बेसिक शिक्षक भर्ती : बीएड-डीएलएड प्रशिक्षु अब आमने-सामने

बेसिक शिक्षक भर्ती : बीएड-डीएलएड प्रशिक्षु अब आमने-सामने


🛑 भर्ती से बीएड को बाहर करने पर अड़े डीएलएड वाले
🛑 2018 में बीएड को शिक्षक भर्ती में किया था मान्य

प्रयागराज । प्राथमिक स्तर की टीईटी 2021 के प्रमाणपत्र जारी करने पर हाईकोर्ट की रोक एक अदद सरकारी नौकरी पाने की लड़ाई का परिणाम है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 28 जून 2018 को बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक स्तर (कक्षा एक से पांच तक) की शिक्षक भर्ती के लिए मान्य कर दिया था। जिसके बाद 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में हजारों बीएड डिग्रीधारी शिक्षक पद पर चयनित हो गए।


उसी के बाद से डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) करने वाले बेरोजगारों में असंतोष था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों की संख्या तकरीबन 12 लाख और डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या छह से सात लाख के आसपास बताई जा रही है। डीएलएड प्रशिक्षुओं का तर्क है कि बीएड का कोर्स माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए तैयार किया गया है।


चूंकि पहले उत्तर प्रदेश में डीएलएड (बीटीसी) प्रशिक्षुओं की पर्याप्त संख्या उपलब्ध नहीं थी इसलिए बीएड डिग्रीधारियों को एक जनवरी 2012 तक प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए छूट दी गई थी। 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में विवाद के कारण समयसीमा बीतने पर बीएड वालों को 31 मार्च 2014 तक नियुक्ति में छूट बढ़ानी पड़ी थी।


उसके बाद बीएड वाले प्राथमिक स्कूलों की भर्ती से बाहर हो गए थे। हालांकि एनसीटीई ने 28 जून 2018 को फिर से बीएड करने वालों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य कर लिया। जिसके चलते डीएलएड करने वालों की शिक्षक भर्ती में चयन की संभावना कम हो गई।

UP PANCHAYAT CHUNAV RESULT 2021: पंचायत चुनाव मतगणना स्थगित करने की मांग पर कर्मचारी संगठन एकजुट, जानें- क्‍या है कारण

यूपी एजूकेशन आफीसर्स एसोसिएशन व प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अतिरिक्त कई अन्य शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं। संगठनों ने राज्य निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर दो मई को होने वाली पंचायत चुनाव की मतगणना स्थगित करने की मांग की है।

प्रयागराज, कोरोना संक्रमण की बढ़ती लहर के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी तमाम तरह की कठिनाई का सबब बन रहा है। खासकर चुनाव ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसकी वजह यह कि चुनाव कराने के प्रशिक्षण से लेकर मतदान व मतगणना तक शारीरिक दूरी जैसे नियम का पालन सख्ती से नहीं हो पाता।

संगठनों ने राज्‍य निर्वाचन आयोग को भेजा पत्र

इसे लेकर अब यूपी एजूकेशन आफीसर्स एसोसिएशन व प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अतिरिक्त कई अन्य शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं। संगठनों ने राज्य निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर दो मई को होने वाली पंचायत चुनाव की मतगणना स्थगित करने की मांग की है।

पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित हुए कर्मचारी

यूपी एजुकेशनल आफीसर्स एसोसिएशन ने पत्र भेजकर स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट किया है। बताया है कि पोलिंग पार्टियों की रवानगी और मतपेटियों के जमा करने के दौरान भारी भीड़ होती है। इसकी वजह से संक्रमण भी तेजी से फैल रहा है। चुनाव कराने के बाद तमाम कर्मचारी संक्रमित हुए कई की तो जान भी चली गई। ऐसे में अब मतगणना के दौरान फिर मतपेटियों को जब छुआ जाएगा तो संक्रमण का खतरा होगा। मतगणना के दौरान कोविड-19 से बचाव संबंधी कोई ब्लू प्रिंट भी नहीं तैयार किया गया है। यह सब कर्मचारियों के प्रति उपेक्षा का द्योतक है। आयोग से गुजारिश है कि सभी कर्मचारियों के हित में फैसला लिया जाए।

