गोरखपुर :- वेतन नहीं मिला तो गूगल फॉर्म भरे समस्या होगी दूर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जी ने जारी किया शिक्षकों की समस्याओं को झटपट दूर करने का अनोखा तरीका, अन्य जनपदों के शिक्षकों ने भी की वाहवाही

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पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी

पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी

सचिवालय व राज्य कर्मियों पर सरकार मेहरबान, जबकि पंचायत चुनाव में सर्वाधिक मुख्य भूमिका निभाने वाले शिक्षक स्वास्थ्य बीमा का पैसा देने को तैयार, फिर भी अधिकारी नहीं करवा रहे शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (प्राथमिक संवर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष अजीत अजीत सिंह जी ने कहा कि बेसिक का शिक्षक क्यों नहीं हो सकता राज्य कर्मचारी। उन्होंने यह भी कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में ही भेदभाव पूर्ण दोहरी व्यवस्था क्यों? इससे यह सिद्ध होता है कि अधिकारी कैसे चालाकी से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं?

प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह जी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य है विद्यालय संचालन के द्वारा आम जनमानस के बच्चों को शिक्षित करना। बेसिक शिक्षा परिषद के उद्देश्यों को अमलीजामा पहनाने की मुख्य जिम्मेवारी शिक्षक व विद्यालय स्टाफ की होती है। विद्यालय संचालन में मदद करने हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। अब यहीं पर खेल शुरू होता हैं। हमारा शिक्षक परिषदीय कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं दी जाती है। जबकि विभाग में शिक्षकों की सेवा व मदद हेतु स्थापित कार्यालयों में नियुक्त अधिकारी, बाबू, अनुचर को राज्य कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें कैशलेस चिकित्सा, विभिन्न प्रकार के भत्ते, वाहन, आवास तथा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यदि इन अधिकारियों, बाबू व अनुचरों को भी परिषदीय कर्मचारी ही बनाए रखा जाता तो क्या दिक्कत थी। अब कोई बताए परिषद में शिक्षकों के साथ ही सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।

*यह मांग करते हुए प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा इस मांग की पैरवी लगातार की जा रही है पर अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है। यदि संगठन की इस मांग को शीघ्र ही ना माना गया तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश कोरोना काल में भी जमीनी आंदोलन करने को विवश होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।

5जी टॉवर के कारण नही हो रही मौतें, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश में अफवाहों का किया खंडन, अफवाह फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्यवाही

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प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों हेतु वर्क फ्रॉम होम संबंधी संशोधित शासनादेश जारी, किन्हें मिलेगी यह सुविधा क्लिक कर जाने

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नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को 15 मई को दिलाई जाएगी शपथ, उसके बाद ब्लाक प्रमुख व जिला प्रमुख का होगा चुनाव

नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को 15 मई को दिलाई जाएगी शपथ, उसके बाद ब्लाक प्रमुख व जिला प्रमुख का होगा चुनाव – new gram pradhan take oath 2021

लखनऊ – त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना पूरी होने के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों की तैयारी शुरू हो गई है। 15 मई तक शपथ ग्रहण कराने के बाद 29 मई तक जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निपटाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव के अनुसार पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे तब क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष (ब्लाक प्रमुख) का चुनाव कराया जाएगा। पंचायतीराज विभाग ने क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव 14 से 17 मई के बीच कराने की योजना है।

सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव 20 से 27 मई के मध्य कराए जा सकते हैं। इससे पहले नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के शपथ ग्रहण और पहली बैठक कराने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। 12 से 15 मई तक शपथ ग्रहण कराने की योजना है। 15 मई को प्रदेश में एक साथ नवगठित ग्राम सभा की पहली बैठक कराने का प्रस्ताव है। बैठक के दिन से ही ग्राम पंचायतों के कार्यकाल की शुरुआत मानी जाएगी।

उधर जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर जोड़तोड़ तेज हो गई है। जिला पंचायत सदस्यों में निर्दल व छोटे दलों के सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण विजयी सदस्यों को अपने पक्ष में करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

चुनाव की आपराधिक घटनाओं में 62 फीसद की कमी

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच भी पुलिस पिछले पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार अपना रिकार्ड सुधारने में कामयाब रही है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने दावा किया है कि वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार पंचायत चुनाव के दौरान आपराधिक घटनाओं में 62 फीसद की कमी दर्ज की गई है। एडीजी ने दोनों पंचायत चुनाव के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों का आंकड़ा भी साझा किया। उनका कहना है कि इस बार हुई गंभीर घटनाओं में आरोपितों के विरुद्ध एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) व गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है। लखनऊ व गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट समेत 20 जिले ऐसे हैं, जहां पंचायत चुनाव के दौरान एक भी घटना नहीं हुई। एडीजी का कहना है कि इस बार पंचायत चुनाव के दौरान प्रदेश में कुल 301 घटनाएं हुईं, जिनमें हत्या के 10, हत्या के प्रयास के 64, बलवा के 71, बूथ लूटने के तीन, मतपेटी लूट के 13, मतपत्र फाड़ने या लूटने के 10, मतदान केंद्र पर मारपीट के आठ, मतदान कर्मियों के साथ बदसलूकी व मारपीट के 17 तथा अन्य मारपीट व विवाद के 105 मुकदमे शामिल हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग:- ग्रीष्मावकाश के बाद भी ऑनलाइन शुरू होगी पढ़ाई, सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर घातक होने के कारण लिया जाएगा फैसला

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सत्यापन शुल्क:- विभिन्न विश्वविद्यालयों में सत्यापन हेतु लगने वाला शुल्क, एवं जाने कैसे करना है भुगतान

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कोरोना काल में चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित शिक्षक/ कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही ना किए जाने के संबंध में उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा मा मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित किया गया।

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कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन अवधि में छात्र – छात्राओं को 138 दिनों हेतु खाद्यान्न का प्राधिकार पत्र वाउचर देखें

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69000 शिक्षक भर्ती के तहत चयनित शिक्षकों के अभिलेखों के वेरीफिकेशन हेतु जारी आदेश देखें

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