ग्राम पंचायत सचिव ने बेसिक शिक्षिका को पहले भेजे अश्लील मैसेज, फिर स्कूल आकर बोला आई लव यू

बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली में शिक्षिका ने ग्राम पंचायत सचिव पर अश्लील मैसेज करने और स्कूल में आकर आईलव यू बोलने का आरोप लगाया। विरोध करने पर उसको स्कूल से निलंबित करा देने की धमकी दी। शिक्षिका ने जहानाबाद थाने में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है।

थाना जहानाबाद क्षेत्र के एक गांव के प्राइमरी स्कूल की निवासी शिक्षिका ने जहानाबाद पुलिस को शिकायती पत्र दिया। जिसमे कहा गया कि उसके विद्यालय में एक ग्राम पंचायत सचिव का काफी आना जाना रहता है। यह सचिव ऑपरेशन कायाकल्य के के कार्य के कारण उसके स्कूल में अक्सर आता है। इसी बीच सचिव ने किसी से उसका मोबाइल नंबर ले लिया। सचिव ने उसके मोबाइल पर अश्लील और भद्दे मैसेज करना शुरू कर दिए। उसको स्कूल आकर भी सचिव ने एक दिन आई लव यू बोल दिया। जब उसने इसका विरोध किया तो सचिव ने शादी करने का प्रस्ताव रख दिया। बात न मानने पर उसको स्कूल से निकलवा देने और निलंबित करा देने की धमकी दी।
26 फरवरी को कमल किशोर ने उससे विद्यालय की चाबी मांगकर ऑपरेशन कायाकल्प का काम करने की इच्छा जताई। चूंकि वह ललौरीखेड़ा बीआरसी पर ट्रेनिंग में उपस्थित थी। इसीलिए उसने चाबी दे दी। इसके बाद सचिव ने रसोईया से मिलकर स्कूल की किताबें जलाना शुरू कर दी। पुलिस ने तहरीर मिलने पर आरोपी के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कर लिया है। इंस्पेक्टर जहानाबाद हरीशवर्धन सिंह ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ग्राम पंचायत सचिव को हिरासत में ले लिया गया है। चालान कर जेल भेजा जाएगा।

कल से खुलेंगे प्राइमरी स्कूल मनाया जाएगा उत्सव, प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों को संचालित कराने होंगे यह कार्यक्रम

लखनऊ : कोरोना महामारी के कारण करीब 11 महीने से बंद चल रहे सरकारी व निजी प्राइमरी स्कूलों में सोमवार से फिर कक्षाएं गुलजार होंगी। लंबे समय बाद स्कूल आ रहे विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाने के लिए उत्सव मनाया जाएगा। स्कूलों को गुब्बारों और झंडियों और रंगोली से सजाया जाएगा। महानिदेशक ( स्कूल शिक्षा) विजय किरण आनंद की ओर से सभी स्कूलों के शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कराते हुए नियमित कक्षाएं संचालित करें।

सरकारी व निजी प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक की कक्षाएं सोमवार से फिर शुरू होंगी। ऐसे में क्षेत्र में अभिभावकों से संपर्क कर शिक्षक विद्यार्थियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। प्रेरणा ज्ञानोत्सव अभियान के तहत एक किताब तैयार कर स्कूलों में भेजी गई है, इसमें उपचारात्मक शिक्षण के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। विद्यार्थियों के ज्ञान के स्तर को इसकी मदद से बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। विद्यार्थियों के छोटे छोटे समूह बनाकर कोविड-19 महामारी के अनुभवों को कहानी के रूप में कराया जाएगा प्रस्तुत। मिड डे मील में बच्चों की पसंद का नाश्ता व भोजन परोसा जाएगा । विद्यालय में रचनात्मक क्रियाकलाप पर जोर दिया जाएगा । मिट्टी के बर्तन, पेंटिंगव क्राफ्ट बनवाया जाएगा।

फर्जी एवं संदिग्ध शिक्षकों की जांच के सम्बन्ध में सभी BSA को निर्देश जारी

फर्जी एवं संदिग्ध शिक्षकों की जांच के सम्बन्ध में सभी BSA को निर्देश जारी

Prerna Lakshya App: एप से जानेंगे परिषदीय स्कूलों के बच्चों के सीखने-समझने का स्तर, एप को डाउनलोड करने हेतु यहाँ क्लिक करें



लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के बच्चों के सीखने-समझने के स्तर को अब मोबाइल एप के जरिये भी जाना जा सकेगा। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी ने ‘प्रेरणा लक्ष्य एप’ का राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सभागार में शुभारंभ किया।