135 शिक्षकों व शिक्षामित्रों की की जा चुकी है जान

शिक्षक संगठनों का कहना है कि चुनाव ड्यूटी से लौटने के बाद अब तक 135 शिक्षकों, शिक्षामित्रों की जान कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जा चुकी है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का कहना है कि आए दिन लोगों के संक्रमित होने का दौर जारी है। इससे सभी लोग सहमे हुए हैं। जहां भी चुनाव हो जा रहे हैं उसके बाद संक्रमण की रफ्तार भी बढ़ रही है। ऐसे में आयोग को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) भी आगे आया

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) ने मुख्यमंत्री व राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भेजा है। इसमें मांग की गई है कि कोरोना संक्रमण के बढऩे व शिक्षकों, कर्मचारियों की हो रही मौत को देखते हुए पंचायत चुनाव की मतगणना को स्थगित किया जाए। बताया है कि मतगणना के दौरान पूरे प्रदेश में सभी विकासखंडों में कुल 25 से 30 लाख लोग एकत्र होंगे। ऐसे में महामारी का और विस्फोटक स्वरूप सामने आ सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में स्थिति विकराल हो जाएगी। अत: मतगणना को स्थगित करना ही सभी के हित में है। उधर, केंद्रीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव वाईएन सिंह ने घोषणा की है कि पंचायत चुनाव की मतगणना का बहिष्कार किया जाएगा।

अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों पर लगी रोक में पुनर्विचार की मांग, बेसिक शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट में दाखिल की अर्जी

अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों पर लगी रोक में पुनर्विचार की मांग, बेसिक शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट में दाखिल की अर्जी

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज ने प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों का बीच सत्र में स्थानांतरण करने पर लगी रोक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से पुनíवचार करने की मांग की है।

हाईकोर्ट द्वारा अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों के संबंध में दिव्या गोस्वामी केस में पारित आदेश से सत्र मध्य तबादलों पर रोक लगा दी है। परिषद ने आदेश को संशोधित करके तबादले की अनुमति देने के लिए अर्जी दाखिल की है।
बेसिक शिक्षा परिषद का कहना है कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों में छात्र नहीं आ रहे हैं। इससे पढ़ाई भी नहीं हो रही है, इसलिए बीच सत्र में स्थानांतरण करने से छात्रों की पढ़ाई में बाधा नहीं आएगी। ऐसी स्थिति में सत्र के बीच में स्थानांतरण करने की अनुमति देने से कोई विधिक नुकसान नहीं होगा।


बेसिक शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण को लेकर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 को शासनादेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जो शिक्षक एक बार अंतर जिला स्थानांतरण ले चुके हैं वह दोबारा तबादला की मांग नहीं कर सकते हैं। दिव्या गोस्वामी सहित अन्य दर्जनों याचिकाओं में इस शासनादेश को चुनौती दी गई थी।


हाईकोर्ट ने शासनादेश में सिर्फ अध्यापिकाओं को रियायत देते हुए कहा कि यदि शिक्षिका ने विवाह पूर्व अंतर जिला स्थानांतरण लिया है। इसके बाद उनका विवाह हुआ है तो वह दोबारा स्थानांतरण की मांग कर सकती हैं। इसके अलावा चिकित्सकीय आधार पर भी दोबारा स्थानांतरण की मांग की जा सकती है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि बीच सत्र में अध्यापकों के स्थानांतरण न किए जाएं।

अंग्रेजी स्कूल में तैनाती के लिए हाईकोर्ट की शरण में शिक्षक, 13 जिलों में फंसी है तैनाती।

अंग्रेजी स्कूल में तैनाती के लिए हाईकोर्ट की शरण में शिक्षक, 13 जिलों में फंसी है तैनाती।

बेसिक शिक्षा परिषद के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। जिले में सवा साल से तैनाती के लिए भटक रहीं प्रतिभा सिंह और 43 अन्य शिक्षकों ने शासनादेश के अनुरूप अंग्रेजी स्कूलों में तैनाती की गुहार लगाई है। इस मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होनी है।

चयनित शिक्षकों का तर्क है कि 29 मई को शासन ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में तैनाती पर रोक हटा ली थी। लेकिन इसके पांच महीने बाद भी प्रयागराज में तैनाती नहीं की गई है। जिले में सत्र 2019-20 में 110 प्राथमिक 24 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए 25 मार्च 2019 तक आवेदन लिए गए थे।

