फर्जी शिक्षकों/कर्मचारियों पर कार्यवाही हेतु समस्त जिलाधिकारियों को महान निर्देशक ने भेजा आदेश, देखें जिलेवार लिस्ट
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फर्जी दस्तावेजों पर की गईं 15 शिक्षकों की नियुक्तियां, सात फर्जी शिक्षकों की सेवा हो चुकी समाप्त, शेष पर कार्यवाही जल्द
लखनऊ। देवरिया के कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय, मदरसन में सात शिक्षकों और सहदेव बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाबू वभनी में 8 अध्यापकों की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति की गई। सरकार द्वारा कराई गई जांच में मामला सही पाए जाने पर कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय के सातों शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। जबकि, सहदेव बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाध्यापक के संबंधित दस्तावेज मुहैया न कराने पर प्रबंध समिति के अधिकार छीन लिए गए हैं। वहां शिक्षा विभाग ने नियंत्रक बैठा दिया है और फर्जी शिक्षकों के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं। इनकी सेवाएं शीघ्र समाप्त की जा सकती हैं। फर्जी नियुक्तियों व वेतन भुगतान का मामला 2010-11 से लेकर 2020-21 के बीच का है। मामला मुख्यमंत्री योगी के गोरखपुर मंडल का होने के करण शासन ने इस प्रकरण को काफी गंभीरता से लिया है। निदेशक, कोषागार आलोक अग्रवाल की ओर से शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन शिक्षकों को वेतन देना तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा रईस अहमद के समय में प्रारंभ किया गया। मोटी राशि के एरियर का भुगतान तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव के कार्यकाल में किया गया। इस अवधि में 7 और वित्त एवं लेखाधिकारी तैनात रहे हैं। रिपोर्ट में इनके नामों का भी खुलासा किया गया है। हालांकि, मामले में इन अधिकारियों की संलिप्तता है या नहीं, इसके लिए विस्तृत जांच पूरी होने से पहले कुछ भी बता पाने की स्थिति में न होने की बात कही गई है। वहीं, विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इन 7 में से 2-3 अधिकारियों का फंसना तय माना जा रहा है।
फर्जी शिक्षकों की धर-पकड़ जारी: कई जिलों में तेज हुई छानबीन, जल्द अन्य पर कसेगा शिकंजा
फर्जी शिक्षकों की धर-पकड़ जारी: कई जिलों में तेज हुई छानबीन, जल्द अन्य पर कसेगा शिकंजा
लखनऊ : प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। विभिन्न जिलों में जल्द 100 से अधिक और फर्जी शिक्षकों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कई जिलों में फर्जी शिक्षकों की छानबीन तेज की है। साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया की गिरफ्तारी के बाद कुछ अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी तेज की गई है। एटीएफ ने जून 2018 में सबसे पहले मथुरा में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला पकड़ा था। जिसके बाद से अब तक करीब एक हजार फर्जी शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है। इस वर्ष भी अब तक 123 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं।
फर्जी दस्तावेजों से लेकर अन्य जाली स्थानान्तरण आदेश के जरिए विभिन्न जिलों में धड़ल्ले से फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। एसटीएफ ने इस मामले की जांच में शुक्रवार को 100 से अधिक फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति करा चुके बड़े गिरोह को पकड़ा था। सरगना राम निवास, फर्जी शिक्षक र¨वद्र कुमार व दिल्ली स्थित डाटा साफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज कंपनी के अधिकारी संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद शनिवार को इस धांधली में शामिल रहे परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक को दबोचा गया है।
एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ला के अनुसार आरोपितों से पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर उनके कई अन्य साथियों की भी तलाश की जा रही है। राम निवास से जिन 100 फर्जी शिक्षकों का ब्योरा मिला है, संबंधित जिलों में उनकी भी छानबीन शुरू कर दी गई है।
