चुनाव ड्यूटी से पहले हलफनामा देना होगा, सरकारी डॉक्टर, टीचर, चुनाव ड्यूटी में नहीं लगेंगे :- तीन साल से एक जगह जमे अफसरों की चुनाव ड्यूटी नहीं

प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में ड्यूटी करने वाले सभी अफसरों व कार्मिकों को एक घोषणा पत्र भरना होगा। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दाखिल किये जाने वाले इस घोषणापत्र में इन अफसरों व कार्मिकों को अपनी तरफ से यह घोषित करना पड़ेगा कि उनका मौजूदा चुनाव में खड़े किसी उम्मीदवार से उनका किसी भी तरह का कोई निकट संबंध नहीं है। न ही वे राज्य या जिला स्तर पर किसी राजनीतिक दल से ताल्लुक रखते हैं।

यही नहीं, इस घोषणा पत्र में उन्हें यह भी लिखना पड़ेगा कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल रहा है। यह निर्देश केन्द्रीय चुनाव आयोग ने जारी किये हैं। इन निर्देशों के अनुसार इनमें से अगर कोई भी जानकारी गलत पायी गयी तो सम्बंधित अफसर या कार्मिक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव में ऐसा कोई अफसर तैनात नहीं होगा जो वर्तमान में अपने गृह जनपद में तैनात है या फिर एक ही जिले में उक्त अफसर ने पिछले चार वर्षों में से तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है या फिर आगामी 31 मार्च 2022 को उस जिले में उसकी तैनाती के तीन साल पूरे हो रहे हैं। आयोग के यह निर्देश जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, पीठासीन अधिकारी, सहायक पीठासीन अधिकारी या चुनाव सम्बंधी किसी कार्य के लिए तैनात नोडल अधिकारी पर लागू होंगे। यही नहीं, आयोग के ये निर्देश एडीएम, उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, विकास खंड अधिकारी आदि पर लागू माने जाएंगे।
आयोग के यह निर्देश चुनाव के दौरान सुरक्षा की ड्यूटी पर तैनात होने वाले पुलिस विभाग के आईजी, डीआईजी, एसएचओ, इन्सपेक्टर, सब इन्सपेक्टर आदि पर भी लागू होंगे। आयोग ने यह भी कहा है कि चुनाव ड्यूटी में ऐसे सब इसंपेक्टर नहीं लगाए जाएंगे जिनकी तैनाती उनके अपने गृह जनपद में है। ऐसे पुलिस कर्मी जो एक पुलिस सब डिवीजन में पिछले चार वर्षों में से तीन साल से लगातार तैनात हैं उनको भी चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा।


सरकारी डॉक्टर, टीचर, चुनाव ड्यूटी में नहीं लगेंगे
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी यह मंशा कतई नहीं है कि चुनाव के नाम पर बड़े पैमाने पर अफसरों व कर्मचारियों के तबादले किये जाएं। डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, प्रधानाचार्य आदि जिनका चुनाव से सीधा कोई सम्बंध नहीं है, चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाए जाएंगे। आयोग ने यह भी कहा है कि यदि ऐसे किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ राजनीतिक पक्षपात की शिकायत जांच में सही पायी जाती है तो न केवल तत्काल उसका तबादला किया जाएगा बल्कि उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। वोटर लिस्ट के संक्षिप्त पुनरीक्षण में लगे अधिकारियों व कार्मिकों को तब तक स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा जब तक वोटर लिस्ट का फाइनल ड्राफ्ट प्रकाशित न हो जाए, अगर ऐसा करना अपरिहार्य होता है तो फिर उस मामले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आयोग से अनुमति लेनी होगी।