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बेसिक शिक्षा मंत्री ने गिनाई 100 दिनों में विभाग की उपलब्धियां, आने वालें दिनों में होंगे यह परिवर्तन
बेसिक शिक्षा : सीएम की स्वीकृति पर तबादले, जरूरत पर होगी भर्ती
लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री के पास इस वर्ष की पॉलिसी भेजी गई है। उनकी स्वीकृति के बाद ही तबादले की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। साथ ही उन्होंने प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का अनुपात देखने व समायोजन के बाद ही नए शिक्षकों की भर्ती के बारे में विचार करने की बात कही है। लोकभवन में सरकार के सौ दिन पूरे होने पर रविवार को विभागीय उपलब्धियों की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 21695 शिक्षकों के तबादले किए गए थे। मृतक आश्रितों के समायोजन पर उन्होंने कहा कि समूह ग में पद खाली न होने के कारण आश्रितों को समूह घ में नौकरी दी जा रही है।
अगले चार साल में हर जिले में एक-एक मॉडल कंपोजिट स्कूल
उत्तर प्रदेश में नाबार्ड के सहयोग से अगले चार साल में हर जिले में एक-एक मॉडल कंपोजिट स्कूल खोला जाएगा। इसमें कक्षा एक से 12 तक की पढ़ाई होगी। इसके साथ ही अभ्युदय कंपोजिट स्कूल खोला जाएगा और 5000 स्मार्ट क्लासेज भी नाबार्ड के सहयोग शुरू होंगी। इस समय प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 12000 स्मार्ट क्लास चल रहे हैं। इस बार भारत सरकार ने 18381 स्मार्ट क्लास की और स्वीकृत दी है। इस तरह अगले चार, पांच वर्ष में हर स्कूल में स्मार्ट क्लास शुरू होगी। इसके साथ ही डिजिटल लर्निंग के लिए हर विद्यालय में टैबलेट दिए जाएंगे। इसके लिए दो लाख टैबलेट भारत सरकार ने दिए हैं।
यह जानकारी योगी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह व प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने दी। मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि स्कूल चलो अभियान के तहत अब तक एक करोड़ 90 लाख छात्रों का नामाकंन किया जा चुका है। अब तक 40 लाख नए छात्रों को जोड़ा गया है।
परिषदीय स्कूलों में सभी नामांकित बच्चों का आधारीकरण
साथ ही परिषदीय स्कूलों में सभी नामांकित बच्चों का आधारीकरण किया जा रहा है। अभी तक विभाग की ओर से एक करोड़ दस लाख बच्चों का प्रमाणीकरण और एक करोड़ 66 लाख बच्चों का आधार कार्ड बनाया गया है। स्कूल चलो अभियान के तहत ईंट भट्टों पर काम कर रहे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम किया गया है। इसके तहत 3 लाख 96 हजार से अधिक बच्चों को जोड़ा गया है। प्रदेश के 2 लाख 55 हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से जोड़ा गया है। इसके अलावा निपुण के तहत हर बच्चे की तिमाही प्रोग्रेस चेक करेंगे।
यूपी में हर प्राथमिक विद्यालय को मिलेंगे दो टैबलेट, शिक्षकों के लिए कैशलेस बीमा की सुविधा जल्द
बेसिक शिक्षा परिषद के सभी प्राथमिक विद्यालयों को जल्द ही दो टैबलेट दिए जाएंगे। डिजिटल लर्निंग के तहत इसी माध्यम से शिक्षक बच्चों की पढ़ाई कराएंगे। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि 1,11,599 प्राथमिक स्कूलों के लिए 2,09,863 टैबलेट खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। निविदा जारी कर दी गई है, इसी साल विद्यालयों को यह सुविधा मिल जाएगी।
मंत्री ने रविवार को लोकभवन में बेसिक शिक्षा विभाग की 100 दिन की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि हर स्कूल के प्रधानाध्यापक व एक शिक्षक को अभी टैबलेट मिलेगा। इसी तरह से 18,381 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के लिए धन दिया गया है। स्मार्ट क्लास की निविदा प्रक्रिया चल रही है। निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों का तीन माह का लक्ष्य तय किया जा चुका है।
एक शैक्षिक सत्र में चार बार उनकी दक्षता का परीक्षण होगा, बच्चों को रिपोर्ट कार्ड भी मिलेंगे। इसके लिए हर स्तर पर डैशबोर्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राज्य स्तर पर इसकी निगरानी के लिए विद्या समीक्षा केंद्र की स्थापना की जा रही है।
