69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण की अनदेखी हुई : आयोग

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मानी है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की ओरसे प्रस्तुत जिलावार सूची का उद्धरण यह दर्शाता है कि अनारक्षित उम्मीदवारों को आरक्षित उम्मीदवारों के बजाय नियुक्तियां दी गई हैं। चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति का घोरउल्लंघन हुआ है। आयोग के समक्ष राज्य का उत्तर विरेधाभासों से भरा हे और यह संदेश व अनुमानों पर आधारित है। वर्तमान चयन प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को कैसे और किस तरह से लागू किया गया है, यह दिखाने में राज्य विफल रहा है। अंतिम सूची में चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया। हालांकि जब सूचियों को जिलेवार प्रकाशित किया गया था, तब चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख किया गया था।

69000 रिक्त पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों के चयन/नियुक्ति प्रक्रिया में अभिलेखों में विसंगति के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण।

69000 रिक्त पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों के चयन/नियुक्ति प्रक्रिया में अभिलेखों में विसंगति के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण।

69000 पदों के सापेक्ष 31277 एवं 36590 नवनियुक्त सहायक अध्यापकों के सम्बन्ध में सूचना उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में।

69000 पदों के सापेक्ष 31277 एवं 36590 नवनियुक्त सहायक अध्यापकों के सम्बन्ध में सूचना उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में।

69000 शिक्षक भर्ती : न्याय व कार्मिक विभाग की राय के बाद रिक्त पदों के सापेक्ष अभिलेखों में विसंगतियों व त्रुटियों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी

🔴69000 शिक्षक भर्ती : न्याय व कार्मिक विभाग की राय के बाद रिक्त पदों के सापेक्ष अभिलेखों में विसंगतियों व त्रुटियों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी।

🔴69000 शिक्षक भर्ती : 20 मई 2020 के बाद का जाति-निवास प्रमाणपत्र देने वाले अभ्यर्थी बाहर

🔴69000 भर्ती : आवेदन के बाद प्रमाण पत्र में संशोधन होने पर भी मिलेगी नियुक्ति, शिक्षामित्रों को भी मिली राहत, नए निर्देश जारी


लखनऊ। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित अभ्यर्थी के आवेदन के बाद अंक पत्र में विश्वविद्यालय या संबंधित शैक्षिक संस्थान के स्तर से परिवर्तन हुआ है तो अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। वहीं अभ्यर्थी ने बिना किसी रिकॉर्ड के स्वयं के स्तर पर ही वास्तविक प्राप्तांक से अधिक अंक या कम पूर्णांक अंकित करता है तो उसका चयन निरस्त किया जाएगा।

बेसिक शिक्षा विभाग ने भारांक की गणना गलत होने या भारांक का लाभ प्राप्त नहीं होने के चलते नियुक्ति से वंचित रहे शिक्षामित्रों को भी राहत दी है। बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने सहायक अध्यापक भर्ती में रिकॉर्ड की विसंगति को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

शासन ने स्पष्ट किया है कि भर्ती के आवेदन के बाद उनके प्रमाण पत्र या अंक पत्र में पुनर्मूल्यांकन, बैक पेपर में प्राप्त अंक या अन्य किसी कारण से प्राप्तांक में विश्वविद्यालय या संबंधित शैक्षिक संस्थान ने स्वयं परिवर्तन किया है तो ऐसे अभ्यर्थियों को त्रुटिपूर्ण आवेदन के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है।

इसके अलावा शासन ने उन अभ्यर्थियों के चयन निरस्त करने के आदेश दिए हैं जिन्होंने 28 मई 2020 के बाद का जारी जाति एवं निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है।

शिक्षामित्रों को भी मिली राहत

बेसिक शिक्षा विभाग ने भर्ती में शिक्षामित्रों को भी राहत दी है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 भारांक प्राप्त हो गया है, लेकिन उनकी सेवा दस वर्ष से कम है। ऐसे अभ्यर्थियों की प्रति वर्ष की सेवा के 2.5 भारांक के आधार पर गणना की जाए।

