जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी उन्नाव द्वारा शिक्षिका प्रभा सविता का वेतन रोकने का आदेश यह कहते हुए रोक दिया कि वह अपने कार्य में इंट्रेस्ट नही लेती है और मनमानी करती हैं ।इस आदेश को शिक्षिका ने उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी , न्यायालय द्वारा उभय पक्षों को सुनकर BSA उन्नाव के वेतन बाधित आदेश रद्द कर दिया साथ ही यह भी अवधारित किया कि बिना विभागीय जांच और जांच में दोषी पाए जाने से पहले कर्मचारी का वेतन रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
Save the above order as it will be useful to you. District Basic Education Officer Unnao stopped the order of withholding the salary of teacher Prabha Savita saying that she does not take interest in her work and acts arbitrarily. The teacher challenged this order in the Lucknow High Court bench, the court gave relief to both the parties. Hearing this, BSA Unnao canceled the salary withholding order and also held that without departmental inquiry and investigation, the employee has no right to withhold salary before he is found guilty.
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय आधार पर दो सहायक अध्यापकों द्वारा म्यूचुअल ट्रांसफर की मांग पर बिना किसी औपचारिकता के विचार कर निर्णय लेने का सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची की पत्नी कैंसर से पीड़ित है। उसने अपने गृह जनपद में तैनात एक शिक्षक की सहमति से स्थानांतरण की मांग की है। इस पर तत्काल निर्णय लिया जाए। सीमा रानी और कपिल चौधरी की याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सुनवाई की।
याचीगण के अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची सीमा रानी की नियुक्ति बागपत में है, जबकि कपिल की शामली में । सीमा ने बागपत से शामली और कपिल ने शामली से बागपत स्थानांतरण करने की अर्जी दी थी कपिल की पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं, इसलिए उन्होंने स्थानांतरण की मांग की है। दोनों सहायक अध्यापक म्यूचुअल स्थानांतरण चाहते हैं।
इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने उनकी अर्जियों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। अधिवक्ता ने बताया कि हालांकि, उन्होंने ऑनलाइन आवेदन फार्म भरने की औपचारिकता पूरी नहीं की है, मगर याची को तत्काल स्थानांतरण की आवश्यकता है। । कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि यदि याचीगण कोर्ट के आदेश की प्रति और याचिका दो सप्ताह के भीतर उनके समक्ष प्रस्तुत करते हैं तो सचिव याचीगण के प्रत्यावेदन पर सकारण उचित आदेश पारित करें।
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में 1995 के आरक्षण को आधार वर्ष मान कर किये गए सीट आरक्षण निर्धारण को हाइकोर्ट की लखनऊ खण्ड पीठ ने रद्द कर दिया , और सरकार को आदेशित किया है कि वर्ष 2015 को आधार मानने वाले शासनादेश के आलोक में नए सिरे से सीटों का निर्धारण करें। न्यायालय ने जनहित याचिका अलाउ कर दी ।।
सरकार ने कोर्ट में कहा- 2015 को आरक्षण आधार वर्ष मानने में कोई दिक्कत नहीं है.. कोर्ट ने 27 मार्च तक रिजर्वेशन प्रक्रिया फाइनलाइज करने के आदेश दिये..
