फतेहपुर:- आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने एरियर भुगतान हेतु अब विधायक एवं सांसद से की मांग, 3 साल होने को है एरियर का नहीं है कोई खबर
Month: November 2020
5 वर्षों में पूर्व विधायकों की पेंशन में 200% से ज्यादा तक की वृद्धि
बिना पूर्व सूचना के परिषदीय स्कूलों में भ्रमण नहीं करेंगे एआरपी (ARP)
बिना पूर्व सूचना के परिषदीय स्कूलों में भ्रमण नहीं करेंगे एआरपी (ARP)
प्रयागराज : स्कूलों में पठन पाठन को बेहतर बनाने के लिए एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) को तमाम दिशा निर्देश दिए गए हैं। इनमें एक यह भी है कि वह स्कूलों का सपोर्टिव सुपरविजन करेंगे। एआरपी को हिदायत दी गई है कि वह बिना सूचना स्कूल न जाएं। जब भी जाएं तो विद्यालय में पहुंचकर अध्यापकों को सुझाव व सहयोग दें। पठन पाठन के तौर तरीकों पर चर्चा करें।
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक (पीएसपीएसए) के प्रांतीय उपाध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि कुछ जगहों से शिकायत मिल रही है कि एआरपी स्कूलों में बिना सूचना के पहुंच रहे हैं। सहयोग की जगह वे प्रशासनिक गतिविधि का हिस्सा बन रहे हैं जो कि गलत है। उनका काम प्रतिदिन दो स्कूल में जाकर शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रयास करना है। बच्चों व शिक्षकों से बात करने जिससे यदि अध्यापन में तकनीकी दोष हो तो उसे दूर किया जा सके। प्रत्येक एआरपी यदि सूचना देकर आएंगे तो विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी बुलाया जा सकेगा। स्कूल में अभिभावक रहेंगे तो ही उनके अध्यापन संबंधी फीडबैक मिलेगा। बिना सूचना दिए आने पर अभिभावकों से कोई बात नहीं हो पाती है।
उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया है कि बिना सूचना दिए आने वाले एआरपी को स्कूल में स्थान न दें। ऐसे लोगों की शिकायत भी विभाग के उच्चाधिकारियों से की जाएगी। समन्वयक डॉ. विनोद मिश्र ने बताया कि एआरपी के नियुक्ति का उद्देश्य है कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरे। अध्यापक भी जिम्मेदारी से बच्चों को पढ़ाएं।
अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों पर लगी रोक में पुनर्विचार की मांग, बेसिक शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट में दाखिल की अर्जी
अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों पर लगी रोक में पुनर्विचार की मांग, बेसिक शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट में दाखिल की अर्जी
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज ने प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों का बीच सत्र में स्थानांतरण करने पर लगी रोक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से पुनíवचार करने की मांग की है।
हाईकोर्ट द्वारा अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों के संबंध में दिव्या गोस्वामी केस में पारित आदेश से सत्र मध्य तबादलों पर रोक लगा दी है। परिषद ने आदेश को संशोधित करके तबादले की अनुमति देने के लिए अर्जी दाखिल की है।
बेसिक शिक्षा परिषद का कहना है कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों में छात्र नहीं आ रहे हैं। इससे पढ़ाई भी नहीं हो रही है, इसलिए बीच सत्र में स्थानांतरण करने से छात्रों की पढ़ाई में बाधा नहीं आएगी। ऐसी स्थिति में सत्र के बीच में स्थानांतरण करने की अनुमति देने से कोई विधिक नुकसान नहीं होगा।
बेसिक शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण को लेकर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 को शासनादेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जो शिक्षक एक बार अंतर जिला स्थानांतरण ले चुके हैं वह दोबारा तबादला की मांग नहीं कर सकते हैं। दिव्या गोस्वामी सहित अन्य दर्जनों याचिकाओं में इस शासनादेश को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट ने शासनादेश में सिर्फ अध्यापिकाओं को रियायत देते हुए कहा कि यदि शिक्षिका ने विवाह पूर्व अंतर जिला स्थानांतरण लिया है। इसके बाद उनका विवाह हुआ है तो वह दोबारा स्थानांतरण की मांग कर सकती हैं। इसके अलावा चिकित्सकीय आधार पर भी दोबारा स्थानांतरण की मांग की जा सकती है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि बीच सत्र में अध्यापकों के स्थानांतरण न किए जाएं।
