सराहनीय:- माह अगस्त 2020 का वेतन देयक 25 तारीख तक तथा 1 सितंबर तक वेतन उपलब्ध कराने का आदेश

सराहनीय:- माह अगस्त 2020 का वेतन देयक 25 तारीख तक तथा 1 सितंबर तक वेतन उपलब्ध कराने का आदेश

मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों तथा कर्मियों के शैक्षिक अभिलेखों को अपलोड करने व संशोधन की तिथि में की गई 31 AUGUST तक बढ़ोतरी।

बेसिक शिक्षा विभाग:- स्कूलों में पढ़ाया नहीं तो कटेगा वेतन, अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश, शिक्षकों के लिए जारी हुए यह आदेश

स्कूलों में पढ़ाया नहीं तो कटेगा वेतन, अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश, शिक्षकों के लिए जारी हुए यह आदेश

चयनित ग्राम पंचायतों के ग्राम पंचायत भवनों एवं परिषदीय विद्यालयों में FTTH के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में

चयनित ग्राम पंचायतों के ग्राम पंचायत भवनों एवं परिषदीय विद्यालयों में FTTH के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में।

ब्रेकिंग न्यूज़:- विद्यालय समय 08 बजे से 2 बजे तक किये जाने, सत्र 2021-22 से ग्रीष्मावकाश 20 मई से 15 जून तक किये जाने तथा शीतकालीन अवकाश 31 दिसम्बर से 14 जनवरी तक किये जाने एवं अन्य आवश्यक बिंदुओं के सम्बंध में आदेश जारी..

विद्यालय समय 08 बजे से 2 बजे तक किये जाने, सत्र 2021-22 से ग्रीष्मावकाश 20 मई से 15 जून तक किये जाने तथा शीतकालीन अवकाश 31 दिसम्बर से 14 जनवरी तक किये जाने एवं अन्य आवश्यक बिंदुओं के सम्बंध में आदेश जारी..

कुछ महत्वपूर्ण निर्णय

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े परिवर्तन –

मुख्य परिवर्तन निम्न हैं –

1. विद्यालय का समय –
A) 1 अप्रैल से 30 सितंबर – प्रातः 8 से दोपहर 2 बजे तक
मध्यावकाश/मिड डे मील समय – प्रातः 10.15 से 10.45 तक
B) 1 अक्टूबर से 31 मार्च – प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक
मध्यावकाश/मिड डे मील समय – प्रातः 11.55 से 12.25 तक

नोट – शिक्षक विद्यालय शिक्षण प्रारंभ होने से 15 मिनट पहले एवं न्यूनतम 30 मिनट बाद तक विद्यालय में रहेंगे।

2. शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन अवकाश –
A) शीतकालीन अवकाश – 31 दिसंबर से 14 जनवरी
B) ग्रीष्मकालीन अवकाश – 20 मई से 15 जून
C) नए सत्र का आरंभ – 16 जून से

नोट – अवकाश तालिका से भिन्न कोई भी लोकल अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार जिलाधिकारी महोदय के अतिरिक्त अन्य किसी के पास नहीं होगा।

3. समय सारणी में प्रत्येक कालांश 40 मिनट का होगा एवं साल में न्यूनतम 240 शिक्षण दिवस होंगे।

4. अभिलेख रजिस्टरों/पंजिकाओं की संख्या 40 से कम करके 14 कर दी जाएंगी –
A – शिक्षक डायरी
B – उपस्थिति पंजिका
C – प्रवेश पंजिका
D – कक्षावार छात्र उपस्थिति पंजिका
E – एमडीएम पंजिका
F – समेकित निःशुल्क सामग्री वितरण पंजिका
G – स्टॉक पंजिका
H – आय व्यय पंजिका
I – चेक इशू पंजिका (बजट वार)
J – बैठक पंजिका
K – निरीक्षण पंजिका
L – पत्र व्यवहार पंजिका
M – बाल गणना पंजिका
N – पुस्तकालय/खेलकूद पंजिका

5. कुछ ध्यान देने योग्य मुख्य बिंदु –

A) विद्यालय प्रत्येक दो सप्ताह में इंटरनल टेस्ट लिया करेंगे जिसके आधार पर उपचारात्मक शिक्षण किया जाएगा।

B) शिक्षक अपने अवकाश या अन्य किसी कार्य हेतु विद्यालय अवधि में विद्यालय नहीं छोड़ेंगे, किसी अवकाश या समस्या की स्थिति में मानव संपदा पोर्टल का प्रयोग करना सुनिश्चित किया जाएगा।

