यूपी पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से मृतक कर्मियों और अधिकारियों को मिलेगी आर्थिक मदद
ड्यूटी के दौरान कोरोना से मृत्यु होने पर अनुग्रह राशि भुगतान के निर्देश
आदेश जारी।
हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद से एक बार फिर से गांव देहात की राजनीति में गर्माहट आ गई है। सोमवार दोपहर 2015 के आरक्षण के आधार पर त्रिस्तीय पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया को लागू करने के कोर्ट के आदेश के बाद उन तमाम लोगों के चेहरे पर रौनक लौट आई जो इस बार हुए आरक्षण की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते थे। गांवों में फिर से नये समीकरण बनाए जाने लगे। आरक्षण व्यवस्था बदलने मात्र की खबर से ही संभावित प्रत्याशी भी बदले जाने लगे हैं।
पंचायतराज विभाग में भी गुणा गणित का दौर शुरू हो गया है। अगर एक सीट का आरक्षण बदलेगा तो उसका असर छह सीटों पर पड़ता है। इस तरह से देखा जाए तो प्रधान पदों पर शाहजहांपुर जिले में 400 आपत्तियां थीं, इस तरह से बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का आरक्षण बदलेगा। इसी तरह से बीडीसी, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत के वार्डों के आरक्षण पर भी खासा बदलाव देखने को मिल सकता है। अभी जब आरक्षण जारी किया गया तो गांवों में दावतों का दौर शुरू हो गया था, लेकिन कोर्ट ने जैसे ही आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाई तो प्रत्याशियों के घरों में जल रहे चूल्हों की आंच कम हो गई थी। अनिश्चितता का माहौल हो गया था। पर अब सोमवार को जब कोर्ट ने कहा कि 2015 के हिसाब से ही आरक्षण लागू किया जाए तो नये संभावित प्रत्याशियों की बांछें खिल गईं। इस दौरान लोगों ने गांव में चौपालों पर भीड़ लगानी शुरू कर दी।
एक-दूसरे से फोन पर संपर्क कर आगे की संभावनाओं पर लोग चर्चा करने लगे। कोर्ट के आदेश के अनुसार अगर आरक्षण लागू होता है तो सबसे ज्यादा फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को होगा, क्योंकि सबसे ज्यादा परेशानी में भी सामान्य वर्ग के ही लोग आ गए थे। शाहजहांपुर में आरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा आपत्तियां भी सामान्य वर्ग के लोगों ने दाखिल की थीं।
किसी के चूर तो किसी के साकार होंगे प्रधान बनने के सपने
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण को लेकर अंतिम प्रकाशन की तारीख से एक दिन पहले ही एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। साथ ही 25 मई तक पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत हजारों लोग ऐसे थे, जिन्हें फायदा होगा। पूर्व में जारी आरक्षण के आधार पर अब तमाम लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे थे, वह अब फिर से अपनी किस्मत को आजमा सकते हैं। लागू होने वाले आरक्षण के कारण अब बहुतों को मायूसी होगी तो वहीं बहुतों की किस्मत चमकेगी।
अधिकारी-कर्मचारियों में चलता रहा मंथन
सोमवार को जनहित याचिका पर आये हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सोमवार को डीपीआरओ दफ्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों में मंथन चलता रहा, क्योंकि अब फिर से आरक्षण प्रक्रिया को लेकर अफसरों और कर्मचारियों को खाका तैयार करने के लिए जुटना होगा। डीपीआरओ पवन कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को लेकर अभी तक कोई शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। शासनादेश आने के बाद ही कार्यालय में पंचायत चुनाव को लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी
यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण सूची जारी होने के बाद होगा तारीख का ऐलान, 10 से 23 अप्रैल के बीच मतदान की तैयारी
यूपी में होने जा रहे पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों, उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के लिए अप्रैल का महीना बहुत अहम रहेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्य के चार पदों के मतदान के लिए जिस प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार तैयारी शुरू की है, उसके मुताबिक आगामी 25-26 मार्च को इन चुनावों के लिए अधिसूचना जारी होगी।
इसके बाद अप्रैल की शुरुआत से ही नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 10 अप्रैल को पहले चरण का मतदान करवाने की तैयारी है। इसके बाद दो से तीन दिन के अंतराल पर अन्य तीन चरणों का मतदान करवा कर यह प्रक्रिया 23 अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी। चार चरणों में होने वाले इस चुनाव के लिए अप्रैल की शुरुआत से आरम्भ होने वाली नामांकन प्रक्रिया दो दिन नामांकन दाखिले, दो दिन नामांकन पत्रों की जांच, एक दिन नामांकन वापसी, एक दिन चुनाव चिन्ह आवंटन और नामांकन वापसी के बाद से छह से सात दिन चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित होंगे। इस हिसाब से एक चरण के चुनाव में नामांकन दाखिले से लेकर मतदान तक 12 से 13 दिन का समय लगेगा। प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले इस चुनाव में प्रत्येक चरण में 18 से 19 जिलों में एक बार में मतदान करवाया जाएगा। इन चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुल 5.40 लाख मतपेटियों, कुल 52.05 करोड़ मतपत्रों की व्यवस्था की है। आयोग की वोटर लिस्ट में करीब 12.5 करोड़ ग्रामीण मतदाता हैं।
यूपी पंचायत चुनाव : आरक्षण फार्मूले के चार प्रस्ताव तैयार, जानें कब तक फैसला ले सकती है यूपी सरकार, अप्रैल मई में ही में हो सकेगा चुनाव
उत्तर प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण का नया फार्मूला लागू होगा। हालांकि यह फार्मूला चक्रानुक्रम पर ही आधारित होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायतीराज विभाग ने प्रदेश सरकार को चार फार्मूलों का एक प्रस्ताव तैयार कर भेजा है, इसमें से किसी एक फार्मूले पर सरकार को निर्णय लेना है।
फिलहाल यह तय हो गया है कि इस नये फार्मूले से ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष यानि यह सभी छह पद प्रभावित होंगे। बताते चलें कि वर्ष 2015 में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में तत्कालीन सपा सरकार ने ग्राम पंचायतों के सदस्य व ग्राम प्रधान की सीटों का आरक्षण शून्य घोषित कर उसे नये चक्रानुक्रम के हिसाब से करवाया गया था। मौजूदा सत्तारूढ़ भाजपा और प्रदेश सरकार दोनों का ही यह मानना है कि पिछले चुनाव में पंचायत चुनाव का आरक्षण तत्कालीन प्रदेश सरकार ने अपनी सुविधा के हिसाब से तय करवाया था इसलिए इस बार चक्रानुक्रम का पुराना फार्मूला नहीं चलेगा।
20 फरवरी के बाद सार्वजनिक होगा फार्मूला
यह भी जानकारी में आया है कि आरक्षण का यह नया फार्मूला आगामी 20 फरवरी के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा क्योंकि प्रदेश सरकार ने अब पंचायत चुनाव अप्रैल व मई के महीनों में करवाने का मन बना लिया है। अब यह तय किया गया है कि होली के ठीक पहले यानि 26 मार्च के बाद किसी भी दिन पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी और अप्रैल व मई के महीनों में त्रि-स्तरीय चुनाव की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करवायी जाएगी।
चार चरणों में ही होगा चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि पूरे प्रदेश में चार चरणों में ही चुनाव होगा। एक जिले के सभी विकास खंडों को चार हिस्सों में विभाजित करके एक-एक हिस्से के नामांकन दाखिले और मतदान की तारीखें तय की जाएगी। एक हिस्से के मतदान से दूसरे हिस्से के मतदान में तीन दिन का अंतर होना चाहिए।
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