। एक मतदान स्थल पर लगभग एक हजार मतदाता की संख्या रखी गई थी। इस बार यह संख्या घटा दी गई है। अबकी से यह संख्या घटकर 800 ही रह जाएगी। मतदान केन्द्रों की संख्या करीब दो लाख है। चुनाव आयोग के मुताबिक यूपी में मतदान स्थलों की संख्या के ढाई गुना के हिसाब से लगभग पांच लाख से ऊपर मतपेटियों की जरूरत पड़ सकती है। पुलिस ने भी शुरू की तैयारी, गांव-गांव में नेटवर्क बनाने पर जोर एडीजी प्रयागराज जोन प्रेमप्रकाश ने मातहतों को निर्देश दिए कि जल्द ही पंचायत चुनाव होने वाले हैं। पेशबंदी को लेकर विवाद उत्पन्न होने की संभावना रहती है। इस पर नजर रखने के लिए गांवों में सूचनातंत्र को मजबूत रखें। इलाके हिस्ट्रीशीटरों पर कड़ी नजर रखी जाए। इनामी अपराधियों की धरपकड़ में तेजी लाएं। अवैध तरीके से बिक रहे शराब व गांजे पर रोक लगाते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। लापरवाही करने वाले जिम्मेदारों को पुलिस लाइन में संबद्ध किया जाए। वहीं आईजी जोन लखनऊ लक्ष्मी सिंह ने पुलिस लाइन सभागार में पुलिस के अधिकारियों के साथ कानून और व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की। यहां उन्होंने अपराध व अपराधियों पर नकेल कसने, महिला अपराधों पर सख्ती से निपटने को लेकर समीक्षा की। आईजी ने यहां पर पुलिस अधिकारियों को विभिन्न प्रकार के दिशा निर्देश भी जारी किए। वहीं पंचायत चुनाव को लेकर भी मदद अफसरों से कहा कि गांव-गांव नेटवर्क तैयार करें। पंचायत चुनावों को लेकर तैयारियों के विषय में आईजी ने बताया कि पुलिस के अधिकारियों को गांव-गांव में आमद बढ़ाने लोगों से संवाद स्थापित करने के साथ ही गांव में नेटवर्क विकसित करने के लिए भी कहा गया है। जिससे पंचायत चुनावों पर पूरा खाका तैयार किया जाए। शांतिपूर्ण चुनाव कराना प्राथमिकता है।
बेसिक शिक्षा विभाग में अब एक नाम से जाने जाएंगे उच्च प्राथमिक विद्यालय
सिद्धार्थनगर: बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कक्षा छह से आठ तक के विद्यालयों के नाम आने वाले दिनों में बदल दिए जाएंगे। अब विद्यालय के नामों में एकरूपता रहेगी। अभी तक जूनियर विद्यालयों के लिए अलग-अलग नाम लिखे जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। विभाग के महानिदेशक ने इसके गंभीरता से लेते हुए नामों में एकरूपता लाने का निर्णय लिया गया है। सभी जूनियर विद्यालयों के नाम अब उच्च प्राथमिक विद्यालय लिखा जाएगा। महानिदेशक का पत्र मिलते ही विभाग ने आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
अभी तक बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित जूनियर विद्यालयों के लिए पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जूनियर हाई स्कूल, बेसिक विद्यालय जैसे कई नामों का प्रयोग किया जाता था पर अब एक विभाग-एक नाम को अपनाते हुए एक ही नाम उच्च प्राथमिक विद्यालय के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा के महानिदेशक विजय किरण आनंद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर सुधार कराने का निर्देश दिया है। दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद ने कक्षा 6 से 8 तक संचालित विद्यालयों पर लिखे नामों में एकरूपता नहीं दिखाई पड़ती है कहीं शिक्षक पूर्व माध्यमिक विद्यालय लिखते हैं तो कहीं जूनियर हाई स्कूल लिखा जाता था। यही भिन्नता विद्यालयों के यू डायस के साथ अंकित नामों में भी है। विभाग ने इस विसंगति को गंभीरता से लेते हुए एकरूपता के लिए निर्देश जारी किया है। यदि किसी प्राथमिक व जूनियर विद्यालय ़का संविलयन किया गया है तो उसके नाम भी उच्च प्राथमिक रहेगा। अब शीघ्र ही विद्यालयों की दीवालों पर लिखे नाम बदले हुए नजर आएंगे। बीएसए राजेंद्र सिंह ने बताया कि विभागीय निर्देश का अनुपालन कराने के लिए समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है।
सिसोदिया से बहस को हमारे बीएसए ही काफी, केजरीवाल मॉडल बनाम योगी के मॉडल पर बोले बेसिक शिक्षा मंत्री
‘हम दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नता मनीष सिसौदिया से अपने प्रदेश के किसी भी जिले के ब्रेसिक शिक्षा अधिकारी (ब्रीएसए) से खुली बहस कराएंगे। दिल्ली में तो कुल 2500 विद्यालय हैं। हमारे यहां ता एक जिले में हीं 2500 विद्यालय हैं। सिसोदिया के साथ बहस के लिए हमारे बीएसए ही काफी हैं।’ यह बातें प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चंद्र द्विवदी ने बुधवार को यहां दैनिक जागरण से बातचीत में कही। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में अटल जन्मोत्सव सप्ताह के तहत आयोजित “लोकतांत्रिक मूल्य और भारतीय राजनीति’ विषयक राष्ट्रीय संगांष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि सिसोदिया क्या बहस करेंगे ? उनको बहस के लिए तो किसी भी जिले का बीएसए ही काफी है। महानगर (दिल्ली) में तो केवल 2500 विद्यालय हैं, यहां 160 लाख विद्यालय हैं। सिसोदिया को लखनऊ में रोके जाने के आरोप को भी उन्होंने खारिज कर दिया। बोले-बंधड़क कोई मंत्री आता है और सवाल करता है। चुनौती देता है, आलोचना करता है फिर बिना किसी ब्राधा वापस भी चला जाता है, इससे अधिक कैसी आजादी चाहिए। उन्होंने प्रदेश में शिक्षकों के जनपदीय तबादले की प्रक्रिया जल्द शुरू करने के संकेत दिए। मनीष सिसौदिया ने प्रदेश सरकार के मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह को शिक्षा की स्थिति और दिल्ली के केजरीवाल मॉडल बनाम योगी के उत्तर प्रदेश मॉडल पर बहस की चुनौती दी थी।
गोरखपुर : शिक्षक से रिश्वत लेते गिरफ्तार प्रतापगढ़ के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) सुनील कुमार को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ओम प्रकाश मिश्र ने बुधवार को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। सतर्कता अधिष्ठान, प्रयागराज की टीम ने उन्हें मंगलवार को गिरफ्तार किया था।
प्रतापगढ़ के मंगरौरा ब्लाक स्थित एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक ने 18 दिसंबर, 2020 को पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, प्रयागराज से खंड शिक्षा अधिकारी के रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि नवंबर, 2019 से मई, 2020 तक का 2.20 लाख रुपये उनका एरियर भुगतान होना है। औपचारिकता पूरी करने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी 20 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे हैं। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने मंगलवार को खंड शिक्षा अधिकारी को प्राथमिक विद्यालय मदाफरपुर के पास रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को आरोपित बीईओ को गोरखपुर में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।
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