C) शिक्षक किसी भी गैर शैक्षणिक कार्य, रैली, फेरी, बैंक आदि के कार्य को विद्यालय समय में नहीं कर सकेंगे।

D) विद्यालय मरम्मत, रंगाई पुताई का कार्य या तो अवकाश में कराया जाएगा अथवा विद्यालय समय के पश्चात।

E) किसी शिक्षक के निलंबन के एक माह के भीतर मामला निस्तारित होगा अन्यथा खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

F) किसी भी विभागीय कार्यालय द्वारा किसी शिक्षक को न तो सम्बद्ध किया जाएगा न ही किसी कार्य के लिये अध्यापक को विद्यालय समय में बुलाया जा सकेगा।

G) शिक्षकों के सभी प्रशिक्षण या तो ऑनलाइन आयोजित किये जायेंगे अथवा विद्यालय समय के पश्चात।

H) माह के चतुर्थ शनिवार को विद्यालय अवधि के पश्चात विकासखण्ड में प्रधानाध्यापकों की दो घंटे की मीटिंग आयोजित की जाएगी।

69000 की लिस्ट जिला आवंटन लिस्ट है न कि मेरिट लिस्ट है, 69000 शिक्षक भर्ती सीटों का आवंटन , एमआरसी प्रकरण पर अब तक का सटीक विश्लेषण, जानें आयोग संतुष्ट होगा या नहीं

69000_की_लिस्ट_जिला_आवंटन_लिस्ट_है_न_कि_मेरिट_लिस्ट_है।

👉उस लिस्ट के अनुसार जैसे कोई ओबीसी कैटगरी का अभ्यर्थी है, और उसके सामान्य के बराबर है तो उसको पास का जिला देने के लिये ओबीसी में रखा गया है।। जैसे मान लीजिये की किसी सामान्य अभ्यर्थी का गुणांक 75 है, और ओबीसी अभ्यर्थी का गुणांक सामान्य में 75 है तो उसको उठा कर ओबीसी में भेज दिया गया, और उसकी नियुक्ति ओबीसी कैटगरी में की गई और उसको गृह जनपद मिल गया।

👉 जो लिस्ट आयी है जिसको लोग कह रहे 34500 के ऊपर सामान्य की कैसे गयी? जब हाइमेरिट ओबीसी अभ्यर्थी को ओबीसी के अनुसार जिला आवंटन किया गया तो वह अभ्यर्थी ओबीसी में आ गया। मतलब जब बीच मे जिला आवंटन की लिस्ट में अगर कोई ओबीसी अभ्यर्थी आपको दिख रहा वह सामान्य में नही है वह ओबीसी की एक सीट ले रहा, इसी प्रकार एससी अभ्यर्थी के साथ किया गया।।

👉जब 34500 में 18630 ओबीसी अभ्यर्थी को ओबीसी एवं अन्य 1000 से 2000 एससी अभ्यर्थी को उनकी कैटगरी का मान के जिला आवंटित किया तो स्वाभाविक सी बात है कि सामान्य की सीट 34500 के ऊपर जाएगी, अब जो ओबीसी के अभ्यर्थी ओबीसी में थे तो उनको अनारक्षित की रिक्त हुई ओबीसी की सीटों में जिला आवंटन कर दिया गया।

👉 क्योंकि वह ओबीसी के कैटगरी वाले अभ्यर्थी थे, इसलिये वह सामान्य के साथ फाइट नही कर सकते थे तो उनको क्रम से 52 हजार के बाद जिला आवंटन कर दिया गया।। इसी प्रकार एससी अभ्यर्थियों के साथ किया गया है।।

हम 20 सीट के अनुसार एक उदाहरण देखते है-
मान लीजिये इस 20 सीट में 10 सामान्य के है, 5 ओबीसी की, 4 एससी की शेष अन्य की।

इसमे मान लीजिये अनारक्षित की सीट में चयनित अभ्यर्थी इस प्रकार है-
1- 80 गुणाक ( सामान्य)
2- 79 गुणाक ( सामान्य)
3- 78 गुणाक ( ओबीसी)
4- 77 गुणांक ( ओबीसी)
5- 76 गुणांक ( एससी)
6- 75 गुणाक ( सामान्य)
7- 74 गुणाक ( ओबीसी)
8- 73 गुणाक ( सामान्य)
9- 72 गुणांक ( एससी)
10- 71 गुणांक ( सामान्य)