अंग्रेजी स्कूल में तैनाती के लिए हाईकोर्ट की शरण में शिक्षक, 13 जिलों में फंसी है तैनाती।
अंग्रेजी स्कूल में तैनाती के लिए हाईकोर्ट की शरण में शिक्षक, 13 जिलों में फंसी है तैनाती।
बेसिक शिक्षा परिषद के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। जिले में सवा साल से तैनाती के लिए भटक रहीं प्रतिभा सिंह और 43 अन्य शिक्षकों ने शासनादेश के अनुरूप अंग्रेजी स्कूलों में तैनाती की गुहार लगाई है। इस मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होनी है।
चयनित शिक्षकों का तर्क है कि 29 मई को शासन ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में तैनाती पर रोक हटा ली थी। लेकिन इसके पांच महीने बाद भी प्रयागराज में तैनाती नहीं की गई है। जिले में सत्र 2019-20 में 110 प्राथमिक 24 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए 25 मार्च 2019 तक आवेदन लिए गए थे।
16 मई को परीक्षा हुई और 26 जून से 1 जुलाई तक सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ। 31 अगस्त और 1 सितंबर 2019 को चयनित शिक्षकों से स्कूलों के विकल्प भराए गए। लेकिन इसके बाद तैनाती नहीं की गई। चयनित शिक्षकों ने कई बार बीएसए और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से वार्ता की तो हर बार अफसरों ने एक-दूसरे पर टाल दिया।
सवा साल बाद भी तैनाती नहीं होने से दु:खी शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका कर दी। इससे पहले रामनाथपुर के ग्राम प्रधान और अन्य 5 प्रधान भी अपने गांव में इंग्लिश मीडियम स्कूल बनने के बावजूद शिक्षकों की नियुक्ति न होने को लेकर याचिकाएं कर चुके हैं।
13 जिलों में फंसी है तैनाती
प्रदेश के 13 जिलों में अंग्रेजी माध्यम परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षकों की तैनाती फंसी है। अकेले प्रयागराज में ही लगभग 500 शिक्षक तैनाती का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा लखनऊ, मथुरा, फतेहपुर व बदायूं समेत 13 जिले हैं जहां तैनाती नहीं हो सकी है। प्रदेश में लगभग 15 हजार प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम से संचालित हैं।
लर्निंग पासबुक से होगी शिक्षण कार्यों की निगरानी, दीक्षा एप से लिंक होगी लर्निंग पासबुक, क्या पढ़ाया ऑनलाइन होगा बताना
लर्निंग पासबुक से होगी शिक्षण कार्यों की निगरानी, दीक्षा एप से लिंक होगी लर्निंग पासबुक, क्या पढ़ाया ऑनलाइन होगा बताना
बैंकों के तर्ज पर बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के लिए ऑनलाइन ‘लर्निंग पासबुक’ बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षकों को इसकी मदद से ऑनलाइन शैक्षिक सामग्री के ‘डेबिट’ एवं ‘क्रेडिट’ की जानकारी एक क्लिक में हासिल हो सकेगी। दीक्षा एप के जरिए महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) विजय किरन आनंद इसकी निगरानी रखेंगे कि शिक्षकों ने कितनी शैक्षिक सामग्री का उपयोग किया है। इसे लेकर उनका आदेश गोरखपुर के बीएसए दफ्तर पहुंच गया है।
आदेश के मुताबिक इस पहल के तहत शिक्षकों को तय समय में कक्षावार उपलब्ध अध्ययन सामग्री को छात्रों को पढ़ाना होगा। शिक्षकों को लर्निंग पासबुक में पढ़ाई गई सामग्री को डेबिट और क्रेडिट के खाते में दर्ज भी करना होगा। दीक्षा एप की निगरानी स्वयं महानिदेशक के स्तर से की जा रही है। इस एप पर शिक्षकों के साथ ही विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इसके तहत बनी व्यवस्था में अध्यापकों के लिए हर हफ्ते का पाठ्यक्रम भी तय किया गया है। एप की हर गतिविधि को मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा। शिक्षकों के लिए तैयार लर्निंग पासबुक, डिजिटल डायरी की तर्ज पर काम करेगा ।
दीक्षा एप से लिंक होगी लर्निंग पासबुक, क्या पढ़ाया ऑनलाइन बताना होगा