16 मई को परीक्षा हुई और 26 जून से 1 जुलाई तक सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ। 31 अगस्त और 1 सितंबर 2019 को चयनित शिक्षकों से स्कूलों के विकल्प भराए गए। लेकिन इसके बाद तैनाती नहीं की गई। चयनित शिक्षकों ने कई बार बीएसए और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से वार्ता की तो हर बार अफसरों ने एक-दूसरे पर टाल दिया।

सवा साल बाद भी तैनाती नहीं होने से दु:खी शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका कर दी। इससे पहले रामनाथपुर के ग्राम प्रधान और अन्य 5 प्रधान भी अपने गांव में इंग्लिश मीडियम स्कूल बनने के बावजूद शिक्षकों की नियुक्ति न होने को लेकर याचिकाएं कर चुके हैं।


13 जिलों में फंसी है तैनाती


प्रदेश के 13 जिलों में अंग्रेजी माध्यम परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षकों की तैनाती फंसी है। अकेले प्रयागराज में ही लगभग 500 शिक्षक तैनाती का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा लखनऊ, मथुरा, फतेहपुर व बदायूं समेत 13 जिले हैं जहां तैनाती नहीं हो सकी है। प्रदेश में लगभग 15 हजार प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम से संचालित हैं।

सरकार ने मानी 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला

सरकार ने माना – 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला

31,277 अभ्यर्थियों की चयन सूची में हैं विसंगतियां, एनआइसी की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही


69000 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 31277 शिक्षकों की नियुक्ति फौरी, हो सकेगा बदलाव, प्रत्येक की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीन

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा- 2019 में 31 हजार 277 पदों पर हो रही चयन व नियुक्ति प्रक्रिया फौरी है व पुनरीक्षण के अधीन है। सरकार की ओर से यह जवाब एक अभ्यर्थी की याचिका पर दिया गया जिसमें याची से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया जबकि अभ्यर्थीको अधिक अंक मिलने के बावजूद चयन सूची से बाहर कर दिया गया है। वहीं सरकार की ओर से यह भी बताया गयाकि इस सम्बंध में एन आईसी द्वारा जांच की जा रही है और जांच का परिणाम आने पर इस प्रकार की गड़बड़ियों को दूर कर लिया जाएगा। 

सरकार के इस आश्वासन के बाद न्यायालय ने किसी अन्य आदेश को पारितकरने की आवश्यकता नहीं पाई। न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने कहा कि सरकार के उक्त आश्वासन के पश्चात याची व इस प्रकार के अन्य अभ्यर्थियों के अधिकार व हित को सुरक्षित करने के लिए किसी अन्य आदेश की आवश्यकता नहीं है। दरअसल याची पंकज यादव की ओर से दाखिल उक्त याचिका में कहा गया कि उसे 71.1 अंक मिले जबकि उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया व उसे चयन सूची में जगह नहीं मिली। याचिका में ऐसे एक अभ्यर्थी का उदाहरण भी दिया गया जिसे 68.78 अंक मिलने के बावजूद काउंलिंग के लिए बुलाया गया। कहा गया कि दरअसल कुल 69 हजार पदों पर भर्ती की जानी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों के लिए 37 हजार 339 पदों को सुरक्षित रखने के आदेश के बाद 31 हजार 277 पदों पर ही भर्ती की जानी है।

प्रत्येक की नियुवित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीनयाचिका के जवाब में राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता का कहना था कि इस मामते में प्रत्येक नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेशों के अधीन है क्योंकि वहां एक विशेष अनुमति याचिका में कट ऑफ मार्क्स और शिक्षामित्रों को समायोजित किये जाने का मुद्दा विचाराधीन है। सरकारी अधिवक्ता ने आगे कहा कि अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को नजरंदाज कर के कम अंक वालों को नियुक्ति देने का प्रश्न ही नहीं उठता। यदि किन्हीं मामलों में हो जाता है तो अधिक अंक वाले अभ्यर्थी को फ्रेश काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा व कम अंक वाले की चयन व नियुक्ति रद्‌ कर दी जाएगी। हालांकि यह भी कहा गया कि उक्त विसंगतियों को लेकर एनआईसी द्वारा जांच की जा रही है, जांच परिणाम आने के पश्चात इन्हें ठीक कर लिया जाएगा।

लखनऊ। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 की चयन सूची में बिसंगतियां हैं। सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि बिसंगतियों को लेकर नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी ) से जवाब मांगा गया है। एनआईसी का जवाब मिलने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। सरकार की तरफ से कहा गया कि 31,277 पदों पर भर्तियों का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। 