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी।
लखनऊ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर लगी रोक को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। इस पर जिला प्रशासन से लेकर प्रत्याशियों की नजर बनी हुई है। प्रत्याशियों के दिल की धड़कनें बढ़ी हैं। आरक्षण सूची के आधार पर चुनाव प्रचार भी तेजी के साथ शुरू हो चुका था, लेकिन रोक के बाद प्रचार थम गया। शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोक दी।
लोनी के एक पूर्व ग्राम प्रधान का कहना है कि आरक्षण की सूची में शासनादेश 2015 का पालन नहीं किया गया। इसकी वजह से जहां सामान्य सीट होनी चाहिए थी, वहां पर ओबीसी कर दिया गया और जहां ओबीसी होना चाहिए, वहां एससी कर दिया गया है। इसकी वजह से चुनाव नहीं लड़ पाने वाले लोगों में काफी निराशा हो गई थी, लेकिन हाई कोर्ट से रोक लगने के बाद अब एक बार फिर उम्मीद जाग गई है।
बता दें कि अजय कुमार ने प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तर्क दिया कि इस बार की आरक्षण सूची 1995 के आधार पर जारी की जा रही है, जबकि 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी की जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम आरक्षण सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।
250 लोगों ने की है आपत्ति
सीटों के आरक्षण की सूची पर 250 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल अभी आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
161 ग्राम पंचायत पर होना है चुनाव जिले में 161 ग्राम पंचायत पर चुनाव होना है। इसके अलावा 14 जिला पंचायत सदस्य, 323 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 2141 ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। जिला प्रशासन की तरफ से आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। जिला प्रशासन की तरफ से चुनाव की तैयारी भी तेजी के साथ की जा रही है। जिले में इस बार 5 लाख 56 लाख मतदाता वोटिंग करेंगे, जो पिछली बार से 63 हजार अधिक होंगे। जिले में 311 मतदान स्थल और 958 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।
के सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट ने सही करार दिया है , जबकि ऐसे अभ्यर्थी जिन की मार्कशीट में छेड़छाड़ किए जाने की शिकायत थी उनके संबंध में निर्णय लेने का विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है । कोर्ट ने सहायक शिक्षकों की विशेष अपील खारिज कर दी गई है। प्रदेश सरकार ने बीएड डिग्री को फर्जी करार देते हुए लगभग 812 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी और भुगतान किए गए वेतन की वसूली शुरू हुई थी। इसके खिलाफ शिक्षक कोर्ट पहुंच गए थे। एकल पीठ ने सरकार के निर्णय को सही करार दिया। इसे विशेष अपील में चुनौती दी गई। न्यायमूर्ति एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति एस.एस. शमशेरी की पीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया।
सहायक अध्यापकों से भुगतान किए गए वेतन की वसूली के आदेश को खण्डपीठ ने रद्द कर दिया है। एकल न्यायपीठ ने इस निर्णय को सही करार दिया है। आपको बता दें कि एकल जज ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन शिक्षकों की बीएसए द्वारा की गई बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी थी। एकल जज के इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया है, जो गलत है। यह भी दलील दी गई कि पुलिस रिपोर्ट को शिक्षकों की बर्खास्तगी का आधार नहीं बनाया जा सकता है। कहा गया था कि बीएसए ने बर्खास्तगी से पूर्व सेवा नियमावली के कानून का पालन नहीं किया।
जबकि सरकार की तरफ से बहस की गई कि इन शिक्षकों की बर्खास्तगी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच कर रही एसआईटी को रिपोर्ट देने को कहा था। बहस यह भी की गई थी कि फर्जी डिग्री या मार्कशीट के आधार पर सेवा में आने वाले की बर्खास्तगी के लिए सेवा नियमों का पालन करना जरूरी नहीं है।
उच्च न्यायालय ने योग्यता में छूट देने से साफ इनकार किया बीटेक डिग्री वाले नहीं बन सकते गणित के शिक्षक
केंद्रीय विद्यालय संगठन के संबंध में फैसला
केवीएस में 2018 में भर्ती निकाली थी जिसमें याचिकाकर्ता सुभाष श्री ने आवेदन किया था उन्होंने लिखित परीक्षा में सामान्य श्रेणी में 83वा स्थान प्राप्त किया था लेकिन केवीएस ने पर्याप्त वयोग्यता नहीं होने के आधार पर उन्हें साक्षात्कार से वंचित कर दिया इसके खिलाफ उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की। न्यायाधिकरण में भी मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति का विकल्प न देने के कारण ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार करने के बीएसए अलीगढ़ के आदेश को रद्द कर दिया है और अर्जी देने की तिथि से भुगतान करने तक आठ फीसदी ब्याज सहित तीन माह में ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कोरोना के दरम्यान प्रदेश में आठवीं तक के प्राथमिक स्कूल खोलने के मामले में सख्त रुख अख्तियार कर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्राथमिक स्कूल खोलने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सरकारी वकील से पूछा है कि स्कूलों में कोरोना से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को सरकार ने क्या किया। कहा कि सरकार 10 दिन में यह भी बताए कि अगर किसी स्कूल में दिशा-निर्देशों का पालन न किया गया तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जायेगी।