शिक्षामित्र अभ्यर्थी के वास्तविक भारांक की गणना करने पर यदि संबंधित अभ्यर्थी का गुणांक संबंधित जिले में उनकी श्रेणी में अंतिम चयनित अभ्यर्थी के गुणांक से अधिक है तो उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। यदि गुणांक अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है तो उनका प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं।

शिक्षामित्र श्रेणी का लाभ प्राप्त नहीं होने के कारण जिन 138 शिक्षामित्रों का चयन नहीं हो सका है। उनकी सेवा के आधार पर भारांक की गणना कर नियुक्ति देने या चयन निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी। जिन शिक्षामित्रों के भारांक की गणना करने के बाद गुणांक यदि संबंधित श्रेणी में चयनित अंतिम अभ्यर्थी के गुणांक से अधिक है तो उनके चयन और जिला आवंटन के लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा यदि शिक्षामित्र का गुणांक उनकी श्रेणी के अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है तो उनका चयन निरस्त किया जाएगा।


69 हजार शिक्षक भर्ती में 20 मई 2020 के बाद जारी जाति व निवास प्रमाण पत्र का उपयेाग करने वाले अभ्यर्थियों का चयन निरस्त किया जाएगा। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने शुक्रवार को आदेश जारी कर दिया है।

इस भर्ती में लगभग 1000 ऐसे अभ्यर्थी थे, जिनका चयन सूची में नाम था लेकिन उनके आवेदन पत्र या मूल प्रमाण पत्रों में विसंगतियां थीं। ऐसे अभ्यर्थियों पर न्याय व कार्मिक विभाग की राय के बाद अलग से निर्णय लिया गया है।

इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया गया है। यह भर्ती 2019 से चल रही है और इसमें चयन सूची जून 2020 में जारी की गई थीं। इसमें कई ऐसे अभ्यर्थी थे जिन्होंने 20 मई के बाद का जाति-निवास प्रमाण पत्र लगाया था। 20 मई के बाद का प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थी अब चयन सूची से बाहर होंगे।

आवेदन के बाद प्रमाण पत्र में संशोधन होने पर भी अभ्यर्थी को मिलेगी नियुक्ति : 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में रिकॉर्ड की विसंगति को लेकर शासन ने जारी किए दिशा-निर्देश,शिक्षामित्रों को भी मिली राहत

लखनऊ। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित अभ्यर्थी के आवेदन के बाद अंक पत्र में विश्वविद्यालय या संबंधित शैक्षिक संस्थान के स्तर से परिवर्तन हुआ है तो अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। वहीं अभ्यर्थी ने बिना किसी रिकॉर्ड के स्वयं के स्तर पर ही वास्तविक प्राप्तांक से अधिक अंक या कम पूर्णांक अंकित करता है तो उसका चयन निरस्त किया जाएगा।

बेसिक शिक्षा विभाग ने भारांक की गणना गलत होने या भारांक का लाभ प्राप्त नहीं होने के चलते नियुक्ति से वंचित रहे शिक्षामित्रों को भी राहत दी है। बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने सहायक अध्यापक भर्ती में रिकॉर्ड की विसंगति को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

शासन ने स्पष्ट किया है कि भर्ती

के आवेदन के बाद उनके प्रमाण पत्र या अंक पत्र में पुनर्मूल्यांकन, बैक पेपर में प्राप्त अंक या अन्य किसी कारण से प्राप्तांक में विश्वविद्यालय या संबंधित शैक्षिक संस्थान ने स्वयं परिवर्तन किया है तो ऐसे अभ्यर्थियों
को त्रुटिपूर्ण आवेदन के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है।

इसके अलावा शासन ने उन अभ्यर्थियों के चयन निरस्त करने के आदेश दिए हैं जिन्होंने 28 मई 2020 के बाद का जारी जाति एवं निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है।



शिक्षामित्रों को भी मिली राहत

बेसिक शिक्षा विभाग ने भर्ती में शिक्षामित्रों को भी राहत दी है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 भारांक प्राप्त हो गया है, लेकिन उनकी सेवा दस वर्ष से कम है। ऐसे अभ्यर्थियों की प्रति वर्ष की सेवा के 2.5 भारांक के आधार पर गणना की जाए।