न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद कहा कि याची पंकज यादव की याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि अधिक अंक पाने के बावजूद याची का नाम चयन सूची में नहों है। याची की दलील थी कि ओबीसी श्रेणी में उसका क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 फीसदी है, पर उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया। वहीं, 68.78 फीसदी वालों को इसके लिए बुलाया गया। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने बाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।

यह है मामला : परिषदीय स्कूलों में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार कोर्ट के 21 मई के पर राज्य सरकार ने 31,661 पदों पर चयनितों की सूची जारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने 31,277 पर्दो पर अभ्यर्थियों का अनंतिम रूप से चयन कर उनको जिलों में भेज दिया।

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 भर्ती की चयन सूची में विसंगतियां हैं। साथ ही कहा कि इस विषय में एनआइसी से जवाब-तलब किया गया है, जिसका जवाब आने पर कार्यवाही की जाएगी।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि 31,277 पदों पर भर्तियां फौरी हैं और इनका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद जस्टिस मनीष कुमार की एकल पीठ ने कहा कि पंकज यादव द्वारा दाखिल इस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि बेसिक शिक्षक भर्ती-2019 में उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है, जबकि अधिक अंक होते हुए भी उनका नाम 24 सितम्बर, 2020 को घोषित की गई चयन सूची में नहीं है और न ही काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।

दरअसल याची के अधिवक्ता का आरोप था कि ओबीसी कैटेगरी में याची के क्वालिटी प्वाइंट मार्क्‍स 71.1 प्रतिशत हैं किन्तु उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया है जबकि 68.78 प्रतिशत अंक पाने वालों को बुलाया गया है जो कि सरासर मनमाना व गलत है। वहीं राज्य सरकार की तरफ से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि कहीं कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।

2011 का टीईटी प्रमाणपत्र 2018 के लिए वैध नहीं

2011 का टीईटी प्रमाणपत्र 2018 के लिए वैध नहीं

बिना वैध योग्यता के प्रधानाध्यापक की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, यूपी सरकार से मांगा जवाब।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि वर्ष 2011 में टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र वर्ष 2018 में नियुक्ति के लिए वैध नहीं है। 

इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में बीएसए वाराणसी के एक सितंबर 2020 व प्रबंधन के तीन सितंबर 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है और इस मामले में राज्य सरकार व विपक्षी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

 कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय विपक्षी के पास पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं थी। ऐसे में उसे प्रधानाध्यापिका के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि वर्ष 2011 में टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र वर्ष 2018 में नियुक्ति के लिए वैध नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में बीएसए वाराणसी के एक सितंबर 2020 व प्रबंधन के तीन सितंबर 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है और इस मामले में राज्य सरकार व विपक्षी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय विपक्षी के पास पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं थी। ऐसे में उसे प्रधानाध्यापिका के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। 

यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने रमाकांत सेवा संस्थान माध्यमिक विद्यालय, पिशाचमोचन, वाराणसी की कार्यवाहक प्रधानाध्यापक  सुशीला उर्फ रामा की याचिका पर अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह को सुनकर दिया है। याची रमाकांत सेवा संस्थान माध्यमिक विद्यालय में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थी।इसी पद पर चयनित रंजना चौबे की नियुक्ति की गई है, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई हैं कि नियुक्ति के समय वह पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं रखती थी क्योंकि उसने वर्ष 2011 में टीईटी पास किया जो पांच वर्ष के लिए ही वैध था। ऐसे में जिस समय उसकी नियुक्ति हुई, उसके पास वैध प्रमाणपत्र नहीं था।

परिषदीय शिक्षक अंतर्जनपदीय तबादले को फिर लिए जाएंगे आवेदन, अब शिक्षकों को जिलों में सुदूर मिलेगी नियुक्ति

परिषदीय शिक्षक अंतर्जनपदीय तबादले को फिर लिए जाएंगे आवेदन, अब शिक्षकों को जिलों में सुदूर मिलेगी नियुक्ति

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद अंतर जिला तबादले की वेबसाइट फिर खोलने की तैयारी कर रहा है। इस बार उन अध्यापिकाओं से आनलाइन आवेदन लिए जाएंगे, जिनका विवाह नियुक्ति मिलने के बाद हुआ है और वे तबादले का दूसरा अवसर चाहती हैं। यह कदम परिषद हाईकोर्ट के आदेश पर उठाएगा। कोर्ट ने विवाहित महिलाओं के अलावा अन्य के संबंध में विस्तृत आदेश दिया है, उनका भी अनुपालन होगा। परिषद वेबसाइट खोलने की समय सारिणी इसी माह जारी कर सकता है।