बच्चों को कापी, पेन, पेंसिल, रबर व कटर के लिए मिलेंगे 100 रुपयेः मंत्री ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को यूनीफार्म, जूता-मोजा, स्वेटर व स्कूल बैग दिलाने के लिए उनके अभिभावकों के खाते में 1100-1100 रुपये भेजे गए हैं। इस वर्ष से अभिभावकों को प्रति छात्र या छात्रा 1200 रुपये मिलेंगे। कापी, पेन, पेंसिल, कटर व रबर खरीदने के लिए 100 देने का प्रविधान किया गया है। अब 1.15 करोड़ छात्र व 1.48 करोड़ से अधिक अभिभावकों का आधार प्रमाणित किया जा चुका है।
कैशलेस बीमा में पुत्र-पुत्री, माता-पिता व एक और सदस्य को मिलेगा लाभः मंत्री ने बताया कि परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों व शिक्षणेतर कर्मियों को कैशलेश बीमा का लाभ मिलेगा। इसमें कर्मचारी स्वयं व आश्रित पुत्र-पुत्री, माता-पिता और एक स्वजन को शामिल कर सकते हैं। सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पालिसी के लिए तीन, पांच, सात व दस लाख धनराशि की दरें मांगी गई है। शिक्षक व अन्य जिसे चाहें आसानी से ले सकते हैं।
अभिभावकों के खाते में इस बार जाएगा 1200 रुपये
डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत यूनिफार्म, जूता, मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग के लिए पिछले सत्र में अभिभावकों के खाते में 1100 रुपये भेजे गए थे। इस बार डीबीटी के तहत 1200 रुपये अभिभावकों को भेजे जाएंगे, ताकि नोट बुक, पेंसिल वगैरह भी वह खरीद सकें। मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि डीबीटी से अभिभावकों के खाते में भेजी गई राशि के उपयोग को लेकर एक संस्था से सर्वे कराया गया था, जिसमें 85 प्रतिशत ने इसमें प्रसन्नता जताई है। इसके अलावा पिछली बार अभिभावकों व बैंक एकाउंट को सत्यापित किया था। इस बार अभिभावक व बैंक एकाउंट के साथ ही हर बच्चे का आधार सत्यापित करा रहे हैं।
स्कूलों को संवारने में मदद करेगा कायाकल्प विद्यांजलि पोर्टल
बेसिक शिक्षा विभाग जल्द ही कायाकल्प विद्यांजलि पोर्टल भी शुरू करने जा रहा है। इसके जरिए ऐसे लोग जिनका किसी विद्यालय से जुड़ाव रहा है। किसी विद्यालय में वह पढ़े हैं और अपने पुराने स्कूल में कुछ देना चाहते हैं, ऐसे लोग किसी स्कूल को गोद ले सकेंगे। जिले स्तर पर या किसी स्कूल विशेष के लिए फंडिंग कर सकते हैं। भौतिक रूप से खेलने की सामग्री, लाइब्रेरी आदि में मदद कर सकते हैं। सिर्फ पढ़ाकर भी मदद कर पाएंगे।
वर्ल्ड बैंक की मदद से भी बदलेगी तस्वीर
प्रमुख सचिव ने बताया कि सरकार ने वर्ल्ड बैंक से प्रोजेक्ट लिया है। भारत सरकार ने इसे अप्रूव कर दिया है। यह प्रोजेक्ट 4000 करोड़ रुपये का है। इसमें राज्य सरकार का 25 फीसदी हिस्सा है। इसमें जो कार्यक्रम आएंगे, उसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण व व्यावसायिक विकास, आंगनबाड़ी केंद्र को डिजिटल सुरक्षा प्रदान करना, विद्यालयों में स्मार्ट टीवी, स्मार्ट क्लास का प्रावधान करना, डिजिटल डिवाइस, पुस्तकालय की अवस्थापना करना व स्टेट असेसमेंट सेल बनाना शामिल होगा। इसके अलावा निपुण भारत कार्यक्रम को सहयोग देना, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट डायट जैसे संस्थान को आईसीटी युक्त करना और शिक्षकों का प्रशिक्षण बेहतर देना भी इसमें शामिल है।
कैशलेस चिकित्सा सुविधा के लिए चल रही कवायद
मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि कैशलेस चकित्सा सुविधा से छह लाख शिक्षकों, शिक्षामित्रों को लाभ देने की योजना पर काम चल रहा है। ई निविदा प्रकाशित की गई है। तीन, पांच, सात व दस लाख रुपये की धनराशि की बीमा दरें मांगी गई हैं।
बेसिक शिक्षकों के लिए कैशलेस इलाज की योजना ला रही यूपी सरकार, प्रीमियम भरना होगा अपनी जेब से
बेसिक शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज, अनिवार्य की जगह ऐच्छिक होगी योजना जानिए क्यों?