उन्होंने कहा कि प्रेरणा लक्ष्य एप से शिक्षक और अभिभावक यह जान सकेंगे कि बच्चों के सीखने का स्तर क्या है? यह भी पता चल सकेगा कि कक्षावार कौन सी दक्षताएं हासिल करने के उन्हें बच्चे पर अधिक ध्यान देना होगा। यह एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध और निश्शुल्क है।
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जांच के लिए नहीं पहुंचे 15 शिक्षकों की सूची हुई जारी, दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने वालों की जांच

आजमगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग से शिक्षकों की हुई भर्ती में दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने
वालों की जांच हो रही है। मेडिकल बोर्ड ने अनुपस्थित दिव्यांग शिक्षकों को सूची जारी कर दी है। इसमें जिले के 15 दिव्यांग शिक्षक हैं।

शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रविंद्र कुमार शर्मा व अन्य की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए तीन फरवरी, 2016 को आदेश दिया कि अभ्यर्थियों की जांच मेडिकल बोर्ड गठित कर कराई जाए। शासन ने इसके अनुपालन में 13 मई, 2016 को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। यह काम करीब पांच साल बाद पूरा हुआ। जनपद के 15 शिक्षक वर्ष 2016 से 2019 तक कभी भी मेडिकल बोर्ड के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। मेडिकल बोर्ड ने उक्त शिक्षकों की सूची जारी कर दी है। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जनपद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात दिव्यांग अभ्यर्थी का अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बता दें कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित शिक्षकों की जांच हो रही है।


मेडिकल बोर्ड के समक्ष आज तक यह शिक्षक नहीं हुए उपस्थित
आजमगढ़। परिषदीय विद्यालयों में तैनात दिव्यांग शिक्षक जो वर्ष 2016 से 2019 के बीच आज तक उपस्थित न होने वाले शिक्षकों की सूची मेडिकल बोर्ड ने जारी कर दी है। कुल 204 शिक्षकों की सूची में 15 नाम आजमगढ़ जनपद में तैनात हुए शिक्षकों की है। इसमें 14 शिक्षक विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण वर्ष 2007 के और एक वर्ष 2008 का है।

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित दिव्यांग शिक्षकों की जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड द्वारा गठित टीम के समक्ष जिले के कई शिक्षक अनुपस्थित चल रहे हैं उक्त शिक्षकों का वेतन रोका जाएगा। अंबरीष कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आजमगढ़।

स्‍कूल टीचर बनने के लिए जरूरी होगा TET एग्‍जाम, NCTE ने लिया फैसला

नई शिक्षा नीति-2020 में श‍िक्षा व्यवस्था में व्‍यवस्‍था की गई है कि आने वाले कुछ सालों में श‍िक्षा की सबसे मजबूत कड़ी अध्यापक को सबसे मजबूत बनाया जाएगा. इसके लिए बीएड प्रोग्राम में बड़े बदलाव की बात कही गई है. इसके लिए श‍िक्षा नीति में वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को टीचर्स के लिए एक समान मानक तैयार करने को कहा गया था.

अब NEP 2020 के तहत नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने यह फैसला किया है कि किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए उम्‍मीदवारों को शिक्षक पात्रता परीक्षा TET यानी Teachers Eligibility Test पास करना जरूरी किया जाएगा. एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमिटी गठित कर दी है.

एनईपी में प्रावधान क‍िया गया है क‍ि ये पैरामीटर नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स कहलाएंगे. काउंसिल यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी. अब तक टीईटी की अनिवार्यता सिर्फ क्लास 1 से 8वीं तक के लिए थी. 9वीं से 12वीं यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) के लिए इसकी जरूरत नहीं होती थी. अब किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी किया जाएगा.

एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमेटी गठित कर दी है. स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए एनसीटीई यह तैयारी कर रहा है. नई श‍िक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों के लिए अगले दो साल के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड तय होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी. ये एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल की होगी.

बीएड के लिए कुछ इस तरह से व्यवस्था की जाएगी क‍ि बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिले जिन्होंने किसी खास सब्जेक्ट में चार साल की पढ़ाई की हो. चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी, लेकिन इसके जरिये विषय विशेष के शिक्षक बन पाएंगे.

बता दें कि नई श‍िक्षा नीति में ये कहा गया है कि बीएड प्रोग्राम में शिक्षा शास्त्र की सभी विधियों को शामिल किया जाए. इसमें साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, बहुस्तरीय अध्यापन और मूल्यांकन को विशेष रूप से सिखाया जाएगा. इसके अलावा टीच‍िंग मेथड में टेक्नोलॉजी को खास तौर पर जोड़ा जाएगा.

