अतिमहत्वपूर्ण और विशेष उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्पदंश से होने वाली मौत को राज्यआपदा घोषित किया हैl अब सांप के काटने से होने वाली मौत पर पीड़ित के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा गौरतलब है कि भारत में सर्पदंश से सबसे अधिक मृत्यु यूपी में 8700 लगभग प्रतिवर्ष होती हैं जिनमें से 97% मृत्यु गाँवों में होती हैं
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यूपी जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी, देखें करें डाउनलोड
जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी, 40 पेज में जारी हुई जनसंख्या नीति आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर इसे pdf में डाउनलोड कर सकते हैं।
क्या है नई नीति
नई जनसंख्या नीति के तहत वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाएगा। सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था होगी। उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात व मातृ मृत्यु दर को कम करने और नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे।
नवीन नीति में एक अहम प्रस्ताव 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है। प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है।
नौकरी में मिलेगा प्रमोशन
उत्तर प्रदेश सरकार उन कर्मचारियों को पदोन्नति (प्रमोशन), वेतन वृद्धि (इनक्रीमेंट), आवास योजनाओं में रियायतें और अन्य भत्ते देगी जो जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का पालन करेंगे या जिनके दो या उससे कम बच्चे हैं। दो संतानों के मानदंड को अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश और राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत नियोक्ता (employer) अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी।
20 साल तक फ्री मिलेंगी चिकित्सा सुविधा
जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और जनसंख्या को नियंत्रित करने में योगदान देते हैं, उन्हें पानी, आवास, गृह ऋण आदि करों में छूट जैसे लाभ मिलेंगे। यदि किसी बच्चे के माता-पिता या कोई एक नसबंदी का विकल्प चुनता है तो उन्हें 20 साल की उम्र तक मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।
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UP Board Exam: 12वीं की परीक्षा में पहले में पूछे जाएंगे 50 फीसदी प्रश्न, ऐसा हो सकता है पेपर पैटर्न
12वीं की परीक्षा में पहले में पूछे जाएंगे 50 फीसदी प्रश्न, ऐसा हो सकता है पेपर पैटर्न
लखनऊ। कोरोना काल में बदले हुए पेपर पैटर्न पर यूपी बोर्ड इंटर की परीक्षा कराने की तैयारी शुरू हो गई। है। इसमें छात्रों को पहले की तरह तीन घंटे बैठकर परीक्षा नहीं देनी होगी बल्कि परीक्षा महज डेढ़ घंटे की होगी। वहीं, पहले के मुकाबले इस बार विषयों में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या भी आधी रहेगी।
यूपी की परीक्षा यूपी बोर्ड दसवीं की परीक्षा निरस्त कर इंटरमीडिएट की परीक्षा कराने के लिए राजी हो गया है। इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि इस बार परीक्षा में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इस बार 3 घंटे की बजाय डेढ़ घंटे की परीक्षा होगी। विभागीय अधिकारियों व शिक्षकों के मुताबिक इस बार परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या भी पहले के मुकाबले आधी होगी। जैसे अगर किसी विषय में अब तक 30 प्रश्न पूछे जाते थे, तो इस बार महज 15 प्रश्न ही पूछे जाएंगे। उनमें भी बहुविकल्पीय और लघु उत्तरीय प्रश्नों की संख्या ज्यादा कर दी जाएगी। वहीं, दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों
की संख्या कम की जाएगी, जिससे डेढ़ घंटे में छात्रों को ज्यादा लिखने का दबाव न हो।
ऐसा हो सकता है पेपर पैटर्न
विशेषज्ञ शिक्षकों की कमेटी ने पेपर पैटर्न तैयार किया है। इसके अनुसार ही पेपर सेट कराए जाएंगे। अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य साहब लाल मिश्रा बताते हैं कि भौतिकी विज्ञान में चार खंडों में कुल 34 प्रश्न पूछे जाते हैं। एक अंक वाले 12 प्रश्न, दो अंक वाले 5, तीन अंक वाले 10 और पांच अंक वाले 7 प्रश्न हल करने होते हैं। लेकिन अब डेढ़ घंटे की परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या 17 हो सकती है। इसमें भी पांच और तीन अंक वाले प्रश्नों की संख्या में और कमी की जा सकती है।
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, गरीब कोटे से बन गए थे असिस्टेंट प्रोफेसर
यूपी के मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, गरीब कोटे से बन गए थे असिस्टेंट प्रोफेसर
उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के छोटे भाई अरुण द्विवेदी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. EWS कोटे से अरुण द्विवेदी की असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के बाद काफी बवाल हुआ था.