. शिक्षामित्र अभ्यर्थी के वास्तविक भारांक की गणना करने पर यदि संबंधित अभ्यर्थी का गुणांक संबंधित जिले में उनकी श्रेणी में अंतिम चयनित अभ्यर्थी के गुणांक से अधिक है तो उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। यदि गुणांक अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है तो उनका प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं।

शिक्षामित्र श्रेणी का लाभ प्राप्त नहीं होने के कारण जिन 138 शिक्षामित्रों का चयन नहीं हो सका है। उनकी सेवा के आधार पर भारांक की गणना कर नियुक्ति देने या चयन निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी। जिन शिक्षामित्रों के भारांक की गणना करने के बाद गुणांक यदि संबंधित श्रेणी में चयनित अंतिम अभ्यर्थी के गुणांक से अधिक है तो उनके चयन और जिला आवंटन के लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक

की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा यदि शिक्षामित्र का गुणांक उनकी श्रेणी के अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है तो उनका चयन निरस्त किया जाएगा।

69000 शिक्षक भर्ती में 70% आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए जवाब में तथ्य आये सामने, 04 दिसम्बर को होनी है अहम सुनवाई

69000 शिक्षक भर्ती में 70% आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए जवाब में तथ्य आये सामने, 04 दिसम्बर को होनी है अहम सुनवाई

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत 29 फीसदी सीटों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। सबसे अधिक 45.80 प्रतिशत सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) 23.49 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति, जबकि अनुसूचित जनजाति के मात्र .36 (दशमलव तीन छह प्रतिशत) अभ्यर्थियों का सेलेक्शन हुआ है। यानि कुल 69.64 या 70 प्रतिशत अभ्यर्थी आरक्षित जबकि 28.70 फीसदी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी हैं। 

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए जवाब में ये तथ्य सामने आए हैं। इस शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मामले की सुनवाई आयोग के नई दिल्‍ली कार्यालय में 4 दिसंबर को होनी है। 69000 पदों में 34500 पद अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित थे। आयोग में दाखिल जवाब के अनुसार सामान्य वर्ग के 19805,ओबीसी के 31605, एससी के 16212 जबकि एसटी वर्ग के मात्र 245 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। 

एसटी वर्ग के पर्याप्त अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण इस कैटेगरी के लिए आरक्षित पदों में से 1133 खाली रह गए। बड़ी संख्या में ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने हाई मेरिट हासिल की जिससे उनका चयन भी नियमानुसार अनारक्षित वर्ग में हुआ।

68500 की पहली लिस्ट में 62% थे आरक्षित वर्ग के इससे पहले 2018 में शुरू हुई 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की पहली लिस्ट में 62 प्रतिशत अभ्यर्थी आरक्षित वर्ग के थे। 13 अगस्त को घोषित परिणाम में 41566 अभ्यर्थी सफल हुए थे। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ . प्रभात कुमार ने अपने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी थी कि 41566 अभ्यर्थियों में से 15772 (37 .95 या 38 प्रतिशत) सामान्य, 19168 (46 .12 या 46 प्रतिशत) ओबीसी, 6616 (15.92 या 16 फीसदी) एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थी थे।

69000 शिक्षक भर्ती: चयन के बाद भी खाली रहेंगी सीटें, चयन से बाहर शिक्षामित्रों को मिल सकता है मौका

🔴पहले चरण में ही करीब तीन हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति का इंतजार

🔴 दूसरे चरण में भी अभिलेख भिन्नता वालों को नियुक्ति पत्र नहीं मिलेगा

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक चयन दो चरणों में भी पूरा नहीं हो सकेगा। चयनितों को बड़ी संख्या में नियुक्ति पद देने के बाद भी हजारों पद खाली रह जाएंगे। इसकी बानगी भर्ती के पहले चरण में ही मिल चुकी है, जब कम पद होने के बाद भी करीब तीन हजार सीटें अभी खाली हैं। दूसरे चरण में भी अभिलेख भिन्न वालों को नियुक्ति पत्र नहीं मिलेंगे। इससे नियुक्ति का तीसरा चरण भी संभावित है, जिसमें खाली पद भरे जा सकते हैं।

