लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के बच्चों के सीखने-समझने के स्तर को अब मोबाइल एप के जरिये भी जाना जा सकेगा। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी ने ‘प्रेरणा लक्ष्य एप’ का राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सभागार में शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि प्रेरणा लक्ष्य एप से शिक्षक और अभिभावक यह जान सकेंगे कि बच्चों के सीखने का स्तर क्या है? यह भी पता चल सकेगा कि कक्षावार कौन सी दक्षताएं हासिल करने के उन्हें बच्चे पर अधिक ध्यान देना होगा। यह एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध और निश्शुल्क है। 👉 👉 Prerna Lakshya App डाउनलोड के लिए यहाँ क्लिक करें
CBSE CTET 2021 Result Date: सभी आपत्तियों पर पुर्नविचार के बाद फाइनल आंसर की जारी की जाएगी जिसमें जरूरी संशोधन होंगे. यदि किसी उम्मीदवार द्वारा दर्ज की गई आपत्ति सही पाई जाती है तो फाइनल आंसर की में सुधार किया जाएगा और उम्मीदवार का आपत्ति दर्ज करने का शुल्क भी ऑनलाइन लौटा दिया जाएगा.
CBSE CTET 2021 Result Date: जनवरी 2021 में आयोजित CTET 2021 परीक्षा की आंसर की जारी की जा चुकी है तथा आंसर की पर आपत्ति दर्ज करने का विंडो भी बंद हो चुकी है. अब बोर्ड की तरफ से फाइनल आंसर की और रिजल्ट जारी किया जाना है.
बता दें कि प्रोविजनल आंसर की 19 फरवरी को आधिकारिक वेबसाइट ctet.nic.in पर जारी की गई थी और इस पर आपत्ति दर्ज करने की लास्ट डेट 21 फरवरी निर्धारित थी. रविवार शाम 5 बजे तक उम्मीदवारों से आंसर की पर आपत्तियां मांगी गई थीं जिसके बाद अब फाइनल आंसर की जारी की जानी है.
बता दें कि अब सभी आपत्तियों पर पुर्नविचार के बाद फाइनल आंसर की जारी की जाएगी जिसमें जरूरी संशोधन होंगे. यदि किसी उम्मीदवार द्वारा दर्ज की गई आपत्ति सही पाई जाती है तो फाइनल आंसर की में सुधार किया जाएगा और उम्मीदवार का आपत्ति दर्ज करने का शुल्क भी ऑनलाइन लौटा दिया जाएगा.
उम्मीदवारों की रिस्पांस शीट भी जारी की गई थी जिसकी मदद से कैंडिडेट अपने अनुमानित स्कोर चेक कर सकते हैं. परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवार अब अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. रिजल्ट अगले सप्ताह यानी मार्च के पहले हफ्ते में जारी होने की पूरी उम्मीद है.
अभी बोर्ड की तरफ से रिजल्ट जारी करने की डेट की घोषणा नहीं की गई है मगर बीते वर्षों के पैटर्न के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि 10 दिनों के भीतर ही रिजल्ट जारी कर दिया जाता है. अनारक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ 60 प्रतिशत यानी 150 में से 90 अंक निर्धारित है. आरक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ अलग अलग है. ज्यादा जानकारी पाने के लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर नज़र रखें.
आजमगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग से शिक्षकों की हुई भर्ती में दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने वालों की जांच हो रही है। मेडिकल बोर्ड ने अनुपस्थित दिव्यांग शिक्षकों को सूची जारी कर दी है। इसमें जिले के 15 दिव्यांग शिक्षक हैं।
शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रविंद्र कुमार शर्मा व अन्य की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए तीन फरवरी, 2016 को आदेश दिया कि अभ्यर्थियों की जांच मेडिकल बोर्ड गठित कर कराई जाए। शासन ने इसके अनुपालन में 13 मई, 2016 को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। यह काम करीब पांच साल बाद पूरा हुआ। जनपद के 15 शिक्षक वर्ष 2016 से 2019 तक कभी भी मेडिकल बोर्ड के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। मेडिकल बोर्ड ने उक्त शिक्षकों की सूची जारी कर दी है। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जनपद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात दिव्यांग अभ्यर्थी का अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बता दें कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित शिक्षकों की जांच हो रही है।
मेडिकल बोर्ड के समक्ष आज तक यह शिक्षक नहीं हुए उपस्थित आजमगढ़। परिषदीय विद्यालयों में तैनात दिव्यांग शिक्षक जो वर्ष 2016 से 2019 के बीच आज तक उपस्थित न होने वाले शिक्षकों की सूची मेडिकल बोर्ड ने जारी कर दी है। कुल 204 शिक्षकों की सूची में 15 नाम आजमगढ़ जनपद में तैनात हुए शिक्षकों की है। इसमें 14 शिक्षक विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण वर्ष 2007 के और एक वर्ष 2008 का है।
विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित दिव्यांग शिक्षकों की जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड द्वारा गठित टीम के समक्ष जिले के कई शिक्षक अनुपस्थित चल रहे हैं उक्त शिक्षकों का वेतन रोका जाएगा। अंबरीष कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आजमगढ़।
नई शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा व्यवस्था में व्यवस्था की गई है कि आने वाले कुछ सालों में शिक्षा की सबसे मजबूत कड़ी अध्यापक को सबसे मजबूत बनाया जाएगा. इसके लिए बीएड प्रोग्राम में बड़े बदलाव की बात कही गई है. इसके लिए शिक्षा नीति में वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को टीचर्स के लिए एक समान मानक तैयार करने को कहा गया था.