इस्तीफे के बाद जारी किया ये प्रेस नोट
उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. हाल ही में EWS कोटे (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) के तहत सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी, जिसके बाद काफी विवाद हुआ था.
जानकारी के मुताबिक, अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है. जिसे कुलपति सुरेंद्र दुबे ने मंजूर भी कर लिया है. अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुई थी.
बड़े भाई की छवि को धूमिल करने का प्रयास: अरुण द्विवेदी
अरुण द्विवेदी ने इस्तीफा देने वाले पत्र में उन्होंने अपनी योग्यता बताते हुए कहा कि उनका चयन निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही उनके बड़े भाई सतीश द्विवेदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया. अरुण ने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि उनके कारण उनके भाई पर बेबुनियाद आरोप लगे.
मंत्री के भाई ने कहा कि वह मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहे हैं और उनके लिए परिवार और उनके बड़े भाई सतीश त्रिवेदी कि सामाजिक और राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत किसी भी चीज की नहीं है.
अरुण द्विवेदी ने दावा किया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक आर्थिक स्थिति के अनुसार ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन दिया था. बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की का शादी का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि इस भर्ती के लिए उन्होंने सारी प्रक्रियाएं पूरी की थी और सतीश द्विवेदी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
विवाद पर मंत्री ने कहा था- करा लो जांच
मंत्री के भाई की नियुक्ति की प्रक्रिया पर जब सवाल खड़े होने लगे, तब मंत्री सतीश द्विवेदी ने सफाई में कहा था कि उनके भाई की अलग पहचान है. उसके पास अपना प्रमाण पत्र है, लेकिन उसके बाद भी किसी को आपत्ति हो तो वह जांच करवा सकता है.
हालांकि, तमाम विवादों के बीच अरुण द्विवेदी ने बीते शुक्रवार को अपना पद ग्रहण कर लिया था. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र दुबे की ओर से सफाई में कहा गया था कि उनके पास नियुक्ति के सभी प्रमाण पत्र मौजूद हैं, किसी तरह की कोई सिफारिश का नियुक्ति के पीछे कोई हाथ नहीं है.
सीएम योगी के दौरे से पहले ही इस्तीफा
आपको बता दें कि मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का ये इस्तीफा उस दिन आया है, जब गुरुवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिद्धार्थनगर पहुंच रहे हैं. यूपी सीएम इन दिनों कोरोना संकट के बीच प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रहे हैं, तैयारियों का जायजा ले रहे हैं. इसी कड़ी में उन्हें गुरुवार को सिद्धार्थनगर पहुंचना है.
नियुक्ति पर खड़े हुए थे गंभीर सवाल
राज्य सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की इस तरह नियुक्ति होना किसी को सामान्य नहीं लगा. ऐसे में कई गंभीर सवाल उठाए गए, सोशल मीडिया से लेकर अलग-अलग तबकों ने सरकार पर निशाना साधा.
पूर्व अफसर अमिताभ ठाकुर, नूतन ठाकुर ने इस विषय में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी लिखी थी और एक्शन लेने की अपील की थी. वहीं, जब यूनिवर्सिटी पर सवाल खड़े हुए तो बार-बार कुलपति सुरेंद्र दुबे ने यही कहा कि अगर EWS सर्टिफिकेट फर्जी निकलता है, तो फिर एक्शन लिया जाएगा.
