यूपी पंचायत चुनाव : एक सीट का भी आरक्षण बदला तो छह सीटों पर पड़ेगा असर, जानें कैसे होगा रिजर्वेशन

हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद से एक बार फिर से गांव देहात की राजनीति में गर्माहट आ गई है। सोमवार दोपहर 2015 के आरक्षण के आधार पर त्रिस्तीय पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया को लागू करने के कोर्ट के आदेश के बाद उन तमाम लोगों के चेहरे पर रौनक लौट आई जो इस बार हुए आरक्षण की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते थे। गांवों में फिर से नये समीकरण बनाए जाने लगे। आरक्षण व्यवस्था बदलने मात्र की खबर से ही संभावित प्रत्याशी भी बदले जाने लगे हैं।

पंचायतराज विभाग में भी गुणा गणित का दौर शुरू हो गया है। अगर एक सीट का आरक्षण बदलेगा तो उसका असर छह सीटों पर पड़ता है। इस तरह से देखा जाए तो प्रधान पदों पर शाहजहांपुर जिले में 400 आपत्तियां थीं, इस तरह से बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का आरक्षण बदलेगा। इसी तरह से बीडीसी, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत के वार्डों के आरक्षण पर भी खासा बदलाव देखने को मिल सकता है। अभी जब आरक्षण जारी किया गया तो गांवों में दावतों का दौर शुरू हो गया था, लेकिन कोर्ट ने जैसे ही आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाई तो प्रत्याशियों के घरों में जल रहे चूल्हों की आंच कम हो गई थी। अनिश्चितता का माहौल हो गया था। पर अब सोमवार को जब कोर्ट ने कहा कि 2015 के हिसाब से ही आरक्षण लागू किया जाए तो नये संभावित प्रत्याशियों की बांछें खिल गईं। इस दौरान लोगों ने गांव में चौपालों पर भीड़ लगानी शुरू कर दी।

एक-दूसरे से फोन पर संपर्क कर आगे की संभावनाओं पर लोग चर्चा करने लगे। कोर्ट के आदेश के अनुसार अगर आरक्षण लागू होता है तो सबसे ज्यादा फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को होगा, क्योंकि सबसे ज्यादा परेशानी में भी सामान्य वर्ग के ही लोग आ गए थे। शाहजहांपुर में आरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा आपत्तियां भी सामान्य वर्ग के लोगों ने दाखिल की थीं।

किसी के चूर तो किसी के साकार होंगे प्रधान बनने के सपने
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण को लेकर अंतिम प्रकाशन की तारीख से एक दिन पहले ही एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। साथ ही 25 मई तक पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत हजारों लोग ऐसे थे, जिन्हें फायदा होगा। पूर्व में जारी आरक्षण के आधार पर अब तमाम लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे थे, वह अब फिर से अपनी किस्मत को आजमा सकते हैं। लागू होने वाले आरक्षण के कारण अब बहुतों को मायूसी होगी तो वहीं बहुतों की किस्मत चमकेगी।

अधिकारी-कर्मचारियों में चलता रहा मंथन
सोमवार को जनहित याचिका पर आये हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सोमवार को डीपीआरओ दफ्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों में मंथन चलता रहा, क्योंकि अब फिर से आरक्षण प्रक्रिया को लेकर अफसरों और कर्मचारियों को खाका तैयार करने के लिए जुटना होगा। डीपीआरओ पवन कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को लेकर अभी तक कोई शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। शासनादेश आने के बाद ही कार्यालय में पंचायत चुनाव को लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी

बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सफाई एवं सुरक्षा हेतु सफाईकर्मी कम चौकीदार की व्यवस्था के सम्बन्ध में ।

बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सफाई एवं सुरक्षा हेतु सफाईकर्मी कम चौकीदार की व्यवस्था के सम्बन्ध में ।

पंचायत चुनाव : आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 2015 को मूल वर्ष मानते हुए कराएं चुनाव

🔴यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 2015 को मूल वर्ष मानते हुए कराएं चुनाव, सरकार भी फैसले से सहमत, 25 मई तक अब संपन्न होंगे चुनाव🔴

यूपी पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों के आवंटन पर आरक्षण लागू किया जाए और यह प्रक्रिया 25 मार्च तक पूरी करने के लिए कहा है।

इसके पूर्व, राज्य सरकार ने स्वयं कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश पारित किए हैं।

बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।

याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया था। उक्त शासनादेश में ही कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 की जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा।

कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे। कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया।

Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की आरक्षण सूची पर आज कोर्ट में सुनवाई, प्रत्याशियों के दिल की धड़कनें तेज

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में 1995 के आरक्षण को आधार वर्ष मान कर किये गए सीट आरक्षण निर्धारण को हाइकोर्ट की लखनऊ खण्ड पीठ ने रद्द कर दिया , और सरकार को आदेशित किया है कि वर्ष 2015 को आधार मानने वाले शासनादेश के आलोक में नए सिरे से सीटों का निर्धारण करें। न्यायालय ने जनहित याचिका अलाउ कर दी ।।

सरकार ने कोर्ट में कहा-
2015 को आरक्षण आधार वर्ष मानने में कोई दिक्कत नहीं है..
कोर्ट ने 27 मार्च तक रिजर्वेशन प्रक्रिया फाइनलाइज करने के आदेश दिये..

