प्रदेश में एमकेपीआई फॉर्मूले से तय होगी पक्की नौकरी, कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता का हर छह माह में होगा मूल्यांकन , पहले से चल रही चयन प्रक्रिया भी दायरे में


लखनऊ। समूह ‘ख’ ब समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में पांच साल तक संविदा नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता के मूल्यांकन के लिए एमकेपीआई यानी मिजरेबल की परफॉर्मेंस इंडिकेटर फॉर्मूला तय किया जा रहा है। इसी आधार पर कर्मचारियों को पांच साल बाद मौलिक नियुक्ति यानी पक्की नौकरी दी जाएगी। समूह ‘ख’ व “ग’ संवर्ग के पदों पर नियुक्त लोगों का संबिदा अवधि में इसी आधार पर उनके प्रदर्शन व संतोषजनक कार्य का प्रत्येक 6 माह में मूल्यांकन होगा। 

पहले से चल रही चयन प्रक्रिया भी दायरे में : प्रस्तावित नियमावली लागू होने के पहले पदों पर चयन के लिए विज्ञापन कर दिया गया हो अथवा चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई हो, तो विज्ञापन व परीक्षा परिणाम के आधार पर चयनित संबंधित व्यक्ति से घोषणा पत्र लिया जाएगा। उसे घोषणा करनी होगी कि जह इस नियमावली के अधीन शर्तों को स्वीकार करेंगे। इसके बाद ही उनकी नियुक्ति की जाएगी।
कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता का हर छह माह में होगा मूल्यांकन
1. समूह ख व ग संवर्ग के पदों पर नियुक्त लोगों का संविदा अवधि में ‘मिजरेबल की परफार्मेंस इंडीकेटर’ (एमकेपीआई) के आधार पर उनके प्रदर्शन व संतोषजनक कार्य का प्रत्येक 6 माह में मूल्यांकन होगा। एमकेपीआई का फार्मूला भी तय किया जा रहा है।

2. संविदा अवधि के 4 वर्ष पूर्ण होने के बाद एमकेपीआई के आधार पर चयनित व्यक्तियों को समय का अनुपालन करने, अनुशासित रहने, देशभक्ति एवं नैतिकता का मापांक रखते हुए 5 वें वर्ष में विभागों द्वारा छह माह का इस संबंध में अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाएगा।

3. संविदा के दौरान संबंधित पद की संगत सेवा नियमावली में उल्लिखित पदनाम के पहले सहायक पद नाम से नियुक्ति की जाएगी।

4. संविदा अवधि में प्रत्येक वर्ष एमकेपीआई के आधार पर कार्य कर रहे कुल व्यक्तियों में से 2 छमाही के प्राप्तांक का योग 60 प्रतिशत से कम होने पर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।

5. संविदा कर्मी के कार्य को देखते हुए नियमावली के साथ निर्धारित एमकेपीआई अंकित कर नियुक्त प्राधिकारी चयन प्रस्ताव भेजेंगे। छमाही समीक्षा केवल इन्हीं एमकेपीआई पर की जाएगी ताकि पारदर्शिता रहे। यह एमकेपीआई नियुक्ति पत्र का भी अंश होंगे।

6. एमकेपीआई के आधार पर छमाही समीक्षा की कार्यवाही नियुक्ति पदाधिकारियों (कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष व शासन) के स्तर पर आधारित समितियां करेंगी।

7. समीक्षा समिति द्वारा प्रत्येक छमाही के बाद प्रदर्शित किए गए अंक को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा बंद लिफाफे में रखा जाएगा।

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अब 5 वर्ष की संविदा से शुरू हो सकती है सरकारी नौकरी, समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी में प्रदेश सरकार


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लखनऊ। प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ व समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद कर्मचारियों को शुरुआती पांच वर्ष तक संविदा के आधार पर नियुक्त करने की योजना है। इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे। पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे, उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी। शासन का कार्मिक विभाग इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष बिचार के लिए लाने की तैयारी कर रहा है। 

इस प्रस्ताव पर विभागों से राय मशबिरा शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में सरकार अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया से चयन के बाद संबंधित संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह बेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। वे वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं। नियमित होने पर वे नियमानुसार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। पर, प्रस्तावित पांच वर्ष की संविदा भर्ती और इसके बाद मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही से समूह ‘ख’ ब ‘ग’ की पूरी भर्ती प्रक्रियः ही बदल जाएगी। नई व्यवस्था में तय फॉर्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें प्रतिवर्ष ७0% से कम अंक पाने बाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। जो तय शर्तों के साथ पांच वर्ष की सेवा पूरी कर सकेंगे, उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। इसे सरकारी विभाग समूह ‘ख’ एवं ‘ग’ के पदों पर नियुक्ति (संबिदा पर) एवं विनियमितीकरण नियमावली, 2020 कहा जाएगा।
पीसीएस, पीपीएस व पीसीएस-जे ही बाहर 