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने शुक्त्रस्वार को यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव की याचिका पर दिया। याची के वकील ज्योतिरेश पांडेय का कहना था कि बगैर समुचित इंतजाम प्राइमरी स्कूल खोलने से कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में बच्चों व शिक्षकों की जान का खतरा हो सकता है। क्योंकि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। इस संबंध में याची ने देश – प्रदेश की कई घटनाओं के उदाहरण भी दिए।
याचिका में स्कूलों को खोलने संबंधी यूपी सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के 5 व 6 फरवरी के आदेशों पर रोक लगाकर रद्द करने की गुजारिश की गई है। उधर सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने मामले में सरकारी वकील को सरकार से 10 दिन में निर्देश लेकर पक्ष पेश करने को कहा। याचिका में राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिवों समेत बेसिक शिक्षा निदेशक को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद नियत की है।
अंग्रेजी स्कूल में तैनाती के लिए हाईकोर्ट की शरण में शिक्षक, 13 जिलों में फंसी है तैनाती।
बेसिक शिक्षा परिषद के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। जिले में सवा साल से तैनाती के लिए भटक रहीं प्रतिभा सिंह और 43 अन्य शिक्षकों ने शासनादेश के अनुरूप अंग्रेजी स्कूलों में तैनाती की गुहार लगाई है। इस मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होनी है।
चयनित शिक्षकों का तर्क है कि 29 मई को शासन ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में तैनाती पर रोक हटा ली थी। लेकिन इसके पांच महीने बाद भी प्रयागराज में तैनाती नहीं की गई है। जिले में सत्र 2019-20 में 110 प्राथमिक 24 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए 25 मार्च 2019 तक आवेदन लिए गए थे।
16 मई को परीक्षा हुई और 26 जून से 1 जुलाई तक सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ। 31 अगस्त और 1 सितंबर 2019 को चयनित शिक्षकों से स्कूलों के विकल्प भराए गए। लेकिन इसके बाद तैनाती नहीं की गई। चयनित शिक्षकों ने कई बार बीएसए और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से वार्ता की तो हर बार अफसरों ने एक-दूसरे पर टाल दिया।
सवा साल बाद भी तैनाती नहीं होने से दु:खी शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका कर दी। इससे पहले रामनाथपुर के ग्राम प्रधान और अन्य 5 प्रधान भी अपने गांव में इंग्लिश मीडियम स्कूल बनने के बावजूद शिक्षकों की नियुक्ति न होने को लेकर याचिकाएं कर चुके हैं।
13 जिलों में फंसी है तैनाती
प्रदेश के 13 जिलों में अंग्रेजी माध्यम परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षकों की तैनाती फंसी है। अकेले प्रयागराज में ही लगभग 500 शिक्षक तैनाती का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा लखनऊ, मथुरा, फतेहपुर व बदायूं समेत 13 जिले हैं जहां तैनाती नहीं हो सकी है। प्रदेश में लगभग 15 हजार प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम से संचालित हैं।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में ओबीसी के ऐसे चयनित सहायक अध्यापकों जो मेरिट अधिक होने के कारण जनरज कैटेगरी में चले गए हैं को उनकी वरीयता के जिले आवंटित न करने पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि यदि 18 अगस्त तक आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो सचिव बेसिक शिक्षा परिषद अदालत में हाजिर होकर स्पष्टीकरण दें कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ की जाए।
बादल मलिक और 11 अन्य की अवमानना याचिका पर न्यायमूíत जेजे मुनीर ने सुनवाई की। याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह के मुताबिक याचीगण ओबीसी कैटेगरी के अभ्यर्थी हैं। सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट में ऊपर होने के कारण वह जनरल कैटेगरी में चले गए। इसलिए विभाग ने उनको वरीयता वाले जिले आवंटित नहीं किए हैं, जबकि उनसे मेरिट में काफी नीचे के अभ्यíथयों को वरीयता वाले जिले दिए गए हैं। याचीगण ने गृह जिले को वरीयता दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 2019 को याचीगण को उनकी वरीयता के जिले आवंटित करने का निर्देश दिया था। याचिका पर अब 18 अगस्त 2020 को सुनवाई होगी।
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