अब NEP 2020 के तहत नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने यह फैसला किया है कि किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए उम्मीदवारों को शिक्षक पात्रता परीक्षा TET यानी Teachers Eligibility Test पास करना जरूरी किया जाएगा. एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमिटी गठित कर दी है.
एनईपी में प्रावधान किया गया है कि ये पैरामीटर नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स कहलाएंगे. काउंसिल यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी. अब तक टीईटी की अनिवार्यता सिर्फ क्लास 1 से 8वीं तक के लिए थी. 9वीं से 12वीं यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) के लिए इसकी जरूरत नहीं होती थी. अब किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी किया जाएगा.
एनसीटीई ने इसके लिए दिशानिर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार करने के लिए कमेटी गठित कर दी है. स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए एनसीटीई यह तैयारी कर रहा है. नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों के लिए अगले दो साल के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड तय होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी. ये एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल की होगी.
बीएड के लिए कुछ इस तरह से व्यवस्था की जाएगी कि बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिले जिन्होंने किसी खास सब्जेक्ट में चार साल की पढ़ाई की हो. चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी, लेकिन इसके जरिये विषय विशेष के शिक्षक बन पाएंगे.
बता दें कि नई शिक्षा नीति में ये कहा गया है कि बीएड प्रोग्राम में शिक्षा शास्त्र की सभी विधियों को शामिल किया जाए. इसमें साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, बहुस्तरीय अध्यापन और मूल्यांकन को विशेष रूप से सिखाया जाएगा. इसके अलावा टीचिंग मेथड में टेक्नोलॉजी को खास तौर पर जोड़ा जाएगा.
कमेटी की उन सिफारिशों को भी मान लिया गया है जिसमें स्तरहीन शिक्षक-शिक्षण संस्थानों को बंद करने की बात कही गई थी. अब सभी शिक्षण तैयारी/ शिक्षा कार्यक्रमों को बड़े बहुविषयक विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों में स्थानांतरित करके शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव का भी प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा 4-वर्षीय एकीकृत चरण वाले विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अंततः न्यूनतम डिग्री की योग्यता प्राप्त हो सकेगी.
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोरोना आपदा की वजह से बढ़ी दरों से महंगाई भत्ता पाने से वंचित हुए उत्तर प्रदेश सरकार के 16 लाख कर्मचारियों को इस साल जुलाई से बढ़ी दर से डीए देने का इंतजाम योगी आदित्यनाथ सरकार ने बजट में कर लिया है। इसके लिए सरकार ने बजट में कर्मचारियों के वेतन के लिए दी जाने वाली रकम की लगभग 30 प्रतिशत राशि डीए के लिए रखी है। यह बात और है कि राज्य कर्मचारियों को डीए देने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा अपने कार्मिकों को इसके भुगतान के निर्णय पर निर्भर करेगा।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने संसाधनों की तंगी के कारण राज्य सेवा के कार्मिकों को पहली जनवरी 2020, पहली जुलाई 2020 और पहली जनवरी 2021 से बढ़ी दरों पर आधारित महंगाई भत्ता देने पर पिछले साल 24 अप्रैल को रोक लगा दी थी। कर्मचारियों से कहा गया था कि उन्हें इस दौरान बढ़ी दरों का डीए संचयी प्रभाव से एक जुलाई से मिलेगा। हालांकि उन्हें बढ़ी दरों पर डीए के एरियर का भुगतान नहीं होगा।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में अपने कर्मचारियों को वेतन के मद में 53,710.89 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है। वहीं उसने डीए के मद में 15,997.84 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जो कि वेतन की रकम का लगभग 30 प्रतिशत है।
बता दें कि योगी सरकार ने सोमवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 5,50,278.78 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। सूबे के इतिहास का पहला कागज रहित (पेपरलेस) और अपना पांचवां व आखिरी पूर्ण बजट पेश करते हुए सरकार ने चुनावी साल में मिशन 2022 के लक्ष्य संधान के लिए सारे जतन बजट में किए हैं। कोरोना महामारी का तीखा दंश झेलने के बावजूद सूबे के विकास की बड़ी लकीर खींचने की खातिर सरकार ने हौसला दिखाते हुए बुनियादी ढांचे के विकास को रफ्तार देने के लिए धनवर्षा की है। वहीं, श्रमिकों, महिलाओं, किसानों और युवाओं को सौगातें देने के लिए भी खजाना खोला है।
सीएम योगी (CM Yogi) ने ये कदम भर्ती प्रक्रिया (Admission System) को साफ-सुधरा और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए उठाया है.