शासन से जारी आदेश में एक बार ही अंतर जिला तबादले का प्राविधान किया गया है। कोर्ट उन्हें जरूर राहत दी है। अब अनुपालन परिषद को कराना है। शासनादेश के अनुसार ऐसे शिक्षक जो दूसरी बार तबादला चाहते थे उनका आवेदन निरस्त किया जा चुका है, वहीं कई ने तबादले की शर्तो को देखते हुए आवेदन ही नहीं किया था। इसलिए वेबसाइट खोलकर फिर से आवेदन लेना जरूरी है।

अब जिलों में सुदूर मिलेगी नियुक्ति

कोर्ट ने नियुक्ति के समय अध्यापकों को पांच साल व अध्यापिकाओं को दो साल पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में रहना अनिवार्य किया है। इस अवधि में किसी का तबादला नहीं होगा। विशेष स्थिति में केवल अध्यापिकाओं को छूट मिलेगी। इससे शिक्षकों को जिलों में सुदूर नियुक्ति मिल सकेगी। वहीं, नई नियुक्तियों में अंतर जिला तबादला होना ही नहीं है।

हाईकोर्ट से फैसले मिलने के बाद ही हो पाएंगे अंतर्जनपदीय तबादले।

प्रयागराज। बेसिक शिक्षा के सहायक अध्यापकों के अंतर जनपदीय तबादले को अभी तक हाईकोर्ट से हरी झंडी नही मिली है। इससे सहायक अध्यापकों के ब्लाक स्तरीय तबादले भी फंस गये हैं

क्योंकि इस वार प्रदेश सरकार ब्लाक स्तरीय तवादलों के लिए पहली वार आनलाइन आवेदन लेने जा रही थी लेकिन मामला फंस गया है। इससे बड़ी संख्या में सहायक अध्यापक एक वार फिर से निराश हो गये हैं कि उनका ब्लाक स्तर का तबादला कब तक होगा।

अनुदेशकों को 100 छात्र से कम होने पर हटाने पर रोक, 7000 रुपये मानदेय देने पर तीन हफ्ते में जवाब तलब

उरुआ, गोरखपुर में नियुक्त अनुदेशकों को सौ छात्र से कम संख्या होने के कारण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सातों याची अनुदेशकों को 31 जनवरी 2013 के शासनादेश के तहत कार्य करने देने व मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अनुदेशकों को मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन से कम सात हजार रुपये देने पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश न्यायमूíत पंकज भाटिया ने प्रभु शंकर व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत केंद्र सरकार ने अनिवार्य शिक्षा कानून बनाया। शिक्षकों की जरूरत पूरी करने के लिए मानदेय पर 11 माह के लिए नवीनीकृत करने की शर्त के साथ अनुदेशकों की नियुक्ति की व्यवस्था की गयी। कला, स्वास्थ्य, शारीरिक कार्य शिक्षा देने के लिए 41307 अनुदेशकों के पद सृजित किये गये। इन्हें भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया।


याचियों की 2013 में नियुक्ति हुई। फिर समय-समय पर कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा। मई 2019 के बाद याचियों का नवीनीकरण करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया गया कि जरूरत नहीं है। छात्र संख्या 100 से कम हो गयी है। इसे चुनौती दी गयी। कोर्ट ने जिलाधिकारी को नवीनीकरण पर निर्णय लेने पर विचार का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने निरस्त कर दिया तो यह याचिका दाखिल की गयी है।

बेसिक शिक्षकों के अंतर्जनपदीय ट्रांसफर का मामला पहुँचा हाईकोर्ट, योगी सरकार ने जवाब तलब, अगली डेट 16

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले को लेकर दाखिल दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार से मामले की जानकारी मांगी है। शिक्षकों की ओर से याचिकाएं दाखिल कर कहा गया है कि उन्होंने अंतरजनपदीय तबादले के लिए आवेदन किया है। उनके प्रार्थनापत्र अपर निदेशक शिक्षा के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए लंबित हैं। मगर अपर निदेशक की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है।

दीपिका श्रीवास्तव सहित लगभग एक दर्जन अध्यापकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने सरकारी वकील को इस मामले में 16 जुलाई तक जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।