लर्निंग पासबुक के माध्यम से शिक्षकों की ओर से किए जा रहे अध्यापन कार्य की निगरानी होगी। इसे लेकर बेसिक शिक्षा विभाग का निर्देश मिला है। इसके बारे में शिक्षकों को जानकारी दो जा रही है। – बीएन सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
सरकार ने मानी 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला
सरकार ने माना – 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला
31,277 अभ्यर्थियों की चयन सूची में हैं विसंगतियां, एनआइसी की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही
69000 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 31277 शिक्षकों की नियुक्ति फौरी, हो सकेगा बदलाव, प्रत्येक की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीन
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा- 2019 में 31 हजार 277 पदों पर हो रही चयन व नियुक्ति प्रक्रिया फौरी है व पुनरीक्षण के अधीन है। सरकार की ओर से यह जवाब एक अभ्यर्थी की याचिका पर दिया गया जिसमें याची से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया जबकि अभ्यर्थीको अधिक अंक मिलने के बावजूद चयन सूची से बाहर कर दिया गया है। वहीं सरकार की ओर से यह भी बताया गयाकि इस सम्बंध में एन आईसी द्वारा जांच की जा रही है और जांच का परिणाम आने पर इस प्रकार की गड़बड़ियों को दूर कर लिया जाएगा।
सरकार के इस आश्वासन के बाद न्यायालय ने किसी अन्य आदेश को पारितकरने की आवश्यकता नहीं पाई। न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने कहा कि सरकार के उक्त आश्वासन के पश्चात याची व इस प्रकार के अन्य अभ्यर्थियों के अधिकार व हित को सुरक्षित करने के लिए किसी अन्य आदेश की आवश्यकता नहीं है। दरअसल याची पंकज यादव की ओर से दाखिल उक्त याचिका में कहा गया कि उसे 71.1 अंक मिले जबकि उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया व उसे चयन सूची में जगह नहीं मिली। याचिका में ऐसे एक अभ्यर्थी का उदाहरण भी दिया गया जिसे 68.78 अंक मिलने के बावजूद काउंलिंग के लिए बुलाया गया। कहा गया कि दरअसल कुल 69 हजार पदों पर भर्ती की जानी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों के लिए 37 हजार 339 पदों को सुरक्षित रखने के आदेश के बाद 31 हजार 277 पदों पर ही भर्ती की जानी है।
प्रत्येक की नियुवित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीनयाचिका के जवाब में राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता का कहना था कि इस मामते में प्रत्येक नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेशों के अधीन है क्योंकि वहां एक विशेष अनुमति याचिका में कट ऑफ मार्क्स और शिक्षामित्रों को समायोजित किये जाने का मुद्दा विचाराधीन है। सरकारी अधिवक्ता ने आगे कहा कि अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को नजरंदाज कर के कम अंक वालों को नियुक्ति देने का प्रश्न ही नहीं उठता। यदि किन्हीं मामलों में हो जाता है तो अधिक अंक वाले अभ्यर्थी को फ्रेश काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा व कम अंक वाले की चयन व नियुक्ति रद् कर दी जाएगी। हालांकि यह भी कहा गया कि उक्त विसंगतियों को लेकर एनआईसी द्वारा जांच की जा रही है, जांच परिणाम आने के पश्चात इन्हें ठीक कर लिया जाएगा।
लखनऊ। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 की चयन सूची में बिसंगतियां हैं। सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि बिसंगतियों को लेकर नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी ) से जवाब मांगा गया है। एनआईसी का जवाब मिलने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। सरकार की तरफ से कहा गया कि 31,277 पदों पर भर्तियों का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद कहा कि याची पंकज यादव की याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि अधिक अंक पाने के बावजूद याची का नाम चयन सूची में नहों है। याची की दलील थी कि ओबीसी श्रेणी में उसका क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 फीसदी है, पर उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया। वहीं, 68.78 फीसदी वालों को इसके लिए बुलाया गया। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने बाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।