अब बात करते है ओबीसी के मेरिट लिस्ट की-
1- 70 गुणांक( ओबीसी)
2- 69 गुणांक (ओबीसी)
3- 68 गुणाक ( ओबीसी)
4- 67 गुणांक (ओबीसी)
5- 66 गुणाक (ओबीसी)

अब बात करते है एससी अभ्यर्थी का-
1- 70 गुणाक (एससी)
2- 68 गुणाक ( एससी)
3- 66 गुणांक ( एससी)
4- 64 गुणाक ( एससी)

अब हम इसके अनुसार जिला आवंटन करते है, जैसे 69000 कि लिस्ट आयी है बिल्कुल वैसे-

1- 80 गुणांक( सामान्य) – प्रयागराज

2- 79 गुणाक ( सामान्य)- कानपुर

3- 78 गुणांक (ओबीसी लिस्ट में भेजा गया, गृह जनपद के लिये)- लखनऊ

4- 77 गुणांक ( ओबीसी लिस्ट में भेजा गया, गृह जनपद के लिये)- आगरा

5- 76 गुणाक ( एससी लिस्ट में भेजा गया, गृह जनपद के लिये)

6- 70 गुणांक ( ओबीसी, अन्य जनपद) [क्योंकि इनकी सीट में ओबीसी उच्च मेरिट वर्ग के अभ्यर्थी गए है, तो यह सामान्य की सीट में जिला लेने आये है]

7-69 गुणांक (ओबीसी, अन्य जनपद, उपरोक्त की तरह)

8- 75 गुणांक (सामान्य, गृह जनपद)

9- 74 गुणाक ओबीसी ( गृह जनपद)

10- 68 गुणाक (ओबीसी अन्य जनपद)

11- 73 गुणांक ( सामान्य, गृह जनपद)

12- 72 गुणांक ( एससी, गृह जनपद)

13- 70 गुणाक ( एससी, अनारक्षित में भेजा गया सीट के लिये)

14- 71 गुणांक ( सामान्य)

अब आप देख रहे होंगे कि सामान्य की सीट 10 थी, किस प्रकार से वह जिला आवंटन में 14 नम्बर पर आया।

क्योंकि जितने ओबीसी अभ्यर्थी अनारक्षित से अपनी कैटगरी में जाएंगे, ठीक उसी के नीचे जिला आवंटन में ओबीसी कैटगरी से उठा कर उतने अभ्यर्थी अनारक्षित में लाकर सीट आवंटन करेंगे।

अब शेष जो 2 ओबीसी के अभ्यर्थी बच रहे, उनको ओबीसी में ही रख दिया जाएगा-

15- 67 गुणांक ( ओबीसी, अन्य जनपद)
16- 66 गुणांक ( ओबीसी, अन्य जनपद)

अब लोग कहेंगे 16 वें नम्बर पर तो एससी की सीट है सरकार ने आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया।
इसी प्रकार एससी की सीट आगे जारी रहेगी।।

कुल मिलाकर उन्ही अभ्यर्थी में ऊपर नीचे करके जिला आवंटन किया गया, न किसी के आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया गया, और उसी अनुसार जिला आवंटन किया गया।।

सरकार इसी के अनुसार जवाब लगाएगी, तब आप मेरी इस पोस्ट को देख लेना। (basicshikshak.com)

जो इस पोस्ट को समझ गए शुक्रिया, जो जानकर नही समझना चाह रहे, उनको बाद में समझ आ जायेगा।

सीट खाली कहाँ हुई अदला बदली हो गई।।

प्रश्न — लेकिन जो जनरल फाइट था ओबीसी वाला उसकी सीट जो खाली हुई उसमे किसका सिलेक्शन हुआ इसको थोड़ा कंफर्म करें क्योंकि ये नही समझ मे आया

उत्तर — जैसे आरक्षित में 12 हज़ार ओबीसी फाइट कर रहे थे, तो 12 हज़ार को उठा कर उनकी कैटगरी में डाल दिया गया है, और कैटगरी से 12 हजार लेकर आरक्षित की सीटो में आवंटन कर दिया गया। शेष जो 6 हज़ार ओबीसी बचे है उनको 52 हज़ार के बाद दिखाया गया तभी 52 हज़ार के बाद लगभग 6 हज़ार ओबीसी है जो कि लग रहा उन्होंने एससी की सीट ले लिया

मतलब उसमे low मेरिट ओबीसी वाले को डाल दिया गया

👉सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान देने योग्य

👉ओबीसी की सीट छोड़ी नही गयी अदला बदली की गई है, जैसे मान लीजिये 12 हज़ार ओबीसी ने अनारक्षित में फाइट किया तो उन 12 हज़ार को ओबीसी का मानते हुए, ओबीसी की सीट दे दी गयी, और ओबीसी के 12 हज़ार को अनारक्षित की सीट दे दी गयी, जो कि क्रम से 52 हज़ार तक लगे है, शेष 6 हज़ार ओबीसी क्रम से 52 हज़ार के बाद है।। अब ओबीसी की संख्या 84000 है तो क्या .40 में 6 हज़ार अभ्यर्थी नही हो सकते?