परिषदीय स्कूलों की भर्ती की शुरुआत ही एक जून को रिक्त पदों से हुई। उस समय 69000 पदों के सापेक्ष 67867 चयनित ही अर्ह मिले थे। शीर्ष कोर्ट के आदेश पर 31661 पदों के लिए 12 अक्टूबर को सूची जारी हुई, तब सिर्फ 31277 पदों पर चयन किया गया, क्योंकि शेष 384 पदों पर एसटी के चयनित उपलब्ध नहीं थे। पहले चरण की काउंसिलिंग में 28320 को ही नियुक्ति पत्र निर्गत हुआ है, करीब एक हजार मामले अभी विचाराधीन हैं। वहीं, तीन हजार पद खाली रह गए हैं।

अब दूसरे चरण की काउंसिलिंग बुधवार से होगी, इसमें कुल 37339 पदों में से 749 के लिए चयनित नहीं मिले इसलिए 36590 पदों की अनंतिम सूची जारी हुई। इसमें भी परिषद का निर्देश है कि जिन चयनितों के मूल अभिलेख और एनआइसी की ओर से जारी सूचनाओं में भिन्नता हों वह प्रकरण मुख्यालय को भेजे जाएं। तय है कि इसमें भी करीब तीन से चार हजार चयनित नियुक्ति पत्र नहीं पा सकेंगे। ये वही अभ्यर्थी जो लंबे समय तक परिषद मुख्यालय के सामने आवेदन के समय के रिकार्ड में संशोधन करने की मांग कर रहे थे, परिषद ने मौका नहीं दिया और कोर्ट भी कुछ को छोड़कर अधिकांश की याचिका खारिज कर चुका है। अब परिषद को ही अंतिम निर्णय करना होगा।
चयन से बाहर शिक्षामित्रों को मिल सकता मौका
भर्ती में दर्जनों ऐसे शिक्षामित्र हैं जिन्होंने आवेदन में शिक्षामित्र का जिक्र नहीं किया और वे अनंतिम सूची से बाहर हो गए। अब रिक्त पदों पर उन्हें मौका दिया जा सकता है। दोनों चरणों के चयनितों का निर्णय एक साथ होने के आसार हैं।

69000 अवशेष चयन काउंसलिंग हेतु जनपदवार विज्ञप्तियां जारी

69000 अवशेष चयन काउंसलिंग हेतु जनपदवार विज्ञप्तियां जारी

सरकार ने मानी 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला

सरकार ने माना – 69000 शिक्षक भर्ती की 31277 चयन सूची में हैं विसंगतियां, समझिये पूरा मामला

31,277 अभ्यर्थियों की चयन सूची में हैं विसंगतियां, एनआइसी की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही


69000 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 31277 शिक्षकों की नियुक्ति फौरी, हो सकेगा बदलाव, प्रत्येक की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीन

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा- 2019 में 31 हजार 277 पदों पर हो रही चयन व नियुक्ति प्रक्रिया फौरी है व पुनरीक्षण के अधीन है। सरकार की ओर से यह जवाब एक अभ्यर्थी की याचिका पर दिया गया जिसमें याची से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया जबकि अभ्यर्थीको अधिक अंक मिलने के बावजूद चयन सूची से बाहर कर दिया गया है। वहीं सरकार की ओर से यह भी बताया गयाकि इस सम्बंध में एन आईसी द्वारा जांच की जा रही है और जांच का परिणाम आने पर इस प्रकार की गड़बड़ियों को दूर कर लिया जाएगा। 