यह है मामला : परिषदीय स्कूलों में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार कोर्ट के 21 मई के पर राज्य सरकार ने 31,661 पदों पर चयनितों की सूची जारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने 31,277 पर्दो पर अभ्यर्थियों का अनंतिम रूप से चयन कर उनको जिलों में भेज दिया।
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 भर्ती की चयन सूची में विसंगतियां हैं। साथ ही कहा कि इस विषय में एनआइसी से जवाब-तलब किया गया है, जिसका जवाब आने पर कार्यवाही की जाएगी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि 31,277 पदों पर भर्तियां फौरी हैं और इनका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद जस्टिस मनीष कुमार की एकल पीठ ने कहा कि पंकज यादव द्वारा दाखिल इस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि बेसिक शिक्षक भर्ती-2019 में उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है, जबकि अधिक अंक होते हुए भी उनका नाम 24 सितम्बर, 2020 को घोषित की गई चयन सूची में नहीं है और न ही काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।
दरअसल याची के अधिवक्ता का आरोप था कि ओबीसी कैटेगरी में याची के क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 प्रतिशत हैं किन्तु उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया है जबकि 68.78 प्रतिशत अंक पाने वालों को बुलाया गया है जो कि सरासर मनमाना व गलत है। वहीं राज्य सरकार की तरफ से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि कहीं कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।
2011 का टीईटी प्रमाणपत्र 2018 के लिए वैध नहीं
2011 का टीईटी प्रमाणपत्र 2018 के लिए वैध नहीं
बिना वैध योग्यता के प्रधानाध्यापक की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, यूपी सरकार से मांगा जवाब।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि वर्ष 2011 में टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र वर्ष 2018 में नियुक्ति के लिए वैध नहीं है।
इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में बीएसए वाराणसी के एक सितंबर 2020 व प्रबंधन के तीन सितंबर 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है और इस मामले में राज्य सरकार व विपक्षी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय विपक्षी के पास पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं थी। ऐसे में उसे प्रधानाध्यापिका के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि वर्ष 2011 में टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र वर्ष 2018 में नियुक्ति के लिए वैध नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में बीएसए वाराणसी के एक सितंबर 2020 व प्रबंधन के तीन सितंबर 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है और इस मामले में राज्य सरकार व विपक्षी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय विपक्षी के पास पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं थी। ऐसे में उसे प्रधानाध्यापिका के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने रमाकांत सेवा संस्थान माध्यमिक विद्यालय, पिशाचमोचन, वाराणसी की कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुशीला उर्फ रामा की याचिका पर अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह को सुनकर दिया है। याची रमाकांत सेवा संस्थान माध्यमिक विद्यालय में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थी।इसी पद पर चयनित रंजना चौबे की नियुक्ति की गई है, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई हैं कि नियुक्ति के समय वह पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं रखती थी क्योंकि उसने वर्ष 2011 में टीईटी पास किया जो पांच वर्ष के लिए ही वैध था। ऐसे में जिस समय उसकी नियुक्ति हुई, उसके पास वैध प्रमाणपत्र नहीं था।