इस प्रकार पहले तो 69000 लोगो की नार्मल आरक्षण के हिसाब से लिस्ट तैयार की गई, उसके पश्चात जिला आवंटन MRC के अनुसार किया गया।

तो बात सिर्फ इतनी है कि MRC की वजह से सिलेक्शन किसी का नही रुका, सिर्फ जिला मिलने में अंतर आया है।

कुछ लोगो को अभी भी अनियमितताएं नज़र आएंगी, वो इसीलिए कि हमारे दिमाग मे सिर्फ Vertical Reservation रहता है, और हम भूल जाते है कि horizontal reservation नाम की भी एक चिड़िया होती है।

कुछ लोग कह रहे है gen और obc की कटऑफ में बहुत कम अंतर है

तो ऐसे लोगो से मैं ये कहना चाहता हूँ, यदि ओवरलैपिंग बिल्कुल भी नही हुई होती तो obc की cutoff UR से भी अधिक गयी होती। क्योंकि पास हुए OBC की संख्या उनकी आरक्षित सीट के सापेक्ष बहुत अधिक है।

बेसिक शिक्षा विभाग में 1 करोड़ की राशि का बड़ा घोटाला, किसी को कानों कान खबर भी नहीं, जानिए इंसीनेटर घोटाले के बारे में

बेसिक शिक्षा विभाग में ब्लॉक स्तर के अधिकारी भरस्टाचार के ऐसे ऐसे अवसर तलाश लेते है जिनके बारे में आपको सुनकर भी ताज्जुब होगा ,पूरे ज़िले में तकरीबन 1 करोड़ की राशि का ऐसा ही एक बड़ा घोटाला इतनी खामोशी के साथ अंजाम दिया गया कि किसी को कानो कान खबर भी न हुई और प्रत्येक खण्ड शिक्षा अधिकारी ने बड़ी खामोशी के साथ 1 से 2 लाख रुपयो की रकम कमीशन के तौर पर डकार ली , यह तो एक जिले के घोटाले कि राशि है, यदि पूरे प्रदेश की बात करें तो घोटाले कि रकम का आसमान छूना तय है।।

आखिर इंसिनेटर क्या है व इसका उपयोग क्या है, शासन इंसीनेटर बनवाने को लेकर क्यों इतना गंभीर है ??

शासन की इंसीनेटर को लेकर सोच है कि बालिकाएं पीरियड के दौरान स्कूल जाने से बचा करती हैं। ऐसे में बालिका शौचालय के साथ एक इंसीनेटर बॉक्स अटैच कराने का निर्णय लिया गया था। जिसका उपयोग बालिकाओं द्वारा किया जा रहा है। इससे टॉयलेट में गंदगी भी नहीं फैलती है, जिससे विभिन्न प्रकार के रोगों का संक्रमण भी नहीं फैलता हैं। इंसीनेटर एक बॉक्स की तरह काम करता है, जिसे टॉयलेट के बाहरी तरफ लगाया जाता है, जबकि उपयोग अंदर से होता है। इसमें पीरियड के दौरान उपयोग किए गए पैड, कपड़े आदि डाले जाते है, जो नीचे स्थित बॉक्स में जमा हो जाते हैं। जिन्हें बाद में जलाकर नष्ट किया जाता हैं।

