सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट NCTE की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.. 👉 https://www.ncte.gov.in/website/publicnotice.aspx
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शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता खत्म करने की मांग, कोर्ट ने NCTE से मांगा जवाब
शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता खत्म करने की मांग, कोर्ट ने NCTE से मांगा जवाब
शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता को खत्म करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीटीई से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एनसीटीई को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर आल की ओर से 2018 में दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में एनसीटीई की ओर से आरटीई अधिनियम लागू होने के 5 साल के भीतर देशभर के स्कूलों में मौजूदा शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता को खत्म किए जाने को चुनौती दी गई है।
पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधान को महज एक अधिसूचना जारी कर कैसे खत्म किया जा सकता है। शिक्षा की गुणवत्ता के मद्देनजर शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता प्राप्त करनी चाहिए।
एनसीटीई की ओर से अधिवक्ता ने पीठ से इस बारे में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त देने की मांग की। हालांकि मामले में पहले भी जवाब दाखिल कर चुके हैं। न्यायालय ने याचिकाकर्ता संगठन के वकील खगेश झा को भी अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।
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नई शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा व्यवस्था में व्यवस्था की गई है कि आने वाले कुछ सालों में शिक्षा की सबसे मजबूत कड़ी अध्यापक को सबसे मजबूत बनाया जाएगा. इसके लिए बीएड प्रोग्राम में बड़े बदलाव की बात कही गई है. इसके लिए शिक्षा नीति में वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को टीचर्स के लिए एक समान मानक तैयार करने को कहा गया था.
अब NEP 2020 के तहत नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने यह फैसला किया है कि किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए उम्मीदवारों को शिक्षक पात्रता परीक्षा TET यानी Teachers Eligibility Test पास करना जरूरी किया जाएगा. एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमिटी गठित कर दी है.
एनईपी में प्रावधान किया गया है कि ये पैरामीटर नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स कहलाएंगे. काउंसिल यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी. अब तक टीईटी की अनिवार्यता सिर्फ क्लास 1 से 8वीं तक के लिए थी. 9वीं से 12वीं यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) के लिए इसकी जरूरत नहीं होती थी. अब किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी किया जाएगा.
एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमेटी गठित कर दी है. स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए एनसीटीई यह तैयारी कर रहा है. नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों के लिए अगले दो साल के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड तय होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी. ये एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल की होगी.
बीएड के लिए कुछ इस तरह से व्यवस्था की जाएगी कि बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिले जिन्होंने किसी खास सब्जेक्ट में चार साल की पढ़ाई की हो. चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी, लेकिन इसके जरिये विषय विशेष के शिक्षक बन पाएंगे.
बता दें कि नई शिक्षा नीति में ये कहा गया है कि बीएड प्रोग्राम में शिक्षा शास्त्र की सभी विधियों को शामिल किया जाए. इसमें साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, बहुस्तरीय अध्यापन और मूल्यांकन को विशेष रूप से सिखाया जाएगा. इसके अलावा टीचिंग मेथड में टेक्नोलॉजी को खास तौर पर जोड़ा जाएगा.
कमेटी की उन सिफारिशों को भी मान लिया गया है जिसमें स्तरहीन शिक्षक-शिक्षण संस्थानों को बंद करने की बात कही गई थी. अब सभी शिक्षण तैयारी/ शिक्षा कार्यक्रमों को बड़े बहुविषयक विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों में स्थानांतरित करके शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव का भी प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा 4-वर्षीय एकीकृत चरण वाले विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अंततः न्यूनतम डिग्री की योग्यता प्राप्त हो सकेगी.