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी।

लखनऊ
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। इस पर जिला प्रशासन से लेकर प्रत्याशियों की नजर बनी हुई है। प्रत्याशियों के दिल की धड़कनें बढ़ी हैं। आरक्षण सूची के आधार पर चुनाव प्रचार भी तेजी के साथ शुरू हो चुका था, लेकिन रोक के बाद प्रचार थम गया। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोक दी।

लोनी के एक पूर्व ग्राम प्रधान का कहना है कि आरक्षण की सूची में शासनादेश 2015 का पालन नहीं किया गया। इसकी वजह से जहां सामान्य सीट होनी चाहिए थी, वहां पर ओबीसी कर दिया गया और जहां ओबीसी होना चाहिए, वहां एससी कर दिया गया है। इसकी वजह से चुनाव नहीं लड़ पाने वाले लोगों में काफी निराशा हो गई थी, लेकिन हाई कोर्ट से रोक लगने के बाद अब एक बार फिर उम्मीद जाग गई है।

बता दें कि अजय कुमार ने प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तर्क दिया कि इस बार की आरक्षण सूची 1995 के आधार पर जारी की जा रही है, जबकि 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी की जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम आरक्षण सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।

250 लोगों ने की है आपत्ति

सीटों के आरक्षण की सूची पर 250 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल अभी आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

161 ग्राम पंचायत पर होना है चुनाव
जिले में 161 ग्राम पंचायत पर चुनाव होना है। इसके अलावा 14 जिला पंचायत सदस्य, 323 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 2141 ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। जिला प्रशासन की तरफ से आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। जिला प्रशासन की तरफ से चुनाव की तैयारी भी तेजी के साथ की जा रही है। जिले में इस बार 5 लाख 56 लाख मतदाता वोटिंग करेंगे, जो पिछली बार से 63 हजार अधिक होंगे। जिले में 311 मतदान स्थल और 958 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।

UP: वीवीआइपी बेसिक स्कूलों में वर्षों से जमें सरप्लस शिक्षकों पर गिरेगी गाज, इसलिए हैं वीवीआइपी विद्यालय

वीवीआइपी परिषदीय विद्यालय मिल जाएंगे, जहां विद्यार्थी संख्या भले कम हो, लेकिन शिक्षक दर्जनों की संख्या में भरे हैं। लेकिन अब ऐसे शिक्षकों के लिए मुश्किल समय आ रहा है। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ऐसे शिक्षकों की ट्रांसफर बड़े स्तर पर करने की तैयारी में जुटी है।

परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विभाग ने करीब 72 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षकों को चिन्हित भी कर लिया हैं, जो जरूरत के अनुसार सरप्लस हैं। उन्हें चिन्हित करने में आनलाइन व्यवस्था मददगार साबित हो रही है। लिहाजा जहां-जहां सरप्लस, यानी जरूरत से अधिक हैं, उन्हें वहां से हटाकर जरूरत वाले विद्यालयों में भेजा जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से पालिसी बनाने पर काम चल रहा है।



इसलिए हो रही कवायद
दरअसल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू हुए नौ साल से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक मानकों के अनुरूप विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है। इस कमी को दूर करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग शुरुआत इन सरप्लस शिक्षकों से करने की तैयारी की है। इसके लिए विभाग ने अंतर जनपदीय व पारस्परिक स्थानांतरण के बाद जिलों के अंदर के विद्यालयों में स्थानांतरण व समायोजन के माध्यम से मानकों के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती करने की मशक्कत में जुटा है।



आनलाइन व्यवस्था से काम होगा आसान
शासन ने शिक्षकों से लेकर विद्यालयों तक की व्यवस्था आनलाइन कर दी है। अब शासन के पास पूरी सूचना है कि किस विद्यालय में कितने विद्यार्थियों पर कितने शिक्षक काम कर रहे हैं। इसलिए इस व्यवस्था के मददगार साबित होने की उम्मीद है। बता दें कि केंद्र ने भी प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 72,353 शिक्षकों को सरप्लस करार देकर उनकी तैनाती नियमानुसार करने के निर्देश दिए थे। आरटीई के मानक अनुसार प्राथमिक में कक्षा एक से 5 तक में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का नियम है। जबकि जूनियर में 35 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की अनिवार्यता है। लेकिन प्रदेश में कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां शिक्षक तो छह-सात तैनात हैं लेकिन विद्यार्थी 100 भी नहीं। ऐसे विद्यालयों की संख्या शहरी और शहर से सटे ग्रामीण विद्यालयों में हैं, जहां शिक्षक जरूरत से ज्यादा तैनात है।