यूपी सेवा चयन आयोग द्वारा की जाने वाली भर्तियों के लिए राज्य में टू टायर एग्जाम सिस्टम शुरू होने जा रहा है. अब सबसे पहले PET पास करना होगा.
यूपी सेवा चयन आयोग (UPSSSC ) द्वारा की जाने वाली भर्तियों के लिए राज्य में टू टायर एग्जाम सिस्टम (Two Tire Exam System) शुरू होने जा रहा है. एग्जाम के लिए पहले PET पास करना होगा. योगी सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है. जो कैंडिडेट प्रिलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट- PET में पा होंगे, वही आयोग के तहत आने वाली सभी भर्ती परीक्षाएं (Exam) दे सकेंगे. योगी सरकार ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है. अब आयोग ने परीक्षा कार्यक्रम के साथ ही सिलेबस भी तय करने के मामले में आदेश जारी किया है.
सौ नंबरों (Hundred Marks) की के इस सालाना एग्जाम में 9 सब्जेक्ट से प्रश्न होंगे इसके साथ ही अब कैंडिडेट (Candidate) की रीजनिंग, समझ और डेलीबिरेशन एबिलटी भी परखी जाएगी. एग्जाम लिखने के लिए दो घंटे का समय दिया जाएगा. खात बात ये है कि अब नेगेटिव मार्किंग (Negative Marking) भी होगी. हर गलत उत्तर के लिए एक चौथाई माइनस मार्किंग की जाएगी. सीएम योगी ने ये कदम एडमिशन प्रक्रिया को साफ-सुधरा और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए उठाया है.
PEL सभी पदों पर भर्ती के लिए जरूरी सीएम योगी ने पिछले दिनों राज्य में टू टायर एग्जाम सिस्टम अपनाए जाने का निर्देश दिया था. इसी सिस्टम के तहत के तहत प्राइमरी क्वालिफिकेशन एग्जाम को आयोग के तहत आने वाले सभी पदों पर सलेक्शन के लिए जरूरी किया गया है. इस एग्जाम के नबंरों के आधार पर ही कैंडिडेट को अलग-अलग पदों के लिए होने वाले मेन एग्जाम के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.
हालांकि जिन पदों के लिए भर्ती एडवरटाइजमेंट जारी हो चुके हैं, उनको यह एग्जाम नहीं देना होगा. आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार ने बताया कि पीईटी के सिलेबस से संबंधित आदेश आयोग ने जारी कर दिया है. अप्रैल-मई में एग्जाम कराने की तैयारी की गई है. इन एग्जाम्स में 30 लाख से ज्यादा कैंडिडेट के शामिल होने का अनुमान है. राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में 50 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं.
कैंडिडेट की सभी क्षमताओं का होगा टेस्ट आयोग के अध्यक्ष के मुताबित सिलेबस को इस बात को ध्यान में रखकर बनाया गया है कि एग्जाम से सिर्फ कैंडिडेट की मेमोरी का ही पता न चलें बल्कि उसकी लॉजिक और रीजनिंग, अंडरस्टेंडिंग और एनालिटिकल कैपेसिटी का भी टेस्ट हो सके. कैंडिडेट की उन क्षमताओं को भी चेक किया जाएगा, जिनकी जरूरत सरकारी कामकाज में होती है. इस सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही एग्जाम में पांच नंबर सामान्य अंग्रेजी के लिए भी रखे गए हैं, ताकि सलेक्ट किया गया कर्मचारी अंग्रेजी में आने वाले पत्रों, कोर्ट के आदेशों पढ़-समझ सके.
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