कमेटी की उन सिफारिशों को भी मान लिया गया है जिसमें स्तरहीन शिक्षक-शिक्षण संस्थानों को बंद करने की बात कही गई थी. अब सभी शिक्षण तैयारी/ शिक्षा कार्यक्रमों को बड़े बहुविषयक विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों में स्थानांतरित करके शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव का भी प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा 4-वर्षीय एकीकृत चरण वाले विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अंततः न्यूनतम डिग्री की योग्यता प्राप्त हो सकेगी.

बेसिक की शिक्षिका के साथ हुई घटना के आरोपियों पर हो कार्रवाई : सुलोचना

लखनऊ। उप्र. महिला शिक्षक संघ ने परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाओं के साथ हो रही आपराधिक घटनाओं पर रोष जतायाहै। संघ ने सरकार से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सोमवार को गोमती नगर में हुई संघ की बैठक में शिक्षिकाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई

बेसिक शिक्षा विभाग : शिक्षक संकुल बैठक संबंधित दिशा-निर्देश बैठक का एजेंडा

शिक्षक संकुल बैठक संबंधित दिशा-निर्देश बैठक का एजेंडा

स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ द्वारा संदिग्ध चिन्हित 76 शिक्षकों के शैक्षिक व अन्य दस्तावेजों के सत्यापन व कार्यवाही के संबंध में

स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ द्वारा संदिग्ध चिन्हित 76 शिक्षकों के शैक्षिक व अन्य दस्तावेजों के सत्यापन व कार्यवाही के संबंध में – STF will verified suspected teacher document

प्राइमरी स्कूलों में चलेगी 40 मिनट की उपचारात्मक कक्षा, पांचवीं तक के बच्चों ने कोरोना काल में क्या सीखा, होगा आकलन

गोरखपुर। एक मार्च से सभी परिषदीय प्राइमरी स्कूल खुल रहे हैं। इन स्कूलों में रोजाना 40 मिनट की रिमेडियल (उपचारात्मक) कक्षा चलाई जाएगी। जिले के 1600 परिषदीय स्कूलों में इसे लागू करने की कवायद शुरू हो गई है।

बेसिक शिक्षा विभाग ने एक मार्च से स्कूल खुलने के बाद बच्चों की क्षमताओं के आकलन की तैयारी शुरू की है। इसके लिए आकलन प्रपत्र तैयार किया गया है। स्कूल आने वाले छात्रों से पहले इसी आधार पर समीक्षा की जाएगी। जो बच्चे कमजोर मिलेंगे उनके लिए रोजाना पहली कक्षा में 40 मिनट की रिमेडियल क्लास चलाई जाएगी। कक्षा एक से पांच तक के छात्रों की क्षमताओं का आकलन केवल हिंदी और गणित विषय में किया जाएगा।

बीएसए बीएन सिंहने कहा कि कोरोना काल में घर रहने के दौरान बच्चों ने कितना सीखा है, इसका आकलन करने का निर्देश शासन स्तर से मिला है। बच्चों की कमियों को जानकार उनके लिए 40 मिनट की रिमेडियल कक्षाएं चलाई जाएंगी।

गणित में संख्या पहचानना और हल करना होगा

गणित में कक्षा एक के बच्चों को निर्धारित सूची में से पांच संख्याओं को सही से पहचानना होगा। कक्षा दो के बच्चों को जोड़ एवं घटाव के एक अंक के 75 फीसदी प्रश्न हल करने होंगे। कक्षा तीन के बच्चे जोड़ घटाव वाले 75 फीसदी प्रश्नों को सही से हल कर लेते हैं या नहीं? कक्षा चार के बच्चे गुणा के 75% प्रश्नों को सही से हल कर लेते हैं या नहीं। वहीं कक्षा पांच के छात्र भाग के 75 फीसदी प्रश्नों को सही से हल कर पाते हैं या नहीं।

हिंदी में पहचानने होंगे शब्द कक्षा एक के बच्चों को हिंदी के पांच शब्द पहचानने होंगे। कक्षा दो के बच्चों को हिंदी में 20 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ना होगा। कक्षा तीन के बच्चों को हिंदी में 30 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ना होगा। कक्षा चार के बच्चों को छोटे अनुच्छेद को पढ़कर 75 फीसदी प्रश्नों का सही उत्तर देना होगा। कक्षा पांच के बच्चों को 75 फीसदी प्रश्नों का सही उत्तर देना होगा।