बेसिक शिक्षकों को कैशलेस बीमा के लिए 100 दिन में नहीं मिली कंपनी
सरकारी प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी। इसके तहत पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज वे करा सकेंगे।
लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को कैशलेस बीमा योजना का लाभ पाने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। परिषद अब तक शिक्षकों का बीमा कराने के लिए संबंधित कंपनी खोज नहीं सकी है। यह महत्वपूर्ण योजना बेसिक शिक्षा विभाग के 100 दिन में शामिल रही है लेकिन, टालमटोल से लगातार देरी हो रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग की इस योजना से 6.05 लाख शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें संविदा पर तैनात अनुदेशक व शिक्षामित्र भी शामिल किए जाएंगे। यह योजना अनिवार्य की जगह ऐच्छिक होगी क्योंकि इसका प्रीमियम शिक्षकों-शिक्षामित्रों को अपने वेतन या मानदेय से भरना होगा।
शिक्षक लम्बे समय से सरकारी कर्मचारियों की तरह मेडिकल इंश्योरेंस की मांग कर रहे थे। लेकिन सरकार ने इसमें बीच का रास्ता निकाला है। सरकार जब बड़े समूह में इंश्योरेंस लेगी तो बाजार के मुकाबले इसका प्रीमियम काफी कम आएगा।
यूपी के सरकारी स्कूलों के टीचरों के लिए योगी सरकार नई योजना ला रही है। अब उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। इससे राज्य के छह लाख से ज्यादा शिक्षकों को फायदा होगा। जल्द कंपनी का चयन हो जाएगा।
सरकारी प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को योगी सरकार कैशलेस इलाज की सुविधा देगी। इसके तहत पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज वे करा सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े 6.05 लाख शिक्षकों को इस योजना से लाभ मिलेगा।
योजना के लिए कम्पनी का चयन किया जा रहा है। इसमें संविदा पर तैनात अनुदेशक व शिक्षामित्र भी इस कैशलेस योजना में शामिल किए जाएंगे। यह योजना अनिवार्य की जगह ऐच्छिक होगी क्योंकि इसका प्रीमियम शिक्षकों-शिक्षामित्रों को अपने वेतन या मानदेय से भरना होगा।
शिक्षक लम्बे समय से सरकारी कर्मचारियों की तरह मेडिकल इंश्योरेंस की मांग कर रहे थे। लेकिन सरकार ने इसमें बीच का रास्ता निकाला है। सरकार जब बड़े समूह में इंश्योरेंस लेगी तो बाजार के मुकाबले इसका प्रीमियम काफी कम आएगा।
वहीं क्लेम को लेकर होने वाले विवादों में विभाग अपने कर्मचारियों के पक्ष में निपटारा कराने में मदद करेगा। सरकारी हस्तक्षेप के चलते इंश्योरेंस कम्पनियां मनमानी नहीं कर पाएंगी और कम्पनी भी एक सरकारी विभाग के द्वारा आएगी तो उस पर भी दबाव रहेगा।
इसकी तकनीकी बिड खोली जा चुकी है और फाइनेंशियल बिड भी अंतिम चरण में है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसे 100 दिन की योजना में शामिल किया था लेकिन अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है कि किस कम्पनी को इंश्योरेंस का जिम्मा दिया जाएगा।
प्रदेश के सरकार स्कूलों में 3 लाख 67 हजार 786 सहायक अध्यापक हैं। इसके अलावा 70 हजार 466 प्रधानाध्यापक हैं। संविदा पर 1 लाख 41 हजार 201 शिक्षामित्र और 23 हजार 363 अनुदेशक हैं। इन सभी को इसका लाभ मिलेगा।
जिलों के अंदर शिक्षकों के तबादलों को सीएम की मंजूरी
जिलों के अंदर शिक्षकों के तबादले के लिए जल्द ही आवेदन लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विभाग अगले दो दिनों में तबादले की नीति जारी कर देगा।
लम्बे समय से जिलों के अंदर तबादले नहीं किए गए हैं। केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 79 हजार शिक्षक ऐसे हैं जो सरप्लस हैं यानी जिनकी तैनाती छात्रों के अनुपात में ज्यादा है। कई जिलों में ऐसा है कि शहरों या आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है और गांव के भीतरी इलाकों के स्कूलों में संख्या कम है। आरटीई के मुताबिक प्राइमरी में 30 और जूनियर कक्षाओं में 35 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना चाहिए। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग में म्यूचुअल तबादले और गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों पर सहमति बन गई है। बैठकों पर इस पर सहमति बनी है कि तबादले सत्र के बीच में करके कार्यमुक्ति व कार्यभार ग्रहण करने की प्रक्रिया जाड़े की छुट्टियों में की जाए लेकिन इस पर अब भी मंथन चल रहा है।