इसलिए हैं वीवीआइपी विद्यालय
इन विद्यालयों को वीवीआइपी विद्यालय भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें तैनात कोई भी शिक्षक सामान्य नहीं हैं। कोई किसी अधिकारी का रिश्तेदार है, तो कोई किसी नेता का। स्थिति यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी ऊंची पहुंच देखकर उनमें से एक से भी कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। यह वीवीआइपी विद्यालय बरौली अहीर, बिचपुरी, खंदौली, अछनेरा आदि हैं।

फतेहपुर बेसिक शिक्षा विभाग: : अवशेष वेतन के लिए शिक्षक भटक रहे पिछले 4साल से।

किसी जिले की नीति वहाँ के अधिकारी ही बनाते और बिगड़ते है बात कर रहे फतेहपुर जिले की BSA साहब शिवेन्द्र प्रताप सिंह जी की जो जिले को पिछड़ा मान के चलते है और सभी कार्यो को पिछड़े मानकर ही करते है वजह जान कर आप सब हैरान हो जायेगे क्योंकि साहब की सैलरी हर महीने समय से आती है और यहाँ के बेसिक शिक्षको की 4 साल लगा देते है अवशेष वेतन देने में और अपनी मनचाहे लोगो की ही सिर्फ देते है ।यहाँ के 1600 12460 और 68500 में कई हज़ार शिक्षक नियुक्त हुए है और उनके एरियर को निकलवाने में 2 जिलाधिकारी और सीडीओ के तबादले हो गए बात नही बनी तो शिक्षक संघ ,नेता और धरना प्रदर्शन किया मंत्री जी भी कूद गए एरियर निकलवाने में हज़ारो IGRS भी हुए लेकिन यहाँ के BSA साहब के कान म जू तक नही रेंगी ।
बेसिक मंत्री जी भी जनवरी 2020 में सभी बकाया देने के निर्देश दे चुके उसके लिए बकायदा मीटिंग भी हुई लेकिन BSA साहब ने मीटिंग की 1 दिन पहले कुछ लोगो के तत्काल नाम तो दे दिए लेकिन 1 साल बाद भी उनका भुकतान नही हुआ ।



वरिष्ठ लोगो ने BSA से बात की तो सिर्फ एक बहाना की भौतिक सत्यापन नही हुआ जबकि सभी यूनिवर्सिटी के आदेश और GO आ गया कि ऑनलाइन सत्यपन ही मान्य है ,यूनवर्सिटी बोल रही कि ऑनलाइन सत्यापन होगा भौतिक नही और BSA साहब भौतिक की जिद्द पर अड़ कर प्रधानमंत्री जी की डिजिटल इंडिया को भी ठेंगा दिखा दिए ।

बात सिर्फ इतनी की काम करने के बहुत तरीके है ना करने के हज़ार बहाने यही कर रहे फतेहपुर के bsa साहब क्योंकि इनके जगह पर वरिष्ठ लिपिक तिवारी बाबू ही सारा कार्य संभालते है BSA साहब तो सिर्फ बहाना बना रहे ।
बेसिक के नवनियुक्त शिक्षक किसी की खुद की शादी , बहन का विवाह या घर की चिंता लेकिन BSA साहब इन सभी चीज़ों से अनजान अपनी डयूटी से दूर…

साभार: एक शिक्षक

पारस्परिक अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण के फलस्वरूप कार्यमुक्त अध्यापकों के अंतिम वेतन भुगतान प्रमाणपत्र (L.P.C.) व सेवापुस्तिका स्थानांतरित जनपद को 20 मार्च तक उपलब्ध कराने के निर्देश

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डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि प्रदेश सरकार जल्द ही सहायक अध्यापकों के तबादलों की नियमावली में संशोधन कर नई नियमावली लाने जा रही है इसके बाद शिक्षकों के ग्रामीण शहरी और शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में तबादले का रास्ता साफ हो जाएगा वह बसपा दल के नेता लालजी वर्मा के इस संबंध में पूछे सवाल का जवाब दे रहे थे।

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लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को इस बार भी बिना परीक्षा अगली कक्षा में भेजा जाएगा। शैक्षिक सत्र 2020-21 में करीब 10 माह शिक्षण कार्य प्रभावित रहने के कारण परिषदीय स्कूलों में छात्रों का कक्षा स्तर पर असेसमेंट कर उन्हें प्रमोट किया जाएगा।