सरकार के इस आश्वासन के बाद न्यायालय ने किसी अन्य आदेश को पारितकरने की आवश्यकता नहीं पाई। न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने कहा कि सरकार के उक्त आश्वासन के पश्चात याची व इस प्रकार के अन्य अभ्यर्थियों के अधिकार व हित को सुरक्षित करने के लिए किसी अन्य आदेश की आवश्यकता नहीं है। दरअसल याची पंकज यादव की ओर से दाखिल उक्त याचिका में कहा गया कि उसे 71.1 अंक मिले जबकि उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया व उसे चयन सूची में जगह नहीं मिली। याचिका में ऐसे एक अभ्यर्थी का उदाहरण भी दिया गया जिसे 68.78 अंक मिलने के बावजूद काउंलिंग के लिए बुलाया गया। कहा गया कि दरअसल कुल 69 हजार पदों पर भर्ती की जानी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों के लिए 37 हजार 339 पदों को सुरक्षित रखने के आदेश के बाद 31 हजार 277 पदों पर ही भर्ती की जानी है।

प्रत्येक की नियुवित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अधीनयाचिका के जवाब में राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता का कहना था कि इस मामते में प्रत्येक नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम आदेशों के अधीन है क्योंकि वहां एक विशेष अनुमति याचिका में कट ऑफ मार्क्स और शिक्षामित्रों को समायोजित किये जाने का मुद्दा विचाराधीन है। सरकारी अधिवक्ता ने आगे कहा कि अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को नजरंदाज कर के कम अंक वालों को नियुक्ति देने का प्रश्न ही नहीं उठता। यदि किन्हीं मामलों में हो जाता है तो अधिक अंक वाले अभ्यर्थी को फ्रेश काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा व कम अंक वाले की चयन व नियुक्ति रद्‌ कर दी जाएगी। हालांकि यह भी कहा गया कि उक्त विसंगतियों को लेकर एनआईसी द्वारा जांच की जा रही है, जांच परिणाम आने के पश्चात इन्हें ठीक कर लिया जाएगा।

लखनऊ। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 की चयन सूची में बिसंगतियां हैं। सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि बिसंगतियों को लेकर नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी ) से जवाब मांगा गया है। एनआईसी का जवाब मिलने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। सरकार की तरफ से कहा गया कि 31,277 पदों पर भर्तियों का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। 

न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद कहा कि याची पंकज यादव की याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि अधिक अंक पाने के बावजूद याची का नाम चयन सूची में नहों है। याची की दलील थी कि ओबीसी श्रेणी में उसका क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 फीसदी है, पर उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया। वहीं, 68.78 फीसदी वालों को इसके लिए बुलाया गया। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने बाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।

यह है मामला : परिषदीय स्कूलों में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार कोर्ट के 21 मई के पर राज्य सरकार ने 31,661 पदों पर चयनितों की सूची जारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने 31,277 पर्दो पर अभ्यर्थियों का अनंतिम रूप से चयन कर उनको जिलों में भेज दिया।

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 भर्ती की चयन सूची में विसंगतियां हैं। साथ ही कहा कि इस विषय में एनआइसी से जवाब-तलब किया गया है, जिसका जवाब आने पर कार्यवाही की जाएगी।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि 31,277 पदों पर भर्तियां फौरी हैं और इनका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद जस्टिस मनीष कुमार की एकल पीठ ने कहा कि पंकज यादव द्वारा दाखिल इस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि बेसिक शिक्षक भर्ती-2019 में उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है, जबकि अधिक अंक होते हुए भी उनका नाम 24 सितम्बर, 2020 को घोषित की गई चयन सूची में नहीं है और न ही काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।

दरअसल याची के अधिवक्ता का आरोप था कि ओबीसी कैटेगरी में याची के क्वालिटी प्वाइंट मार्क्‍स 71.1 प्रतिशत हैं किन्तु उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया है जबकि 68.78 प्रतिशत अंक पाने वालों को बुलाया गया है जो कि सरासर मनमाना व गलत है। वहीं राज्य सरकार की तरफ से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि कहीं कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।

टी ई टी 2018 के संसोधित अंक नियुक्ति में मान्य

🔴69000 शिक्षक भर्ती : सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी बीएसए को दिए निर्देश

🔴हाइकोर्ट के आदेश के अनुपालन के में संसोधित किये थे अंक