टी०ई०टी० पास मृतक आश्रितों को सुपर टेट की लिखित परीक्षा से दी जायेगी छूट ।
टी०ई०टी० पास मृतक आश्रितों को सुपर टेट की लिखित परीक्षा से दी जायेगी छूट ।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा० सतीश चन्द्र द्विवेदी द्वारा ये घोषणा करने के बाद इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है, उन्होंने सभी जरूरी आर्हताओं को पूरा करने वाले मृतक आश्रितों को शिक्षक व लिपिक पदों पर नियुक्त करने का ऐलान किया
है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने तयशुदा समय में जिलों से सूचनाएं मांगी हैं, विभाग में 2500 से ज्यादा मृतक आश्रितों को नियुक्ति दिए जाने की उम्मीद है, सूत्रों के मुताबिक , इस पर सहमति बन गई है कि ऐसे अभ्यर्थी जो बीएड डी०एल०एड० ( पूर्व में बी०टी०सी० ) पास हैं और टी०ई०टी० उत्तीर्ण कर चुके हैं , उन्हें सुपर टी०ई०टी० यानी शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से छूट दी जाएगी ।
वहीं जो मृतक आश्रित अभी डी०एल०एड० – बी०एड० कर रहे हैं, तो उन्हें लिपिक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी और बाद में टी०ई०टी० पास करने पर शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाएगा ।
इसके लिए कितने वर्षों की छूट दी जाएगी, यह अभी तय नहीं है, स्नातक मृतक आश्रितों को लिपिक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी, यदि लिपिक के पद नहीं है तो उन्हें सृजित किया जाएगा ।
3 वर्षों से नहीं हुई मृतक आश्रितों के पद पर नियुक्ति
अभी लगभग 10 हजार मृतक आश्रित विभाग में नौकरी कर रहे हैं लेकिन मृतक आश्रितों के पद पर पिछले 03 वर्षों से विभाग में नियुक्तियां नहीं हुई हैं
औसतन 300-350 अधिकारी , कर्मचारी या शिक्षकों की हर साल मौत होती है , लेकिन पिछले तीन वर्षों से कोई नियुक्ति नहीं हुई है, वहीं पंचायत चुनाव की ड्यूटी में कोरोना संक्रमित 1621 शिक्षकों की मौत हो चुकी है ।
UP Board 2021 : छात्र ध्यान दें, 10वीं-12वीं की परीक्षाएं नहीं हुईं रद्द, अभी फैसला आना बाकी
UP Board 10th 12th Exam 2021 : अभी उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से 2021 की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को सचेत रहने की आवश्यकता है। 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द नहीं हुई है। अभी उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से 2021 की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया है। फिलहाल, यूपी बोर्ड अपनी वैकल्पिक तैयारी में व्यस्त है। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच परीक्षाओं के आयोजन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे में कई राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं को लेकर रद्द करने या स्थगित करने की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षाओं को लेकर भी ऐसे ही कयास लगाए जा रहे हैं। जबकि यूपी बोर्ड की ओर से अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जल्द निर्णय कर लिया जाएगा।
इस बीच, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने रविवार, 23 मई, 2021 को आयोजित एक उच्च स्तरीय मंत्री समूह की बैठक में भाग लिया था। बैठक प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें बोर्ड एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन पर चर्चा की गई थी। बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और अन्य राज्यों के शिक्षा मंत्री, सीबीएसई बोर्ड, राज्य बोर्डों के सचिव भी मौजूद रहे थे।
सभी को प्रोन्नति मिली तो नया इतिहास बनेगा
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने की तैयारी की जा रही है। बोर्ड द्वारा जल्द ही सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करनी घोषणा की जा सकती है।
यानी सत्र 2020-21 में हाईस्कूल में पढ़ रहे 29.94 लाख छात्र-छात्राओं को सीधे बना परीक्षा के कक्षा 11वीं में प्रोन्नति मिल सकती है। अगर ऐसा होता है तो यूपी बोर्ड के 100 साल के इतिहास में पहली बार कक्षा 10वीं बोर्ड का सफलता परिणाम 100 फीसदी होगा। इससे पहले 10वीं में पास होने का सर्वाधिक रिकॉर्ड 87.66 फीसदी रहा है।
नौवीं कक्षा के आधार पर मिलेगा प्रमोशन
बता दें कि यूपी बोर्ड 10वीं के छात्रों को प्रमोट किए जाने के कयास बोर्ड के उस आदेश से पक्के हो गए थे, जिसमें माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा विद्यालयों से 10वीं के सभी छात्र-छात्राओं के नौवीं कक्षा के अंक मांगे गए हैं।