मामला ये है कि पिछले वित्तीय वर्ष में ज़िले के सभी जूनियर हाइस्कूल के खातों में बालिका शौचालय के पास इंसिनेटर बनाये जाने के लिए प्रति विद्यलय 10 हजार रुपयो की धनराशि प्रेषित की गई थी ,अब बेचारे शिक्षकों को तो ये पता नही था कि इंसिनेटर है क्या बला ,और न ही अधिकारियों ने कभी इस बारे में बताने की ही कोशिश की ,हो सकता है कुछ खंड शिक्षा अधिकारी भी इस बारे में जानते ही न हो ,कुछ दिनों के बाद तंबौर और लखीमपुर के एक निर्माण कर्ता के साथ सौदा तय हो गया तो खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने जूनियर के हेड्स को सम्बंधित व्यक्ति से इंसिनेटर बनवाने का फरमान फोन पर जारी कर दिया ,कुछ जगह ये व्यक्ति सीधे गया और साहब से बात करा दी ,इस मामले में 2 से 3 हजार प्रति यूनिट कमीसन की बात बीईओ के लिए तय हुई जिसकी आधी रकम उन्हें पेशगी मिली और आधी चेक कलेक्शन के बाद
सबसे खास बात तो ये है कि अधिकांश विद्यलयो में शौचालय निर्माण का काम पंचायतो द्वारा कराया गया है ,लेकिन तब तक पंचायतो का ये काम हुआ नही था और 70 प्रतिशत से भी अधिक इंसिनेटर पुराने जर्जर शौचालयों में बना दिये गए है जो निस्पयोजय है ,और कई जगह तो बिना बने ही इसकी पूरी धनराशि बीईओ हजम कर गए है ,लेकिन खास बात ये है कि विभाग ने तो कभी इसकी जांच नही ही की,बल्कि स्वक्षता अभियान से जुड़ा होने के बाद भी ये मामला कभी ज़िलाधिकारी ,मुख्य विकास अधिकारी ,पंचायतराज अधिकारी ,या स्वक्षता समिति के सामने नही लाया गया ,
अगर भविष्य में ये मामला सामने आता है तो प्रबंध समिति से भुगतान करने के नाते शिक्षकों का फंसना तय है ,ऐसे में प्राथमिक शिक्षक संघ ज़िलाधिकारी महोदय और मुख्य विकास अधिकारी महोदय से मांग करता है कि पूरे जिले में इंसिनेटर की जांच कराकर दोषी खण्ड शिक्षा अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और शौचालय घोटाला करने वाले सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराई जाए ताकि भविष्य में किसी भी शिक्षक को प्रतिकूल स्थितियो का सामना न करना पड़े,ये घोटाला गांव में पढ़ने वाली मासूम बालिकाओ की साफ सफाई स्वक्षता और हाइजीन को लेकर एक बड़ा खिलवाड़ है ,प्राथमिक शिक्षक संघ सीतापुर के मंत्री आरध्य शुक्ल जी ने बताया कि इस संबंध में सम्बंधित अधिकारियों को संघ द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है ,पूरा मामला प्रदेश नेतृत्व की मॉर्फत महानिदेशक महोदय और विभागीय मंत्री के संज्ञान में भी लाया जाएगा ।।

BEO भर्ती : प्रारम्भिक परीक्षा 16 अगस्‍त को होना तय, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाने से मना किया

प्रारम्भिक परीक्षा 16 अगस्‍त को होना तय, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार

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प्रयागराज : उत्‍तर प्रदेश में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के लिए प्रारम्भिक परीक्षा 16 अगस्‍त को ही होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार और उत्‍तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को बड़ी राहत देते हुए इस परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर बीईओ परीक्षा स्थगित करने की मांग की गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याची संगठन को परीक्षा के आयोजन को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। 

याचिका पर जस्टिस शशिकांत गुप्‍ता और जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला की डिवीजन बेंच ने तत्‍काल आधार पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने याचिका में जताई गई आशंकाओं को भी आधारहीन बताया। 

बीईओ परीक्षा रद करने के लिए जनहित याचिका प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति और अन्य की ओर से दाखिल की गई थी। याचिका में कोविड-19 संक्रमण के चलते परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्‍यर्थियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने कहा है कि याची संगठन को जनहित याचिका में परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने परीक्षा के आयोजन पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही 16 अगस्‍त को बीईओ परीक्षा का रास्‍ता साफ हो गया है। 


22 जिलों में 5.15 लाख अभ्‍यर्थी देंगे परीक्षा 

बीईओ परीक्षा 16 अगस्त को प्रदेश के 22 जिलों में आयोजित की गई है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति का कहना था कि कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में परीक्षा देने जाने वाले अभ्‍यर्थियों को परीक्षा केंद्रों पर भीड़ का सामना करना पड़ सकता है। संक्रमण फैल सकता है।

UP. यूपी में खुले 18 नए साइबर थाने ।18 new cyber stations opened in UP
सीयूजी मोबाइल नम्बर और ईमेल आईडी जारी

18 new cyber stations opened in UP. यूपी में खुले 18 नए साइबर थाने ।

UP TET 2020 : दिसंबर में यूपी टीईटी की तैयारी

दिसबंर में यूपीटीईटी की तैयारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी सितंबर के पहले पखवाड़े में भेजेंगे प्रस्ताव