प्रस्तावित नियमावली सरकार के समस्त सरकारी विभागों के समूह “ख’ व समूह “ग’ के पदों पर लागू होगी। यह सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 पर भी लागू होगी। इसके दायरे से केवल प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा ( कार्यकारी एवं न्यायिक शाखा ) तथा प्रादेशिक पुलिस सेवा के पद ही बाहर होंगे।

नियुक्त कर्मियों को नियत वेतन 

संविदा पर नियुक्त व्यक्ति को समूह ‘ख’ व ‘ग’ के संबंधित पद का राज्य मरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति आधारित नियत वेतन दिया जाएगा। 5 वर्ष की संविदा अवधि निर्धारित शर्तों पर पूर्ण होने पर संबंधित व्यक्ति को संगत सेवा नियमावली में स्थान देते हुए मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।

  • हर 6 माह में मूल्यांकन, हर वर्ष में 60% से कम अंक तो नौकरी से बाहर 
  • पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से बचे तभी पक्की नौकरी की सौगात

पक्ष में तर्क: कर्मियों की दक्षता बढ़ेगी, देशभक्ति के भाव का होगा विकास
नई व्यवस्था के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे राज्य कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने, नैतिकता, देशभक्ति एवं कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास करने में मदद मिलेगी। वित्तीय व्ययभार कम होगा।

COMMON ELIGIBILITY TEST : संयुक्त योग्यता परीक्षा को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, ग्रुप बी और ग्रुप सी के पदों पर होगी भर्ती

Common Eligibility Test : संयुक्त योग्यता परीक्षा को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, ग्रुप बी और ग्रुप सी के पदों पर होगी भर्ती

नई दिल्ली : Common Eligibility Test (CET): केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों एवं संगठनों में सरकारी नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी। मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में ग्रुप बी और ग्रुप सी के पदों पर भर्ती के लिए एक ही संयुक्त योग्यता परीक्षा (Common Eligibility Test – CET) को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार के सचिव सी चंद्रमौली से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान की लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं और इन सभी की परीक्षाओं को हम धीरे-धीरे समय के साथ भविष्य में सामान्य पात्रता परीक्षा (Common Eligibility Test) कराएंगे। हालांकि, आरम्भ में केवल तीन एजेंसियों के परीक्षाओं को सामान्य बनाया जा रहा है।

मंजूरी मिलने के बाद संयुक्त योग्यता परीक्षा का आयोजन अगले वर्ष यानि 2021 से किया जाना है, इसके तहत सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को केंद्रीय विभागों एवं संगठनों में भर्ती के लिए अलग-अलग आवेदन नहीं करने होंगे।

क्या है संयुक्त योग्यता परीक्षा?

सरकार ने संयुक्त योग्यता परीक्षा का प्रस्ताव सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवा बेरोजगारों को सहुलियत देने के उद्देश्य किया है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री जितेंद्र सिंह ने 13 मार्च 2020 को जानकारी दी थी कि सरकारी एजेंसियों और हर वर्ष आवेदन करने वाले 2.5 करोड़ उम्मीदवारों हेतु भर्ती प्रक्रिया को दुरूस्त करने के लिए केंद्र सरकार एक ऑटोनॉमस बॉडी ‘नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (National Recruitment Agency – NRA)’ का गठन करेगी जो कि कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) का ऑनलाइन आयोजन करेगी।

National Recruitment Agency (NRA) 2020 : केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में सीईटी के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी स्थापित करने की दी अनुमति।

NRA 2020 अब सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए कोई अलग से परीक्षा नहीं होगी बल्कि एक ऑनलाइन सीईटी होगी।

NRA 2020 : केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सभी अराजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए प्रस्तावित कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) आयोजित करने के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एनआरए की मंजूरी के साथ, भारत में नौकरी तलाशने वाले उम्मीदवार, जो विभिन्न सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों के लिए कई परीक्षाओं के लिए आवेदन करते हैं, उन्हें अब एक ही ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा, सीईटी के लिए उपस्थित होना होगा। इसके स्कोर तीन साल तक मान्य होंगे।