बोर्ड द्वारा विद्यालयों को 24 मई तक विद्यार्थियों के नौवीं कक्षा के अंक पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बोर्ड नौवीं कक्षा का अंतिम परिणाम के आधार पर विद्यार्थियों को प्रोन्नति दी जाएगी। कक्षा दसवीं का अंतिम परिणाम तैयार करने की योजना का एलान जल्द ही हो सकता है।
शुरू हुई ऑनलाइन कक्षाएं, ऑफलाइन की मंजूरी नहीं
इस बीच, राज्य के सभी विद्यालयों में 20 मई से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से विद्यालयों को ऑफलाइन कक्षाएं संचालित करने की अनुमति नहीं दी गई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में आंशिक लॉकडाउन की वजह से 24 मई के बाद कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के संबंध में आधिकारिक सूचना जारी की जा सकती है।
सरकार का बड़ा फैसला : कोरोना से मृत शिक्षकों के आश्रितों को सहायक अध्यापक व लिपिक के पद पर मिलेगी नियुक्ति
सरकार का बड़ा फैसला : कोरोना से मृत शिक्षकों के आश्रितों को सहायक अध्यापक व लिपिक के पद पर मिलेगी नियुक्ति
अब उन मृतक आश्रितों को जो बीएड/डीएलएड(पूर्व में बी टी सी) तथा टीईटी डिग्री धारक हैं उनको अध्यापक तथा जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं है परंतु तृतीय श्रेणी में नियुक्ति की अर्हता रखते हैं उनको पद रिक्त न होने की स्थिति में भी अधिसंख्य पद पर तृतीय श्रेणी में नियुक्ति दी जाएगी।
पूर्व में अधिकांश शिक्षकों के मृतक आश्रित जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं थे वह उच्च शिक्षित होते हुए भी चतुर्थ श्रेणी में सेवा करने के लिए विवश होते थे क्योंकि तृतीय श्रेणी में पद रिक्त नही होते थे। यह व्यवस्था उनकी योग्यता के अनुरूप नहीं थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए तृतीय श्रेणी की अर्हता रखने वाले मृतक आश्रितों को पद रिक्त न होने की स्थिति में भी अधिसंख्य पद पर नियुक्ति दी जाएगी।
अब विस्तार से 👇
यूपी सरकार ने पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों को लेकर बड़ा एलान किया है। ऐसे शिक्षकों के परिजनों को सहायक अध्यापक और कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति मिलेगी।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के मृतक आश्रितों को सहायक अध्यापक और कनिष्ठ लिपिक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी। अभी तक विभाग में चतुर्थ श्रेणी के पद पर ही अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान था। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से हाल ही में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होने से जान गंवाने वाले परिषदीय शिक्षकों और कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को बड़ा लाभ होगा
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) सतीश द्विवेदी ने बताया कि अब उन मृतक आश्रितों को जो बीएड/डीएलएड(पूर्व में बी टी सी) तथा टीईटी डिग्री धारक हैं उनको अध्यापक तथा जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं है परंतु तृतीय श्रेणी में नियुक्ति की अर्हता रखते हैं उनको पद रिक्त न होने की स्थिति में भी अधिसंख्य पद पर तृतीय श्रेणी में नियुक्ति दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि पूर्व में अधिकांश शिक्षकों के मृतक आश्रित जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं थे वह उच्च शिक्षित होते हुए भी चतुर्थ श्रेणी में सेवा करने के लिए विवश होते थे क्योंकि तृतीय श्रेणी में पद रिक्त नहीं होते थे। यह व्यवस्था उनकी योग्यता के अनुरूप नहीं थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए तृतीय श्रेणी की अर्हता रखने वाले मृतक आश्रितों को पद रिक्त न होने की स्थिति में भी अधिसंख्य पद पर नियुक्ति दी जाएगी।
बता दें कि सरकार ने इस फैसले से उन शिक्षक व कर्मचारी संघों की नाराजगी कम करने का प्रयास किया है जो कि पंचायत चुनाव में मृत शिक्षकों व कर्मचारियों के परिजनों के प्रति सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगा रहे थे। बता दें कि उनकी नाराजगी को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार मृतकों के परिजनों के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आएगी।
दरअसल, सरकार ने शिक्षक व कर्मचारी संघ के उन दावों को पूरी तरह नकार दिया था जिसमें पंचायत चुनाव के दौरान 1600 से भी ज्यादा शिक्षक व कर्मचारियों की मौत की बात कही गई थी। हालांकि, विरोध को देखते हुए फिर सरकार ने नरम रुख अपनाया है।