बायोमीट्रिक हाजिरी के लिए हर स्कूल में हेडमास्टर समेत दो शिक्षकों को टैबलेट देने की तैयारी
लखनऊ : बुनियादी शिक्षा में इस सत्र में डिजिटल पर जोर रहेगा। बायोमीट्रिक हाजिरी के लिए हर स्कूल में प्रधानाध्यापक समेत दो शिक्षकों को टैबलेट दिया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक राज्य सरकार के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भी टैबलेट दिए जाने की योजना में विस्तार करते हुए अब प्रधानाध्यापक के अलावा स्कूल के एक और शिक्षक को टैबलेट दिया जाएगा।
इस टैबलेट से बायोमीट्रिक हाजिरी भी लगाई जाएगी और इसे कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। बीआरसी व एआरपी आदि को भी टैबलेट दिया जाना है। कुल 209862 टैबलेट खरीदे जाएंगे और इस योजना के लिए 59.86 करोड़ बजट मंजूर किया गया है।
समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
निम्न लिखित निर्देशो का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित करे…
१. शिक्षको के निलंबन की कार्यवाही नियमावली १९९९ के अनुसार अंतिम विकल्प के रूप में ही की जाए। छोटी छोटी गलतियों के लिए उक्त कार्यवाही कदापि न की जाए
२. शिक्षको के निलंबन की दशा में #Anushanatmak जांच की कार्यवाही शासनादेश दिनाक 14/8/2020के अनुसार के एक माह में अवश्य पूरी कर ली जाए।
3.मूल विद्यालय से इतर किसी भी विद्यालय/कार्यालय में किसी भी अध्यापक को संबद्ध न किया जाय । संबद्ध सभी शिक्षको को तत्काल मूल विद्यालय में भेजा जाय ।इस संबंध में पूर्व में ही निर्देश भेजे जा चुके है।
4.उक्त निर्देशो के अनुपालन में विचलन/जॉच में उदासीनता पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के जिम्मेदारी तय की जाएगी
महानिदेशक स्कूल शिक्षा
सरकारी स्कूलों में 3 महीने के अंदर शुरू होगी बायोमेट्रिक हाजिरी
यूपी के प्राइमरी स्कूल भले ही बायोमीट्रिक हाजिरी अभी तक लागू नहीं कर पाए हों लेकिन माध्यमिक स्कूलों में इस पर काम शुरू हो गया है। सभी स्कूलों को 100 दिन के अंदर इसे लागू करना है। वहीं हर सरकारी स्कूल में वाईफाई की व्यवस्था भी की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने प्रदेश भर के स्कूलों की वस्तुस्थिति के बारे में रिपोर्ट तलब की है।
इस रिपोर्ट के मिलने के बाद इसे लागू करने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री के सामने रखी गई 100 दिन की कार्ययोजना में स्कूलों की अपनी वेबसाइट और अपना ई-मेल आईडी भी बनाना होगा। इसे कैसे लागू किया जाएगा, इसमें कितने बजट की आवश्यकता है और किस तरह से बायोमीट्रिक हाजिरी की मॉनिटरिंग की जाए, इस पर कार्ययोजना बनाई जाएगी।
शिक्षकों की हाजिरी प्रदेश में बड़ा मुद्दा
माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में अभी तक बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य नहीं है। कई बार विभाग ने कवायद शुरू की लेकिन कभी शिक्षक संगठनों के विरोध तो कभी बजट के अभाव में काम नहीं हो पाया। हालांकि प्रदेश के कुछ स्कूलों में उत्साही प्रधानायापकों या डीआईओएस के कारण बायोमीट्रिक हाजिरी का प्राविधान लागू किया गया है। शिक्षकों की हाजिरी प्रदेश में बड़ा मुद्दा रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिछले कार्यकाल में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पिछले वर्ष इसके लिए कमेटी भी बनाई गई थी लेकिन इसकी रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं हो पाई।
बेसिक के स्कूलों में अभी तक लागू नहीं
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में 2017 से बायोमीट्रिक हाजिरी लेने की योजना है। पहले सेल्फी से हाजिरी की योजना लागू की गई लेकिन शिक्षकों के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। वर्ष 2019 में टैबलेट के माध्यम से बायेामीट्रिक हाजिरी पर सहमति बनी लेकिन अभी तक टैबलेट खरीदे नहीं जा सके हैं।
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