वहीं इस वर्ष अब तक 29 जिलों में 123 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं। इनमें 63 ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरे के शैक्षणिक दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल की थी। 56 ने जाली अंकपत्रों के जरिए नौकरी हासिल की थी। दो फर्जी स्थानान्तण आदेश के जरिए, एक जन्मतिथि में फेरबदल कर और एक बीएड की मार्कशीट में गड़बड़ी कर भर्ती हुआ था।
फर्जी दस्तावेजों से भर्ती कराए 100 से अधिक शिक्षक, तीन गिरफ्तार : एसटीएफ ने किया गिरोह का राजफाश सरगना भी फर्जी शिक्षक
लखनऊ : प्रदेश में फर्जी शिक्षक खुद गिरोह बनाकर जाली दस्तावेजों व साल्वर गैंग की मदद से बड़ा खेल कर रहे हैं। अलग-अलग जिलों में लगातार फर्जी शिक्षकों की न सिर्फ भर्ती कराई जा रही है, बल्कि प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी सत्यापन तक कराए जा रहे थे। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने ऐसे एक बड़े गिरोह के सरगना समेत तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जो विभिन्न जिलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिये 100 से अधिक शिक्षकों की भर्ती करा चुका है। अब उसकी निगाह इसी वर्ष हुई टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक)/पीजीटी (परास्नातक शिक्षक) भर्ती परीक्षा के रिजल्ट में धांधली कराने की थी। एसटीएफ अब परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया समेत कई फर्जी शिक्षकों की तलाश कर रही है। सरगना राम निवास के खाते में 19 लाख रुपये फ्रीज भी कराए गए हैं।
एसटीएफ ने लखनऊ में गोमतीनगर क्षेत्र स्थित पिकप तिराहे के पास से शुक्रवार को फीरोजाबाद निवासी राम निवास उर्फ राम भइया, आगरा निवासी र¨वद्र कुमार उर्फ रवि तथा गाजियाबाद निवासी संजय सिंह को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के सीओ प्रमेश कुमार शुक्ला के अनुसार गिरोह का सरगना राम निवास वर्ष 2013 में फर्जी दस्तावेजों की मदद से देवरिया के एक जूनियर हाईस्कूल स्कूल में शिक्षक भर्ती हुआ था, लेकिन बाद में त्यागपत्र दे दिया था। उसका साथी र¨वद्र कुमार देवरिया के बनकटा प्राथमिक विद्यालय में फर्जी शिक्षक है। तीसरा साथी संजय सिंह दिल्ली स्थित डाटा साफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर है। तीनों शुक्रवार को लखनऊ में टीजीटी/पीजीटी परीक्षा का रिजल्ट बनाने में शामिल एक कंपनी के कर्मचारी से मिलने आए थे। तीनों के बयानों के आधार पर संबंधित कंपनी व उसके कर्मी के बारे में भी छानबीन की जा रही है। राम निवास से पूछताछ में सामने आया है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया में शिक्षक की नौकरी हासिल कर चुके विनय तिवारी व कुशीनगर में फर्जी शिक्षक मनीष यादव उसके करीबी साथी हैं। यह दोनों भी वर्ष 2013 में फर्जी शिक्षक बने थे और वर्ष 2016 में हुई 15,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में सेंध लगाने के लिए राम निवास ने दोनों से संपर्क किया था। राम निवास ने विनय तिवारी को 90 लाख रुपये देकर अपने 15 कंडीडेट फर्जी दस्तावेजों की मदद से भर्ती कराए थे। सभी की देवरिया में नियुक्ति भी हो गई थी। हालांकि गड़बड़ी पकड़े जाने पर सभी को बर्खास्त कर दिया गया था। राम निवास पर रकम वापसी का दबाव बनाने पर उन 15 कंडीडेट को वर्ष 2017 में 68,500 तथा वर्ष 2018 में 69,000 पदों पर हुई प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल कराया गया था और फर्जी दस्तावेजों के जरिये उनकी फिर भर्ती करा दी गई थी।
शुरू हुई छानबीन
जाली दस्तावेजों की मदद से फर्जी शिक्षकों की भर्ती कराने वाले गिरोह के सरगना राम निवास ने अपने साथी र¨वद्र की मदद से 100 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए नियुक्त कराने की बात स्वीकार की है। इसमें हरदोई में नौ, इटावा में 10, अमेठी में पांच, गोंडा में एक, बलरामपुर में एक, औरैया में एक, जालौन में नौ, श्रवस्ती में आठ फर्जी शिक्षकों के अलावा सीतापुर, हाथरस व प्रयागराज के भी कुछ मामले शामिल हैं। सभी फर्जी शिक्षकों की छानबीन शुरू कर दी गई है। संजय ने एक निजी कंपनी के अधिकारी से मुलाकात के लिए ही राम निवास व र¨वद्र को लखनऊ बुलाया था। तीनों आरोपितों के विरुद्ध लखनऊ के थाना विभूतिखंड में एफआइआर दर्ज कराई गई है।