सरकार के सचिव, सी चंद्रमौली ने कहा कि केंद्र सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं। हालांकि, हम अब तक केवल तीन एजेंसियों की परीक्षाएं ही सामान्य कर रहे हैं, लेकिन हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट कर सकेंगे। बता दें कि सीईटी आयोजित करने के लिए एनआरए स्थापित करने का प्रस्ताव इस वर्ष 1 फरवरी को अपने केंद्रीय बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाओं का हिस्सा था।

नई राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के तहत ये बड़े बदलाव होंगे : अब सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए कोई अलग से परीक्षा नहीं होगी, बल्कि एक ऑनलाइन सीईटी होगी। परिणाम की घोषणा की तारीख से CET के स्कोर तीन साल तक मान्य होंगे। प्रत्येक उम्मीदवार को अपने स्कोर में सुधार करने के लिए दो अतिरिक्त मौके मिलेंगे। तीनों स्कोर में से सबसे अच्छा माना जाएगा। NRA द्वारा CET मेरिट लिस्ट राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए लागत-साझाकरण के आधार पर भी लागू होगी। एनआरए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के समान होगा, जो पूरे भारत में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है।

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मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों के रिकॉर्ड की अब होगी जांच, सन 1999 से अब तक चयनित मृतक आश्रित की जांच के आदेश जारी

मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों के रिकॉर्ड की अब होगी जांच, सन 1999 से अब तक चयनित मृतक आश्रित की जांच के आदेश जारी – Investigation of Dependents of deceased

लखनऊ। शासन ने समाज कल्याण विभाग में पिछले 20 साल में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों के रिकॉर्ड की जांच कराने का निर्णय लिया है। हाल ही में विभाग में मृतक आश्रित श्रेणी में गलत ढंग से नियुक्ति पाने वाले 2 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, जबकि दो अन्य के खिलाफ जांच प्रारंभ की गई है। ये मामले सामने आने पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। समाज कल्याण विभाग में मृतक आश्रित कोटे में नौकरी देने में हैरतअंगेज कारनामे सामने आए हैं। एक बर्खास्त अधिकारी के बेटे को मृतक आश्रित के रूप में नौकरी दे दी गई, जबकि एक अन्य मामले में माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने पर भी स्त्री को इस कोटे का लाभ दिया गया।पिता की मृत्यु होने पर उसे पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी गई। माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने पर इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता है। इस तरह से नौकरी पाने वाले दो अन्य मामलों में भी जांच की जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ये गड़बड़ियां हुई हैं। इसलिए इन मामलों में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी और गलत ढंग से नौकरी पाने वालों से वेतन की बिक्री भी की जाएगी। 

1999 से लेकर अब तक विभाग में करीब 30 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया है। इस बारे में संपर्क  किए जाने पर अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने बताया कि पिछले 20 साल में जिन्होंने भी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाई है, उनके रिकॉर्ड की जांच करवाई जा रही है।

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यूपी को मिलेंगे 69 हज़ार प्राइमरी शिक्षक, हफ्ते भर में मिल जाएंगे नियुक्ति-पत्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 69 हज़ार प्राइमरी सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है.  हाईकोर्ट से सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री ने टीम-11 के साथ बैठक में नियुक्ति की प्रक्रिया हफ़्ते भर के अंदर पूरी करने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने कहा है कि इस प्रक्रिया से होने वाली नियुक्ति से बेसिक शिक्षा विभाग को योग्य शिक्षक मिल सकेंगे.

टीम-11 की बैठक में सीएम ने दिए निर्देश 
कोरोना वायरस को लेकर रोज़ाना होने वाली टीम-11 की बैठक में मुख्यमंत्री ने बड़ी संख्या में होने वाली इस भर्ती को लेकर अधिकारियों से चर्चा की.  सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोर्ट के फैसले के मुताबिक कटऑफ़ लिस्ट बनाकर सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हफ़्ते भर के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर सभी को नियुक्ति पत्र जल्द दे दिए जाएं

लंबे समय से था फैसले का इंतज़ार
कोर्ट में लंबित चल रहे इस मामले पर फैसले का इंतज़ार लंबे वक्त से चल रहा था. करीब डेढ़ साल तक चली सुनवाई के दौर के बाद आखिरकार कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने सरकार की तरफ से  तय किए गए मानकों पर मुहर लगाई. कोर्ट ने कटऑफ अंक बढ़ाने के सरकार के फैसले को सही बताया था. प्रयागराज हाईकोर्ट की लखनऊ डबल बेंच ने फैसला देते हुए ये भी कहा था कि जल्द ही सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू की जाए और इसे 3 महीने में पूरा किया जाए. सरकार उसी आदेश के तहत कार्यवाही शुरू कर कर रही है.

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